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गुजरात विमान हादसा; खाक हो चुके शवों में अपनों की तलाश, अब तक कितनों की पहचान?

अहमदाबाद विमान हादसे को हुए 30 घंटे से ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन बेहद कम लाशों की शिनाख्त हो पाई है। आलम यह है कि पीड़ित परिजन हादसे में खाक हो चुके शवों में अपनों की तलाश कर रहे हैं।

Krishna Bihari Singh पीटीआई, अहमदाबादSat, 14 June 2025 12:55 AM
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गुजरात विमान हादसा; खाक हो चुके शवों में अपनों की तलाश, अब तक कितनों की पहचान?

अहमदाबाद एयर इंडिया विमान हादसे में मारे गए लोगों के परिजन खाक हो चुके शवों में अपनों को खोज रहे हैं। अपनों के आखिरी अंश के लिए अहमदाबाद पहुंचे लोग डीएनए जांच के लिए उसी बीजे मेडिकल कॉलेज पहुंचे जहां उनके प्रियजन विमान हादसे में जलकर खाक हो गए थे। अहमदबाद में एयर इंडिया के विमान बोइंग 787 ड्रीमलाइनर (एआई 171) हादसे में मारे गए लोगों की पहचान के लिए डीनए जांच की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

265 शवों में से केवल 6 की पहचान

पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि जांच के आधार पर छह लोगों के शव उनके परिजनों को सौंप दिए गए हैं। अहमदाबाद पुलिस के इंस्पेक्टर चिराग गोसाईं ने बताया कि हादसे के बाद सिविल अस्पताल पहुंचे 265 शवों में से छह शवों की पहचान हो गई है। अन्य शव जो पूरी तरह से जल गए हैं उनकी पहचान डीएनए जांच के जरिए होगी जिसे पूरा होने में 72 घंटे का समय लगेगा। डीएनए जांच की प्रक्रिया जारी है।

215 ने साधा संपर्क

हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों में से 215 लोगों ने पुलिस से संपर्क साधा है। सभी लोगों को डीएनए सैंपल देने के लिए बीजे मेडिकल कॉलेज भेजा गया है। डीएनए मिलान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद शवों को सौंपा जाएगा। गोसाईं ने बताया कि अधिकतर शव बुरी तरह से जल गए हैं ऐसे में उनकी पहचान देखने भर से संभव नहीं है।

चार की हालत नाजुक

बीजे मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने बताया कि हादसे में मारे गए मेडिकल छात्रों में से चार के शव उनके परिवारीजनों को सौंप दिए गए हैं। 30 घायल मेडिकल छात्र अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं जिनमें चार की हालत गंभीर बनी हुई है। बीजे मेडिकल कॉलेज के डीएनए जांच लैब के बाहर खड़े लोग बेसुध हालत में सैंपल देने के लिए खड़े थे। किसी के मुख से कोई शब्द नहीं निकल रहा था लेकिन दर्द और बेबसी चेहरे पर साफ झलक रही थी।

बस अपनी बारी का इंतजार

डॉक्टरों को जांच लैब से बाहर-आते जाते लोग बस अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे कि कब उनका नाम पुकारा जाएगा और उनकी तलाश पूरी होगी। डीएनए सैंपल देने पहुंचे लोगों को इतना जरूर पता था कि हादसे में मारे गए उनके अपनों से उनका सामना तभी हो पाएगा जब उनका सैंपल ले लिया जाएगा और जांच प्रक्रिया पूरी होगी, लेकिन इसमें भी 72 घंटे से अधिक का समय लगेगा।

प्रियजनों की डेड बॉडी की तलाश

आलम यह है कि कोई सिविल अस्पताल के शव गृह के बाहर खड़ा है तो कोई बीजे मेडिकल कॉलेज में डीएनए सैंपल देने की प्रक्रिया पूरी करने में जुटा है। गम में डूबे हर शख्स की भूख और प्यास गायब है। लोग बस यही चाहते हैं उनके प्रियजनों के शव उन्हें जल्द से जल्द मिल जाएं। कुछ लोग जहां शव रखे हैं वहां कर्मचारियों से कह रहे हैं कि उन्हें एक झलक दिखला दो, वे अपनों को पहचान लेंगे, लेकिन कर्मी जानते हैं कमरे में रखे शव को पहचानना नामुनकिन है।

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