बोले अयोध्या-कांशीराम कॉलोनी में पेयजल की किल्लत, सीवर की समस्या
Ayodhya News - अयोध्या के कांशीराम आवासीय कालोनी में रहने वाले लोगों को नागरिक सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है। यहां 220 मकान हैं, लेकिन 80 प्रतिशत लोग विस्थापित हैं और पानी, सफाई और जल निकासी की समस्याओं...

अयोध्या-करीब एक दशक पहले अयोध्या धाम में 14कोसी व पंचकोसी परिक्रमा से सटे चक्रतीर्थ में कांशीराम आवासीय कालोनी बनायी गयी थी। यहां 220 मकान हैं। चार मंजिला इमारत में सैकड़ों परिवार रह रहे हैं। लेकिन यहां रहने वाले लोगों को नागरिक सुविधाएं मयस्सर नहीं है। काशीराम आवासीय कालोनी में 80 प्रतिशत वह लोग रह रहे हैं जो अयोध्या में सड़कों के चौड़ीकरण या विभिन्न परियोजनाओं के निर्माण के चलते अपनी जमीन और आशियाने गंवा चुके हैं। इन्हें यहां प्रशासन ने लाकर विस्थापित किया है। लेकिन इनके हालात बद से बदतर स्थिति में हैं। किसी के मकान में सीवर का पानी घुस रहा है और किसी की छत पर गंदगी पड़ी हुई है।
यहां के बाशिंदों को नल से जल का दर्शन कई वर्ष से नहीं हुआ है। कालोनी में लगा नलकूप बंद पड़ा है और पानी की टंकी करीब एक दशक से सूखी और खराब दशा में है। ‘हिन्दुस्तान ने बोले अयोध्या अभियान के तहत जब कांशीराम आवासीय कालोनी का हाल जाना तो यहां के लोगों ने एकत्र होकर अपना दर्द इस तरह बयान किया जैसे प्रशासन, विभाग और नगर निगम के जिम्मेदार उनकी कभी सुध नहीं लेते हैं। लोगों को पानी की समस्या और गंदगी के साथ जल निकासी की परेशानी से जूझना पड़ रहा है। जिन गरीबों के आशियाने शहर के विकास की जद में आकर टूट फूट गए या खत्म हो गए, उन्हें चक्रतीर्थ में बने कांशीराम आवासीय कालोनी में बसाया गया है। लेकिन यहां रहने वालों को कालोनी का मकान केवल सिर छुपाने भर की जगह ही है। यहां का जब जायजा लिया गया तो हालात बदतर नजर आये। ट्रांसफार्मर खुले में पड़ा है। नलकूप 10 साल से बंद है। पानी की टंकी से कभी कालोनी वासियों पानी मिला ही नहीं है। लोगों के घर में नल तो लगे हैं लेकिन कभी पानी नहीं पहुंचा। हैंडपंप खराब पड़े हुए हैं। कॉलोनी में 220 मकान बने हैं। यहां करी 180 मकानों में विभिन्न स्थानों से सड़क चौड़ीकरण के बाद विस्थापित किए गए हैं। 20 प्रतिशत मकान ऐसे हैं जिनमें आवंटन होने के बाद परिवार रह रहे हैं। इनमें भी 60 प्रतिशत मकानों को आवंटन के बाद लोगों ने खुद न रहकर किराये पर दे रखा है। 80 प्रतिशत लोग यहां विस्थापितों का जीवन यापन कर रहे हैं। कांशीराम आवासीय कालोनी चक्रतीर्थ के हालात यह है कि यहां नालिया चोक हैं। घरों में बारिश तो दूर आम दिनों में भी पानी भर जाता है। एक महिला ने बताया कि उसके कमरे में ही सीवर का पानी भर रहता है। वहीं कालोनी के भवनों की छत से लेकर मकानों के पिछवाड़े बनी नालियां हर समय भरी रहती हैं। नीचे रहने वालों की शिकायत थी कि जो ऊपरी में रहते हैं वह ऊपर नीचे कूड़ा फेकते है जिससे गंदगी और फैल जाती है। लोगों का कहना है कि जब से यह कालोनी बनी है कभी सीवर लाइन नहीं पड़ी। जल निकासी का समुचित प्रबंध न होने के कारण गंदा पानी घर में भरा रहता है जिसकी वजह से लोगों को रहने में दिक्कत हो रहा है। कालोनी की नालियां कभी-कभी साफ होती है। नालियां जर्जर अवस्था में पड़ी हैं। कॉलोनी में जो नीचे के जो मकान हैं उसमें सीवर का पानी भरता है। जल निकासी की बहुत बड़ी