टेंशन के बीच चीन का परमाणु ऊर्जा पर जोर, 10 नए रिएक्टरों की मंजूरी; अमेरिका को चौंकाने की तैयारी
टैरिफ वॉर के बीच चीन अब परमाणु ऊर्जा पर जोर दे रहा है और उसने 10 और नए रिएक्टरों की मंजूरी दे दी है। इस दशक के अंत तक वह अमेरिका को पछाड़ने की तैयारी कर रहा है।

चीन ने वैश्विक राजनीति और ऊर्जा संकट के बीच अपने परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को और तेजी से बढ़ाने का फैसला किया है। चीन के राज्य परिषद ने 10 नए परमाणु रिएक्टरों को मंजूरी दी, जो न केवल देश की स्वच्छ ऊर्जा नीति को मजबूती देगा, बल्कि चीन को अमेरिका को पछाड़कर दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा उत्पादक बनने के अपने लक्ष्य के और करीब ले जाएगा। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन पर लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ के कारण दोनों के रिश्तों में खटास सामने आई है।
मौजूदा समय में चीन में 30 रिएक्टर निर्माणाधीन हैं, जो दुनिया भर के कुल निर्माणाधीन परमाणु संयंत्रों का लगभग आधा हिस्सा है। अनुमान है कि इस दशक के अंत तक चीन अमेरिका को पछाड़कर दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा उत्पादक बन जाएगा। स्थानीय मीडिया द पेपर के अनुसार, इन 10 रिएक्टरों पर कुल 200 अरब युआन (लगभग 27 अरब डॉलर) का खर्च आएगा। चाइना जनरल न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन (CGN) को फंगचेंगगांग और ताइशान संयंत्रों के लिए 4 रिएक्टरों की मंजूरी मिली है। वहीं, चाइना नेशनल न्यूक्लियर कॉर्पोरेशन, स्टेट पावर इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन, और चाइना हुआनेंग ग्रुप को दो-दो रिएक्टरों की मंजूरी मिली है।
चीन की परमाणु क्षमता में तेजी से वृद्धि
चीन की परमाणु ऊर्जा क्षमता 2025 तक 65 गीगावॉट तक पहुँचने का अनुमान है, जो पिछले साल 60 गीगावॉट से अधिक होगी। 2040 तक यह संख्या 200 गीगावॉट तक पहुंचने की उम्मीद है और यह देश के कुल बिजली उत्पादन का लगभग 10% बन जाएगी।
इस महत्वाकांक्षी योजना को लागू करने के लिए लागत पर नियंत्रण बनाए रखना अहम होगा। इन 10 रिएक्टरों के निर्माण की अनुमानित लागत 27 अरब डॉलर है, जो अमेरिकी और यूरोपीय परियोजनाओं की तुलना में कम है। उदाहरण के लिए, यूके के हिनक्ली प्वाइंट सी पर दो रिएक्टरों की निर्माण लागत 63.7 अरब डॉलर के करीब है।
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