नक्सल विरोधी अभियानों में जवानों को IED से बचाने वाली डॉगी की मौत, मधुमक्खियों की वजह से गई जान
नक्सल विरोधी ऑपरेशन के दौरान ‘रोलो’ ने जवानों को IED से बचाने के लिए सर्चिंग में बहुत मदद की थी। CRPF जवानों ने हथियार उल्टे कर रोलो को सलामी दी। वहीं CRPF के महानिदेशक ने उसे मरणोपरांत प्रशस्ति पदक से सम्मानित किया है।

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हाल ही में चलाए गए सबसे बड़े नक्सल विरोधी अभियान के दौरान IED विस्फोटों से CRPF जवानों की जान बचाने वाली मादा डॉगी ने हाल ही में अपनी जान गंवा दी। डॉगी की मौत उस वक्त हुई जब एक अभियान के दौरान उस पर मधुमक्खियों के एक झुंड ने हमला करते हुए उसे बुरी तरह घायल कर दिया। इसके बाद तमाम कोशिशों के बावजूद उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। यह घटना कोरगोटालू की पहाड़ियों में हुई, जहां पर तैनात रोलो पर हमला करते हुए मधुमक्खियों ने उसे लगभग 200 डंक मारे, जिससे 27 अप्रैल को उसकी मौत हो गई। मृतक मादा डॉगी का नाम रोलो था और उसकी उम्र दो साल थी, वह बेल्जियम शेफर्ड प्रजाति की थी।
घटना की जानकारी देते हुए सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 27 अप्रैल को एक तलाशी अभियान के दौरान मधुमक्खियों के झुंड ने अचानक रोलो पर हमला कर दिया। हालांकि ऐसा नहीं है कि रोलो को बचाने की कोशिश नहीं की गई। हमले के दौरान रोलो के केयरटेकर्स ने उसे एक पॉलीथीन शीट से ढंक दिया, लेकिन मधुमक्खियां अंदर तक घुस गईं और उसे काट लिया।
अधिकारियों ने बताया कि डंक लगने से हुए तेज दर्द और जलन के कारण रोलो काफी उत्तेजित हो गई और काबू से बाहर होकर पॉलीथीन से बाहर आ गई, जिसके बाद और ज्यादा मधुमक्खियों ने उसे डंक मार दिए, जिसके चलते वह बेहोश हो गई। इस दौरान 200 से ज्यादा डंक लगने की वजह से रोलो बेहोश हो गई। जिसके बाद उसे सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया और उसे आपाताकलीन चिकित्सा दी गई। हालांकि इसके बावजूद अस्पताल ले जाते समय रोलो की दर्दनाक मौत हो गई।
अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी देते हुए पीटीआई को बताया कि सुरक्षाबलों ने हाल ही में माओवादियों के खिलाफ अबतक का जो सबसे बड़ा नक्सल विरोधी अभियान चलाया था, उसमें रोलो पर विस्फोटकों और IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) को सूंघने की जिम्मेदारी थी। उन्होंने बताया कि 21 दिवसीय इस अभियान के दौरान रोलो ने ना केवल अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया, बल्कि नक्सलियों के छिपाए हथियारों के जखीरों को पकड़ाने में भी बड़ा योगदान दिया। हालांकि अभियान के खत्म होने के कुछ ही दिन बाद वह हमारे बीच नहीं रही। उसके योगदान को देखते हुए सीआरपीएफ के महानिदेशक ने मरणोपरांत मादा डॉगी रोलो को प्रशस्ति पदक से सम्मानित किया है।
रोलो को पिछले साल अप्रैल में छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियानों के लिए तैनात किया गया था। इससे पहले कर्नाटक में बेंगलुरु के पास तरालू में सीआरपीएफ के कैनाइन प्रशिक्षण केंद्र में उसे ट्रेनिंग दी गई थी। बता दें कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और छत्तीसगढ़ पुलिस के जवानों के नेतृत्व में चले इस अभियान के दौरान सुरक्षा बलों ने माओवादियों को तगड़ा झटका देते हुए 31 माओवादियों को मार गिराया है। हालांकि इस अभियान में कुल 18 जवान भी घायल हुए हैं, जिनमें से कुछ को लगी घातक चोटों के कारण उनका पैर भी काटना पड़ा।
यह अभियान कोरगोटालू पहाड़ियों पर चलाया गया था, जो कि छत्तीसगढ़ और तेलंगाना राज्य की सीमा (दोनों राज्यों के क्रमशः बीजापुर और मुलुगु जिले) पर स्थित हैं। घने जंगल होने की वजह ये इस इलाके में बड़ी मात्रा में जंगली जानवर, कीड़े-मकोड़े और मधुमक्खियों जैसे जीव-जंतु पाए जाते हैं। घने जंगल उन्हें नक्सलियों के छुपने के लिए एक बेहतरीन और आदर्श जगह बनाते हैं।
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