2 बजे टेक ऑफ होता एयर इंडिया का विमान तो और बड़ा हो सकता था हादसा; क्यों किया जा रहा ऐसा दावा
जिस वक्त हादसा हुआ, तब डॉक्टर लंच ब्रेक में हॉस्टल में आए हुए थे। इस हादसे में जहां प्लेन में सवार 242 में से 241 यात्रियों की मौत हो गई है तो वहीं मेस में मौजूद कुछ डॉक्टर भी इस हादसे की चपेट में आ गए। बताया जा रहा है कि अगर ये प्लेन कुछ देर बाद टेक ऑफ हुआ होता, तो हादसा और बड़ा हो सकता था।

अहमदाबाद के मेघानीनगर में दुर्घटनाग्रस्त हुए विमान के बाद जो तबाही हुई उससे पूरा देश सदमे में है। दोपहर के एक बजकर 38 मिनट पर फ्लाइट टेकऑफ हुई। इसके कुछ देर बाद ही पायलट ने मेडे कॉल किया और देखते ही देखते विमान दुर्घटना ग्रस्त हो गया। फ्लाइट मेघानीनगर में बीजे मेडिकल कॉलेज की हॉस्टल मेस से जाकर टकरा गया। यहां इटर्न डॉक्टर रहते थे। ये एक पांच मंजिला इमारत थी। जिस वक्त हादसा हुआ, तब डॉक्टर लंच ब्रेक में हॉस्टल में आए हुए थे। इस हादसे में जहां प्लेन में सवार 242 में से 241 यात्रियों की मौत हो गई है तो वहीं मेस में मौजूद कुछ डॉक्टर भी इस हादसे की चपेट में आ गए। बताया जा रहा है कि अगर ये प्लेन कुछ देर बाद टेक ऑफ हुआ होता, तो हादसा और बड़ा हो सकता था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक एक इंटर्न कुशाल चौहान मेस में लंच खत्म करके अपने हॉस्टल लौटे ही थे। उन्होंने बताया कि अगर विमान कुछ मिनट बाद नीचे गिरता, तो कई और डॉक्टर इसके शिकार हो सकते थे, क्योंकि ज़्यादातर डॉक्टर ओपीडी खत्म होने के बाद दोपहर 2 बजे लंच के लिए मेस आते हैं।
हॉस्टल मेस में कितने लोगों की मौत
अहमदाबाद एयरपोर्ट से रवाना हुआ एयर इंडिया का AI 171 विमान का अगला हिस्सा अतुल्यम-11 से टकराया था, जो यूजी और पीजी डॉक्टरों के आवासीय क्वार्टर थे। बीच का हिस्सा एक बगीचे और सड़क पर बिखर गया जबकि पिछला हिस्सा डॉक्टरों के मेस पर जा गिरा। जानकारी के मुताबिक इस हादसे में पांच एमबीबीएस छात्र,एक पीजी रेजिडेंट डॉक्टर और एक डॉक्टर की पत्नी इस हादसे का शिकार हो गए।
बताया जा रहा है कि पत्नी गर्भवती थी। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार दोपहर को जब विमान पांच मंजिला इमारत से टकराया, तब डॉक्टर लंच ब्रेक में खाना खाने आए थे। दावा किया जा रहा है कि उस वक्त परिसर में 300 से ज़्यादा डॉक्टर मौजूद थे, इसलिए कुछ रिपोर्टों के मुताबिक मृतकों और घायलों की संख्या ज़्यादा थी। हालांकि इतने बड़े हादसे के बाद भी डॉक्टर अपनी ड्यूटी से पीछे नहीं हटे। पहले उन्होंने मौके पर लोगों का इलाज करना शुरू फिर असप्तालों में युद्धस्तर पर काम किया।
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