China and US Again face to face on new front amid tariff and trade war, why conflict over South African DRC टैरिफ वॉर के बीच एक नए मोर्चे पर आमने-सामने चीन और US, दक्षिण अफ्रीकी DRC पर क्यों खींचतान, International Hindi News - Hindustan
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टैरिफ वॉर के बीच एक नए मोर्चे पर आमने-सामने चीन और US, दक्षिण अफ्रीकी DRC पर क्यों खींचतान

अमेरिकी सांसदों का कहना है कि चीन कांगो में चोरतंत्र के माध्यम से वहां के अमूल्य खनिजों का दोहन कर रहा है। इसलिए अमेरिका को चीन द्वारा किए जा रहे ऐसे अवैध खनिज दोहन को रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 26 March 2025 03:13 PM
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टैरिफ वॉर के बीच एक नए मोर्चे पर आमने-सामने चीन और US, दक्षिण अफ्रीकी DRC पर क्यों खींचतान

दुनिया की दो बड़ी आर्थिक महाशक्तियों अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक और भू-राजनीतिक लड़ाई कोई नई बात नहीं है लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद से यह प्रतिद्वंद्विता एक बार फिर से चरम पर है। ट्रंप ने शपथ ग्रहण करते ही चीन के खिलाफ टैरिफ वॉर का ऐलान कर दिया और फरवरी में चीनी आयात पर 20 फीसदी तक टैरिफ लगा दिया। इस पर पलटवार करते हुए चीन ने भी अमेरिका से आने वाले LNG पर 15 और बाकी अन्य सामानों पर 10 फीसदी का टैक्स लगा दिया।

दोनों देशों के बीच टैरिफ वॉर के बीच अब अमेरिकी सांसदों ने निचले सदन यानी हाउस ऑफ रिप्रिजेन्टेटिव में मंगलवार को चीन पर लगाम लगाने की मांग की और अफ्रीकी देश कांगो, जिसे डेमोक्रोटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) भी कहा जाता है, में चीन की खनन गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की। प्रतिनिधि सभा में अमेरिकी सांसदों ने ये मांग तब की है, जब ट्रम्प का प्रशासन खनिजों की आपूर्ति के लिए चीनी प्रभुत्व का मुकाबला करने के लिए मध्य अफ्रीकी देश के साथ एक डील सील करने पर विचार कर रहा है लेकिन चीन की पहले से वहां मौजूदगी अमेरिका को खटक रही है।

अमेरिकी सांसदों की क्या मांग?

अमेरिकी सांसदों का कहना है कि चीन कांगो में चोरतंत्र के माध्यम से वहां के अमूल्य खनिजों का दोहन कर रहा है। इसलिए, चीन द्वारा किए जा रहे ऐसे अवैध खनिज दोहन को रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए। 2016 में जॉर्ज क्लूनी और अन्य हॉलीवुड सितारों द्वारा स्थापित वाशिंगटन स्थित गैर-लाभकारी संस्था द सेंट्री की नीति सलाहकार साशा लेझनेव ने कहा, "खनन दुरुपयोग को खत्म करने में सबसे बड़ी बाधा DRC में चोरतंत्र की मौजूदा व्यवस्था है, जिसके तहत वहां के अभिजात्य वर्ग का एक बड़ा समूह वाणिज्यिक भागीदारों के साथ इन खनिज संसाधनों पर कब्जा रखता है और बड़ी आबादी को इसकी पीड़ा झेलने के लिए छोड़ देता है।"

अमेरिका और चीन में टकराव कहां

दरअसल, DRC यानी कांगो कोबाल्ट का दुनियाभर में सबसे बड़ा उत्पादक है। कोबाल्ट के वैश्विक उत्पादन का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ कांगो में होता है। इस खनिज का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों और फोन में यूज होने वाली बैटरियों का एक महत्वपूर्ण घटक है। इसके अलावा कांगो तांबा और एक दर्जन अन्य महत्वपूर्ण धातुओं और दुर्लभ खनिजों का भी प्रमुख स्रोत है। चीन की इस पर लंबे समय से नजर रही है। इसी वजह से बीजिंग ने बेल्ट एंड रोड पहल के जरिए वहां अरबों डॉलर का निवेश किया है।

अमेरिका देगा कांगो को सुरक्षा सुविधा

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्जीनिया के कॉलेज ऑफ विलियम एंड मैरी की एक शोध प्रयोगशाला एडडाटा के अनुसार, 2000 से 2021 के बीच चीनी स्वामित्व वाले लेनदारों ने कांगो में कोबाल्ट और कॉपर खदानों के लिए लगभग 12.85 अरब अमेरिकी डॉलर की 19 लोन को मंजूरी दी। हालांकि, जो बाइडेन के नेतृक्व वाले अमेरिकी प्रशासन ने भी 2023 में कांगो के खनिजों तक अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए कांगो और संसाधन-समृद्ध जाम्बिया को अंगोला से जोड़ने वाली एक रेलवे और रसद परियोजना को फंड उपलब्ध कराने का वादा किया। बाइडेन प्रशासन ने इस पर आगे बढ़ते हुए दोनों देशों से समझौता भी किया लेकिन ट्रंप प्रशासन अब इस पर अहम लीड लेना चाहता है।

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चीनी प्रभुत्व खत्म करने की तैयारी

ट्रंप प्रशासन खनिजों से लबरेज कांगों पर चीनी प्रभुत्व को समाप्त करना चाहता है और खनिजों के दोहन में अपनी हिस्सेदारी चाहता है। ताकि कॉपर और कोबाल्ट जैसे अहम खनिजों के निर्यातक के रूप में चीनी एकाधिकार को खत्म किया जा सके। वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, कांगो के राष्ट्रपति फेलिक्स त्सेसीकेडी ने औपचारिक सुरक्षा समझौते के बदले में ट्रम्प शासन को खनन के अवसर प्रदान किए हैं। विश्लेषकों का कहना है कि कांगों में चोरतंत्र और अपराधियों पर लगाम लगाए बिना शांतिपूर्ण तरीके से खनिज संसाधनों को दोहन नहीं हो सकता है। इसलिए कांगो के लिए अमेरिका से सुरक्षा समझौता करना जरूरी हो गया है। दरअसल, कांगो के खनिज समृद्ध पूर्वी क्षेत्र में रवांडा समर्थित एम23 विद्रोही समूह द्वारा संचालित गतिविधियों ने खनिज दोहन को जटिल बना दिया है। चीन को ऐसे तंत्र का समर्थक माना जाता है।

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