Bangladesh on path of becoming East Pakistan again Muhammad Yunus may also face same fate as Nawaz Sharif फिर से पूर्वी पाकिस्तान बनने की राह पर बांग्लादेश? मुहम्मद यूनुस का भी हो सकता है नवाज शरीफ जैसा हाल, International Hindi News - Hindustan
Hindi Newsविदेश न्यूज़Bangladesh on path of becoming East Pakistan again Muhammad Yunus may also face same fate as Nawaz Sharif

फिर से पूर्वी पाकिस्तान बनने की राह पर बांग्लादेश? मुहम्मद यूनुस का भी हो सकता है नवाज शरीफ जैसा हाल

यूनुस सरकार के खिलाफ देशभर में सरकारी कर्मचारियों, शिक्षकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। सेना की राजनीति में बढ़ती भूमिका को लेकर लोग चिंतित हैं।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानSun, 1 June 2025 10:04 AM
share Share
Follow Us on
फिर से पूर्वी पाकिस्तान बनने की राह पर बांग्लादेश? मुहम्मद यूनुस का भी हो सकता है नवाज शरीफ जैसा हाल

1971 में पाकिस्तान से आजाद हुआ बांग्लादेश आज एक बार फिर उसी दिशा में जाता दिख रहा है, जहां से उसने कभी अलगाव चुना था। 2024 के अगस्त में भड़की छात्र आंदोलनों से शुरू हुई राजनीतिक उथल-पुथल ने प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया और इसके बाद सैन्य हस्तक्षेप ने बांग्लादेश की सत्ता व्यवस्था को हिला कर रख दिया। संकट की निर्णायक घड़ी तब आई जब सेनाध्यक्ष जनरल वाकर-उज-जमान ने सेना को शेख हसीना के कर्फ्यू आदेश न मानने के निर्देश दिए। इसके बाद सेना के समर्थन से नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस की अध्यक्षता में एक अंतरिम सरकार की स्थापना हुई।

टाइम्स नाऊ ने अपनी एक रिपोर्ट में राजनीतिक विश्लेषकों से हवाले से कहा है कि यह घटनाक्रम 1999 में पाकिस्तान में हुए तख्तापलट से मेल खाते हैं। उस समय जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ की चुनी हुई सरकार को हटा दिया था। दोनों देशों में राजनीतिक अस्थिरता के समय सेना ने सत्ता अपने हाथ में ली थी। लोकतांत्रिक सरकारों को हटाकर सेना समर्थित अस्थायी सरकारों का गठन हुआ।

यूनुस सरकार के खिलाफ देशभर में सरकारी कर्मचारियों, शिक्षकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। सेना की राजनीति में बढ़ती भूमिका को लेकर लोग चिंतित हैं कि लोकतांत्रिक संस्थाएं कमजोर हो रही हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं, जो धार्मिक असहिष्णुता और कट्टरता की ओर इशारा करते हैं। यह स्थिति 1971 के पहले के पाकिस्तान जैसी लग रही है, जिससे बांग्लादेश ने खुद को आजाद किया था।

53 साल में पहली सीधी समुद्री लिंक

2024 में पहली बार पाकिस्तान के कराची से एक कार्गो जहाज बांग्लादेश के चट्टोग्राम बंदरगाह पहुंचा। यह कदम दोनों देशों के बीच नए व्यापारिक रिश्तों की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों और स्थानीय पर्यवेक्षकों ने चेताया है कि यदि बांग्लादेश ने जल्द चुनावी प्रक्रिया और लोकतांत्रिक शासन की वापसी का खाका नहीं पेश किया तो देश दीर्घकालिक सैन्य नियंत्रण में फंस सकता है।

कुल मिलाकर बांग्लादेश के लिए यह एक नाजुक दौर है। जिस देश ने पाकिस्तान के सैन्य जुल्म से मुक्ति पाई थी, वही आज उसी रास्ते पर लौटता दिख रहा है। क्या बांग्लादेश लोकतंत्र को पुनः स्थापित कर पाएगा या इतिहास खुद को दोहराएगा — यह आने वाला समय बताएगा।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।