ट्रंप ने टैरिफ पर क्यों लगाया अचानक ब्रेक, यू-टर्न के ये हैं बड़े 5 कारण
- Trump Tariffs: डोनाल्ड ट्रंप ने अपने टैरिफ पॉलिसी में 90 दिन का ब्रेक देकर ग्लोबल मार्केट को राहत दी है। इसके चलते भारतीय शेयर बाजार समेत दुनिया भर के बाजारों में तेजी आई।

Trump Tariffs: डोनाल्ड ट्रंप ने अपने टैरिफ पॉलिसी में 90 दिन का ब्रेक देकर ग्लोबल मार्केट को राहत दी है। इसके चलते भारतीय शेयर बाजार समेत दुनिया भर के बाजारों में तेजी आई। यह ब्रेक अस्थायी है। 90 दिनों के बाद अमेरिका फिर से टैरिफ लगा सकता है, लेकिन अभी मार्केट को राहत मिली है। यह U-टर्न क्यों आया? जानिए 5 बड़े कारण।
1. अमेरिका के बॉन्ड-शेयर बाजार एक साथ गिरे: आमतौर पर अमेरिकी बॉन्ड और शेयर बाजार उलटी दिशा में चलते हैं, लेकिन ट्रंप के टैरिफ लगाने के बाद दोनों एक साथ गिरे। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, चीन जैसे देशों ने ट्रंप के टैरिफ का अंदेशा होते ही अमेरिकी बॉन्ड बेचना शुरू कर दिया, जिससे बॉन्ड मार्केट भी शेयर बाजार की तरह लुढ़क गया।
2. अमेरिका में नकदी का संकट: बॉन्ड और शेयर बाजार में गिरावट के बाद अमेरिकी अर्थव्यवस्था में नकदी का संकट बढ़ने लगा। साथ ही, टैरिफ के चलते व्यापारिक गतिविधियां ठप होने से महंगाई बढ़ने का खतरा भी पैदा हो गया। इसलिए, ट्रंप को टैरिफ पर ब्रेक देकर दूसरे देशों से बातचीत का रास्ता खोलना पड़ा।
3. टेस्ला का एशियाई बिजनेस चीन की BYD के हाथों गया: एलन मस्क की टेस्ला ने एशिया में बड़े निवेश किए, लेकिन ट्रंप के टैरिफ के बाद चीन की BYD कंपनी ने उसका बाजार छीन लिया। BYD की इलेक्ट्रिक कारें टेस्ला से सस्ती हैं, जिससे एशियाई देशों ने चीनी कंपनी को तरजीह दी।
4. कर्ज और आमदनी का असंतुलन: टैरिफ लगाने से अमेरिका का निर्यात घटा और डॉलर कमजोर होने से कर्ज चुकाने का बोझ बढ़ गया। यह असंतुलन इतना बढ़ा कि ट्रंप को अपनी नीति बदलनी पड़ी।
5. यूएस फेड ने नहीं सुनी ट्रंप की बात: ट्रंप चाहते थे कि यूएस फेड ब्याज दरें कम करे, लेकिन फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल महंगाई रोकने पर अड़े रहे। टैरिफ से महंगाई और बढ़ने के डर से फेड ने ब्याज दरें कम करने से इनकार कर दिया, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था दबाव में आ गई।
ट्रंप के फैसले पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
लइव मिंट की खबर के मुताबिक प्रॉफिटमार्ट के अविनाश गोरक्षकर कहते हैं, "ट्रंप को यह कदम तभी उठाना पड़ा जब अमेरिकी अर्थव्यवस्था के सामने कई संकट एक साथ आ गए।" वहीं, बसव कैपिटल के संदीप पांडेय मानते हैं, "चीन समेत कई देशों ने अमेरिकी बॉन्ड बेचकर ट्रंप को घुटनों पर ला दिया।"