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अहमदाबाद प्लेन क्रैश: ब्लैक बॉक्स से खुलेंगे एक्सीडेंट के राज; क्या होता है यह, जानिए पूरी बात?

प्लेन में पायलट और क्रू समेत कुल 242 यात्री सवार थे। अब तक करीब 50 शवों को निकाला जा चुका है। एक्सीडेंट की असल वजह सामने नहीं आई है। बचाव दल प्लेन के ब्लैक बॉक्स को खोजने में लगा हुआ है, ताकि हादसे की असल वजह पता लगा सके।

Ratan Gupta लाइव हिन्दुस्तान, अहमदाबादThu, 12 June 2025 04:01 PM
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अहमदाबाद प्लेन क्रैश: ब्लैक बॉक्स से खुलेंगे एक्सीडेंट के राज; क्या होता है यह, जानिए पूरी बात?

गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में एयर इंडिया का प्लेन कैश हो गया है। विमान ने लंदन के लिए उड़ान भरी थी, तभी हादसे का शिकार हो गया है। प्लेन में पायलट और क्रू समेत कुल 242 यात्री सवार थे। अब तक करीब 50 शवों को निकाला जा चुका है। एक्सीडेंट की असल वजह सामने नहीं आई है। बचाव दल प्लेन के ब्लैक बॉक्स को खोजने में लगा हुआ है, ताकि हादसे की असल वजह पता लगा सके।

क्या होता है ब्लैक बॉक्स

ब्लैक बॉक्स में दो बेहद जरूरी डिवाइस शामिल होते हैं, जो उड़ान से जुड़ी कुछ बेहद जरूरी गतिविधियों को रिकॉर्ड करती हैं। FDR- फ्लाइट डाटा रिसर्च। इस डिवाइस में प्लेन की रफ्तार, ऊंचाई, इंजन की स्थिति, फ्लाइट का रूट, पायलट द्वारा होने वाली गतिविधियों जैसी तकनीकी जानकारी शामिल होती हैं।

वहीं दूसरा डिवाइस का नाम, CVR- कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर होता है। इसमें लगे कॉकपिट में पायलट और को पायलट के बीच हुई बातचीत, अलार्म साउंड और अन्य जरूरी ऑडियो सबूत होते हैं, जिनसे पता लगाया जा सकता है कि एक्सीडेंट के आखिरी समय में क्या बातचीत हुई थी।

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इतना जरूरी क्यों है ब्लैक बॉक्स

इसमें लगे दोनों डिवाइस के काम से इसका योगदान अहम हो जाता है। CVR और FDR ही वो डिवाइस होते हैं, जो प्लेन के हादसे से पहले की सूचनाओं को एकत्र कर लेते हैं। इसकी मदद से तकनीकी एक्सपर्ट पता लगाते हैं कि प्लेन के साथ कोई तकनीकी समस्या पैदा हुई या फिर मानवीय गलती की वजह से हादसा हुआ है। इसलिए अहमदाबाद प्लेन क्रैश के राज को जानने के लिए ब्लैक बॉक्स का मिलना जरूरी है।

एक्सीडेंट में कैसे बचता है ब्लैक बॉक्स

ब्लैक बॉक्स को प्लेन में एक खास और बेहद सुरक्षित जगह पर लगाया जाता है ताकि हादसे के बाद भी इसे सुरक्षित रखा जा सके। इसे आग और पानी से बचाए रखने वाली तकनीक से लैस किया जाता है। मसलन यह बॉक्स 1100 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी को झेल सकता है और समंदर की गहराई में भी अपने आपको बचाए रखने में सक्षम होता है। इसमें खोजने के लिए एक खास तरह का सिग्नल लगाया जाता है, जिसे बीकन सिग्नल कहते हैं।

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