समस्या है। पानी आता ही नहीं कॉलोनी में स्ट्रीट लाइट का एक डेकोरेटिव पोल लगा है लेकिन कभी लाइट जलती है तो कभी खराब हो जाती है। कॉलोनी के सड़के सीसी की बनी है लेकिन जर्जर अवस्था में है। सड़क पर झाडू लगती है और कूडे़दान है उसमें जो कूड़ा डाला जाता है वह रोज उठता है। लेकिन डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन नहीं हो रहा है। जर्जर अवस्था में गंदगी से पटा हुआ है बच्चों के खेलने का मैदान:बच्चों का कहना था कि यहां एक खेल का मैदान है लेकिन उसमें गंदगी का ढेर लगा हुआ है। मैदान की जमीन ऊबड़-खाबड़ है। इतनी गंदगी रहती है कि हम लोग खेल नहीं पा रहे हैं। कई बच्चे इस बदहाल स्थिति में पड़े मैदान में दौड़ते हैं तो गिरकर चोट खा जाते हैं। कुछ दिन पहले ही एक बच्चे का हाथ टूट गया। जिले के 11 ब्लॉकों में 53 हजार लोगों ने प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में कराया पंजीकरण:प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत 53 हजार से अधिक पात्र लोग अब 30 अप्रैल तक आवास प्लस पोर्टल पर पंजीकरण करा चुके हैं। जिले के विभिन्न विकासखंड स्तर पर कराये गये पंजीकरण की स्थिति पर गौर करें तो विकास खण्ड अमानीगंज में 6649, बीकापुर में 5925, हैरिंग्टनगंज में 6117, मसौधा में 2053, मवई में 4482, मया बाजार में 4262, मिल्कीपुर में 4469, पूरा बाजार में 2263, रुदौली में 5779 और सोहावल में 4906 लोगों ने पंजीकरण कराया है। कुल मिलाकर 53,202 आवेदकों का चिह्नीकरण सर्वेयरों द्वारा किया गया है। परियोजना निदेशक गिरीश कुमार पाठक के अनुसार यह योजना उन लोगों के लिए है जो 2017-18 में किसी कारण से आवेदन नहीं कर पाए थे। पात्र परिवार स्वयं या ग्राम सचिवों की मदद से पंजीकरण करा सकते हैं। विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को सर्वेयर के रूप में नियुक्त किया गया है। सर्वे के बाद ब्लॉक और जिला स्तर के अधिकारी रैंडम जांच की जाएगी। इसके बाद पात्रता सूची तैयार की जाएगी और ग्राम पंचायत में खुली बैठक आयोजित की जाएगी। -चार श्रेणियों में बंटी है प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी:स्व-स्थान स्लम पुनर्विकास (आईएसएसआर), ऋण आधारित ब्याज सब्सिडी योजना (सीएलएसएस), भागीदारी में किफायती आवास (एएचपी) और लाभार्थी आधारित व्यक्तिगत आवास का निर्माण/ विस्तार (बीएलसी-एन/ बीएलसी-ई) है। जिला नगरीय विकास अभिरण विभाग में लाभार्थी आधारित व्यक्तिगत आवास का निर्माण/ विस्तार (बीएलसी-एन/ बीएलसी-ई) अपना आाशियाना बनवाने वालों की कतार लगी है। 21 हजार लोगों को अभी आशियाना बनवाने के लिए आवेदन देने के बाद भी ढाई लाख की धनराशि नहीं मिली है। हालांकि वर्ष 2017 से 2025 तक प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के तहत अब तक 18 हजार 695 लोगों ने आवेदन किये हैं जिसमें से 17928 लोगों के मकान बनकर तैयार हो चुके हैं और लाभार्थियों को ढाई लाख रुपए तीन किस्तों में मिल चुका है। वहीं पूर्व में किये गये आवेदनों में 767 लोगों के मकान अभी पूर्ण नहीं हुए हैं। इन्हें अभी तक दो किस्ते ही पहुंच सकी हैं। अयोध्या विकास प्राधिकरण ने एएचपी के तहत बाग विजेशी में आवंटित किये हैं 326 प्रधानमंत्री आवास:अयोध्या धाम के टेढ़ी बाजार में अयोध्या विकास प्राधिकरण द्वारा 384 मकानों का निर्माण प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी में भागीदारी में किफायती आवास (एएचपी) के तहत कराया गया है। अयोध्या विकास प्राधिकरण के सचिव हेम सिंह का कहना है कि अयोध्या धाम में बाग विजेशी रेलवे स्टेशन के पास टेढ़ीबाजार के आगे 384 मकान प्रधानमंत्री आवास योजना एएचपी के तहत बनाये गये हैं। नजूल विभाग से जो जमीन प्राप्त हुई थी उसी पर यह आवास बनाये गये हैं। सभी आवास मुकम्मल हो चुके हैं। 