Is the IIM tag not as strong anymore RTI reveals 59 students of IIM Trichy did not get placement IIM ब्रांड खतरे में? इस संस्थान के 384 छात्रों में से 59 का नहीं हुआ प्लेसमेंट, खूब हो रही चर्चा, Career Hindi News - Hindustan
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IIM ब्रांड खतरे में? इस संस्थान के 384 छात्रों में से 59 का नहीं हुआ प्लेसमेंट, खूब हो रही चर्चा

IIM का टैग कभी गोल्डन टिकट माना जाता था, मगर अब उसी पर सवाल उठने लगे हैं। IIM त्रिची के प्लेसमेंट आंकड़े सामने आते ही सोशल मीडिया पर चिंता और बहस तेज हो गई है।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानThu, 12 June 2025 11:03 PM
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IIM ब्रांड खतरे में? इस संस्थान के 384 छात्रों में से 59 का नहीं हुआ प्लेसमेंट, खूब हो रही चर्चा

एक जमाने में जहां IIM का नाम सुनते ही कॉरपोरेट जगत में करोड़ों के पैकेज की गारंटी मानी जाती थी, वहीं अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या वही चमक अब फीकी पड़ने लगी है? IIM त्रिची के हालिया प्लेसमेंट डेटा से जुड़े एक आरटीआई खुलासे ने इस बहस को और हवा दे दी है। जाने-माने शिक्षक रवि हांडा ने जब यह आंकड़े साझा किए, जिसमें सामने आया कि 2024 बैच के 384 छात्रों में से 59 को कोई प्लेसमेंट नहीं मिला, जबकि सिर्फ 104 छात्रों को ही 20 लाख रुपये से ऊपर का पैकेज मिला।

15 प्रतिशत छात्रों को नहीं मिला प्लेसमेंट

आरटीआई के मुताबिक, करीब 15% छात्र प्लेसमेंट प्रक्रिया से खाली हाथ लौटे, जबकि केवल 27% छात्रों को ही टॉप कंपनियों से अपेक्षित पैकेज मिले। रवि हांडा ने कहा कि यह IIM के लिए सामान्य बात नहीं है। उन्होंने कहा कि जब दाखिले के लिए CAT जैसी कठिन परीक्षा और 20 लाख रुपये से ज्यादा की फीस चुकानी पड़ती है, तब इतना कमजोर रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट चौंकाने वाला है।

इस खुलासे के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने तेजी से चिंता जताई। कई यूजर्स ने कहा कि देशभर में IIM की तेजी से बढ़ती संख्या उनके ब्रांड की खासियत को कम कर रही है। एक यूजर ने लिखा, “हर राज्य में जब IIM होगा, तो आईआईएम का महत्व ही खत्म हो जाएगा।” कई लोगों ने प्लेसमेंट डेटा की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाए, यह दावा करते हुए कि छात्रों पर ऑप्ट आउट फॉर्म साइन कराने का दबाव होता है ताकि 100% प्लेसमेंट का दावा बरकरार रहे।

क्यों कन्नी काटने लगीं हैं कंपनियां

इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अब टॉप टेक कंपनियां और प्रॉडक्ट फर्म्स एमबीए ग्रेजुएट्स को प्राथमिकता नहीं देतीं, बल्कि सीधे IIT या BITS जैसे संस्थानों से इंटर्नशिप के जरिए टैलेंट उठा लेती हैं। एक टिप्पणी में कहा गया, “अब Tier 1 कंपनियां एमबीए की जरूरत नहीं समझतीं, उन्हें सीधे युवा इंटर्न ही बेहतर लगते हैं।” प्लेसमेंट प्रक्रिया में बदलाव और मार्केट की बेरुखी को लेकर एक यूजर ने लिखा, “बच्चे बहुत टैलेंटेड हैं, लेकिन मौके नहीं मिल रहे... मार्केट और एम्प्लॉयर्स अब बहुत सख्त हो गए हैं।”

हालांकि, कुछ लोगों ने 27% छात्रों का 20 लाख से ज्यादा का पैकेज पाना एक नए आईआईएम के लिए एक पॉजिटिव सिग्नल भी बताया। मगर गौर करने वाली बात यह है कि रवि हांडा का फोकस उन 15% छात्रों पर रहा जिन्हें कोई ऑफर नहीं मिला।

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