500 Hiroshima bombs Destruction City killer asteroid 2024 YR4 heading Earth China preparations 500 हिरोशिमा बम के बराबर होगी तबाही? धरती की ओर बढ़ रहा ‘सिटी-किलर’ एस्टेरॉयड, चीन की तैयारी शुरू, International Hindi News - Hindustan
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500 हिरोशिमा बम के बराबर होगी तबाही? धरती की ओर बढ़ रहा ‘सिटी-किलर’ एस्टेरॉयड, चीन की तैयारी शुरू

  • रिपोर्ट के मुताबिक, इतिहास में 1908 में हुए तुंगुस्का घटना से इसकी तुलना की जा रही है, जब साइबेरिया में एक 30-50 मीटर आकार की अंतरिक्षीय चट्टान विस्फोटित हुई थी।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तानTue, 11 Feb 2025 02:29 PM
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500 हिरोशिमा बम के बराबर होगी तबाही? धरती की ओर बढ़ रहा ‘सिटी-किलर’ एस्टेरॉयड, चीन की तैयारी शुरू

क्रिसमस के दिन 2024 में, एक फुटबॉल मैदान के आकार का क्षुद्रग्रह (एस्टेरॉयड) पृथ्वी के करीब से गुजरा। यह चंद्रमा की दूरी से केवल दो गुना दूर था। इस एस्टेरॉयड का नाम 2024 YR4 है। इस घटना के मात्र दो दिन बाद, चिली की एक वेधशाला (Observatory) से खगोलविदों ने इसका अध्ययन किया और पाया कि यह अंतरिक्षीय चट्टान भविष्य में पृथ्वी से टकरा सकती है। नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के अनुसार, 22 दिसंबर 2032 को इसके पृथ्वी से टकराने की 1.6% संभावना जताई जा रही है। हालांकि यह संभावना कम लग सकती है, लेकिन यह ESA की सबसे ज्यादा जोखिम वाली सूची में शामिल किया गया है, जिससे कई देशों में चिंता बढ़ गई है।

2024 YR4: 500 हिरोशिमा बम के बराबर तबाही लाने वाला एस्ट्रॉयड?

अगर 2024 YR4 पृथ्वी से टकराता है, तो यह वैश्विक तबाही नहीं लाएगा, लेकिन स्थानीय स्तर पर भारी विनाश कर सकता है। वैज्ञानिक इसे "शहर विनाशक" (सिटी-किलर) श्रेणी का एस्ट्रॉयड मानते हैं, क्योंकि इसका प्रभाव किसी भी बड़े शहर को नष्ट कर सकता है। टक्कर या वायुमंडलीय विस्फोट से आठ मेगाटन टीएनटी के बराबर ऊर्जा निकल सकती है, जो हिरोशिमा परमाणु बम से 500 गुना अधिक शक्तिशाली होगी।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इतिहास में 1908 में हुए तुंगुस्का घटना से इसकी तुलना की जा रही है, जब साइबेरिया में एक 30-50 मीटर आकार की अंतरिक्षीय चट्टान विस्फोटित हुई थी। इससे 80 लाख से अधिक पेड़ नष्ट हो गए थे, और पूरा क्षेत्र तबाह हो गया था। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2024 YR4 अगर पृथ्वी से टकराता है, तो इसका प्रभाव पूर्वी प्रशांत महासागर, दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, अटलांटिक महासागर, अरब सागर और दक्षिण एशिया तक महसूस किया जा सकता है। यदि यह महासागर में गिरा, तो यह बड़े पैमाने पर सुनामी ला सकता है और तटीय क्षेत्रों में तबाही मचा सकता है।

चीन ने शुरू की तैयारी, क्या दुनिया एस्ट्रॉयड टक्कर के लिए तैयार है?

चीन ने इस संभावित खतरे को देखते हुए अपने अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थानों में एक विशेष ग्रह रक्षा (प्लैनेटरी डिफेंस) टीम का गठन शुरू कर दिया है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, चीन के राष्ट्रीय रक्षा प्रौद्योगिकी प्रशासन ने एस्टेरॉयड की निगरानी और प्रारंभिक चेतावनी अनुसंधान के लिए नई भर्तियों की घोषणा की है। चीनी विज्ञान अकादमी के नेशनल स्पेस साइंस सेंटर के शोधकर्ता ली मिंगताओ ने कहा, "भविष्य में, हमें न केवल उपकरणों की क्षमताओं को बढ़ाने की जरूरत है, बल्कि ग्रह रक्षा के लिए एक समर्पित वैज्ञानिक टीम भी तैयार करनी होगी।"

चीन पहले ही अपने पहले प्लैनेटरी डिफेंस मिशन की रूपरेखा तैयार कर चुका है, जिसे 2030 के दशक की शुरुआत में लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन के तहत एक अंतरिक्ष यान एस्टेरॉयड की कक्षा का अध्ययन करेगा और फिर उसकी दिशा बदलने के लिए टक्कर मारेगा। यह नासा के 2022 के DART मिशन के समान होगा, जिसमें जानबूझकर एक अंतरिक्ष यान को एस्ट्रॉयड से टकराकर उसकी कक्षा बदली गई थी।

2032 में तबाही या महज एक आशंका? एस्ट्रॉयड 2024 YR4 पर वैज्ञानिकों की पैनी नजर

हालांकि कई वैज्ञानिक इसे लेकर सतर्क हैं, लेकिन वे अभी घबराने की जरूरत नहीं समझते। इतिहास बताता है कि जैसे-जैसे नई स्टडी होगी, एस्टेरॉयड की वास्तविक कक्षा की गणना और सटीक होगी, जिससे इसकी टकराने की संभावना कम हो सकती है। इससे पहले, एस्टेरॉयड Apophis को भी 2029 में पृथ्वी के लिए खतरा माना गया था, लेकिन बाद में टकराने की संभावना को शून्य करार दिया गया। नासा के नियर अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज सेंटर के निदेशक पॉल चोडास के अनुसार, "हम बिल्कुल भी चिंतित नहीं हैं, क्योंकि 99% संभावना है कि यह पृथ्वी से नहीं टकराएगा, लेकिन इसे नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता।"

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फिलहाल, एस्टेरॉयड पृथ्वी से दूर जा रहा है और 2028 में यह फिर से नजदीक आएगा। दुनिया भर के वैज्ञानिक और अंतरिक्ष एजेंसियां इसकी निरंतर निगरानी कर रही हैं और समय-समय पर इसके प्रभावों का मूल्यांकन किया जाएगा। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि यदि कभी कोई बड़ा एस्टेरॉयड सच में पृथ्वी के लिए खतरा बन जाए, तो क्या दुनिया उसके लिए तैयार होगी?

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