326 का आवंटन किया जा चुका है। डूडा में आवेदन किया गया था। डूडा ने जांच करने के बाद करीब 600 लोगों की सूची अयोध्या विकास प्राधिकरण को दी थी। इनमें से 326 लोगों को लाट्री के माध्यम से मकानों का आवंटन किया गया है। 29 मकान अभी खाली हैं। 21 भवन आरक्षित किये गये है। आठ भवनों का आवंटन निरस्त किया गया है। क्योंकि इसमें ढाई लाख रुपए जमा करने होते हैं। लेकिन जिन्होंने धनराशि जमा नहीं किया उनका आवंटन निरस्त किया गया। यह मकान 2019-20 में बने थे। करीब दो साल पहले आवंटन किया गया था। फिलहाल लाभार्थियों की कोई नयी सूची जिला नगरीय विकास अभिरण से एडीए को नहीं मिली है। आवेदन देने के बाद भी प्रधानमंत्री आवास नहीं मिलने से परेशान:कांशीराम आवासीय कालोनी में रहने वाले बहुत से ऐसे परिवार हैं जिनके मकान सड़क चौड़ीकरण में खत्म हो गया फिर किसी सरकारी परियोजना के लिए अधिग्रहण में चले गए। इन लोगों को फिलहाल प्रशासन ने कांशीराम आवास में रिहाइश दी है। लेकिन जमीन और घर गंवा चुके लोगों को न तो प्रधानमंत्री आवास मिल रहा है और न ही कोई सरकारी सुविधाएं। यहां कुछ लोग रामघाट, बेनीगंज, वजीरगंज जप्ती, छोटी देवकाली, रामकथा, बेनीगंज सहित अन्य स्थानों से लाकर बसाये गए हैं। रामपथ बनने के बाद बेघर हुए लोगों कालोनी में रहने वाले एक बुजुर्ग महिला माला देवी का कहना है कि हम रामकथा पार्क गेट के सामने रहते थे। वहां पार्क बनने के लिए मकान चला गया। कहा गया था कि आवास मिल जाएगा। दो बार हमने प्रधानमंत्री आवास शहरी के लिए आवेदन किया लेकिन जमीन तो दूर एक पैसा भी नहीं मिला। मणिपर्वत के पास बहुत से लोगों ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवेदन किया था। जिला नगरीय विकास अभिकरण में सुनवाई की बाट जोह रहे हैं। लक्ष्य से ज्यादा आवास की पात्र लोगों का हुआ सर्वे:बीकापुर संवाददाता के अनुसार विकास खण्ड बीकापुर क्षेत्र में 5526 लक्ष्य के अनुपात में 6849 का आवास के लिए सर्वे किया गया है। इसके लिए एडीओ स्तर के अधिकारियों को पुनः लगा कर सत्यापन किया जाएगा। तहसील क्षेत्र के सभी ब्लॉकों में पत्र आवास के लाभार्थियों का सर्वे किया गया है। भावापुर के ग्राम प्रधान हरि प्रसाद निषाद, जलालपुर माफी के प्रधान मुकेश कुमार निषाद सहित ने बताया कि प्रधानमंत्रीआवास योजना के तहत प्रत्येक ग्राम सभाओं में पात्र व्यक्तियों का पंचायत सचिव के द्वारा प्रथम स्तर पर चयन कर लिया गया है।जबकि उच्च अधिकारियों के द्वारा आवास के लिए हुए सर्वे को पुन सत्यापन कराया जाएगा। खंड विकास अधिकारी हरिश्चंद्र सिंह ने बताया कि सरकार की मंशा है कि एक भी पात्र व्यक्ति आवास पाने से वंचित न रह सके।सरकार का जो लक्ष्य था उसके अनुरूप ज्यादा लोगों का सर्वे हो गया है। लोगों ने बंया किया दर्द- हम लोग जब से इस कालोनी में रहने आये हैं तब से न तो पानी की सुविधा मिली और न ही सफाई व्यवस्था दुरुस्त है। हैंडपम्प से पानी भरकर दो से चार मंजिला तक चढ़कर जाना पड़ता है। आज तक कालोनी में सीवर लाइन नहीं पड़ी। नालियों की सफाई नहीं करायी जाती है। -मीरा देवी इस कालोनी का हाल बहुत खराब है। यहां न तो पीने के पानी की व्यवस्था है न ही साफ-सफाई की। हमारे मकान के पीछे गली में हर समय गंदगी भरी रहती है। नालियों की सफाई न होने के कारण दुर्गन्ध इतनी फैलती है कि कमरे में रहना मुश्किल हो रहा है। बच्चे बीमार हो रहे हैं। -मोमिना खातून कांशीराम आवासीय कालोनी में 220 परिवार रह रहे हैं। लेकिन यहां सबसे बड़ी समस्या पेयजल की है। मकानों लोहे वाले पेयजल पाइप लाइन के कनेक्शन हैं लेकिन उसमें कभी पानी की एक बूंद भी नहीं टपकी। ट्यूबेल कई साल से नहीं चला। पानी की टंकी भी खराब पड़ी हुई है। -मेवालाल हम करीब 12 साल से इसी कालोनी में रह रहे हैं। लेकिन जब से यहां बसे हैं तब से पानी और जल निकासी की समस्या देख रहे हैं। कालोनी में पांच हैंडपंप लगे हैं लेकिन वह अक्सर खराब हो जाते हैं। मकानों में नल के कनेक्शन हैं लेकिन कभी पानी नहीं आया। गंदगी बहुत रहती है। -नफीस इस कालोनी की सबसे बड़ी समस्या पेयजल की है। कालोनी में बने मकानों नल का कनेक्शन है लेकिन उसमें कभी पानी की सप्लाई नहीं हुई। कालोनी में टयूबेल लगा हुआ है लेकिन वह कभी चलता ही नहीं है। न तो नालियों की सफाई होती है और न ही सीवरेज की व्यवस्था की गई है। -राधा सोनकर हम लोगों को हैंडपंप का ही सहारा है क्योंकि यहां कई साल से पानी की दिक्कत है। कोई सुनवाई नही हो रही है। कई बार हम लोगों ने जलकल से शिकायत की और नगर निगम में आवेदन किया लेकिन कुछ नहीं हुआ। चार मंजिले तक हैंडपंप से पानी भरकर ले जाने पर सांस फूलती है। -ओमवती पानी और सीवर की सबसे बड़ी समस्या इस कालोनी में है। न तो कभी नालियों की सफाई होती है और न ही सेफ्टी टैंक साफ किया गया। पानी लेने का सहारा मात्र हैंडपंप ही है। जो नलकूप है वह कभी चलता ही नहीं है। पानी की टंकी खराब पड़ी है। वही ठीक करवा दीजिए। -शिवा कांशीराम आवासीय कालोनी में कोई अधिकारी कभी झांकने तक नहीं आता है जबकि यहां करीब ढाई सौ परिवार रह रहे हैं। बड़ी नारकीय स्थिति में हम लोग रह रहे हैं। न तो पेयजल की सुविधा मिल रही और न ही जल निकासी की समस्या का समाधान कराया जा रहा है। -अजय कुमार कालोनी में पानी की बहुत दिक्कत हो रही है। हमारे मकान के पीछे गली में बहुत गंदगी पड़ी है। कभी नालियों की साफाई करने कोई नहीं आता है। पानी की भी बहुत समस्या है। जब से कालोनी में आये हैं तब से यहां नल से पानी देखने के लिए आंखें तरस गईं। बहुत बुरा हाल हो गया है। -मीना यहां सीवर लाइन होनी चाहिए जिससे यहां का कचरा साफ हो सके। पानी की बहुत समस्या है। नलकूप बना है लेकिन वह चलता ही नहीं है। यहां वह लोग रह रहे हैं जिनके पास अपना घर नहीं है या यहां विस्थापित किये गए है। लेकिन नागरिक सुविधाओं का यहां बहुत अभाव है। - अरविंद कुमार बोले जिम्मेदार- कांशीराम योजना के तहत कालोनी में आवास बने थे। उसी समय से यहां लगे नलकूप नहीं चल रहे हैं। लेकिन नगर निगम द्वारा 24/7 योजना के तहत कार्य चल रहा है। उसी योजना के अन्तर्गत कांशीराम आवासीय कालोनी को भी शामिल किया गया है। पाइप लाइन डाली जा चुकी है। जल्द ही कालोनी के कनेक्शन इसमें जोड़ दिये जाएंगे। जल्द ही यहां पेयजल की समस्या का समाधान हो जाएगा। वागीश शुक्ला, अपर नगर आयुक्त
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