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ट्रंप ने जबरन निकाले सरकारी कर्मचारी, तो चीन को दिखा मौका; खुफिया नेटवर्क के सहारे कर रहा हायरिंग

  • चीन की खुफिया एजेंसियां बेरोजगार सरकारी कर्मचारियों को निशाना बनाकर उन्हें अनजाने में संवेदनशील जानकारी शेयर करने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, वाशिंगटनWed, 26 March 2025 10:13 AM
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ट्रंप ने जबरन निकाले सरकारी कर्मचारी, तो चीन को दिखा मौका; खुफिया नेटवर्क के सहारे कर रहा हायरिंग

एक चौंकाने वाले खुलासे में पता चला है कि चीनी टेक फर्म द्वारा संचालित कंपनियों का एक खुफिया नेटवर्क हाल ही में नौकरी से निकाले गए अमेरिकी सरकारी कर्मचारियों को भर्ती करने की कोशिश कर रहा है। यह जानकारी नौकरी के विज्ञापनों और वाशिंगटन स्थित एक थिंक टैंक के शोधकर्ता के अध्ययन से सामने आई है, जिसने इस अभियान का पर्दाफाश किया।

रहस्यमयी भर्ती नेटवर्क

फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज के वरिष्ठ विश्लेषक मैक्स लेसर ने बताया कि कुछ कंपनियों द्वारा दी गई नौकरियों के विज्ञापन एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा थे, जो फर्जी परामर्श और हेडहंटिंग फर्मों के माध्यम से पूर्व सरकारी कर्मचारियों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) रिसर्चर्स को निशाना बना रहा था।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस नेटवर्क में शामिल चार कंपनियों की सार्वजनिक रूप से बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। ये कंपनियां समान वेबसाइट सर्वर शेयर करती हैं और इनकी डिजिटल उपस्थिति आपस में जुड़ी हुई पाई गई है। इन कंपनियों की वेबसाइटें उसी आईपी एड्रेस पर होस्ट की गई हैं जहां एक अन्य इंटरनेट सेवा कंपनी स्मियाओ इंटेलिजेंस भी स्थित थी, जिसकी वेबसाइट रिपोर्टिंग के दौरान अचानक गायब हो गई।

संदेहास्पद गतिविधियां और फर्जी विवरण

रॉयटर्स ने इन कंपनियों को ट्रैक करने की कोशिश की, लेकिन हर बार उन्हें ठोस जानकारी नहीं मिल पाई। फोन कॉल का जवाब नहीं मिला, कई नंबर बंद पाए गए, पते गलत निकले या फिर वे खाली स्थानों की ओर इशारा कर रहे थे। इसके अलावा, लिंक्डइन और अन्य प्लेटफार्मों से पोस्ट की गई नौकरियों को हटा दिया गया। लेसर ने बताया कि यह नेटवर्क उन सरकारी कर्मचारियों की आर्थिक कमजोरियों का फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है, जो हाल ही में बड़े पैमाने पर हुई छंटनी की वजह से बेरोजगार हो गए हैं।

चीन पर आरोप, लेकिन पुष्टि नहीं

रॉयटर्स यह पुष्टि नहीं कर सका कि इन कंपनियों का चीन सरकार से कोई संबंध है या नहीं, और क्या किसी पूर्व सरकारी कर्मचारी को इस नेटवर्क ने भर्ती किया। हालांकि, व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने चेतावनी देते हुए कहा कि चीन अमेरिका की "खुले और स्वतंत्र सिस्टम" का फायदा उठाने के लिए जासूसी और दबाव की रणनीति अपनाता है। चीनी दूतावास ने किसी भी तरह के संबंध से इनकार करते हुए कहा कि चीन निजता और डेटा सुरक्षा का सम्मान करता है।

फर्जी कंपनियों के जरिए भर्ती का प्रयास

नेटवर्क की एक संदिग्ध कंपनी रिवरमर्ज स्ट्रेटेजीज ने खुद को "भू-राजनीतिक जोखिम परामर्श कंपनी" बताया और फरवरी में अपनी लिंक्डइन प्रोफाइल पर दो नौकरी विज्ञापन पोस्ट किए। इनमें से एक विज्ञापन "भू-राजनीतिक सलाहकार" पद के लिए था, जिसमें सरकारी एजेंसियों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों या बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ काम करने का अनुभव आवश्यक बताया गया था।

एक अन्य कंपनी वेवमैक्स इनोवेशन ने क्रेग्सलिस्ट पर "हाल ही में निकाले गए अमेरिकी सरकारी कर्मचारियों" के लिए नौकरियों का विज्ञापन दिया था, जिसमें प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, नीति विश्लेषण, शोध और तकनीक से जुड़े लोगों को टारगेट किया गया था। जब रॉयटर्स ने इन कंपनियों के दावों की पुष्टि करने के लिए उनके पते पर जाकर जांच की, तो या तो कंपनियां मौजूद नहीं थीं या पते खाली प्लॉट की ओर इशारा कर रहे थे।

पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं

यह पहली बार नहीं है जब चीन पर अमेरिकी कर्मचारियों को फर्जी नौकरी के जरिए लुभाने के आरोप लगे हैं। 2020 में सिंगापुर के नागरिक जुन वेई यो ने अमेरिकी अदालत में कबूल किया था कि उसने अमेरिकी कर्मचारियों को चीन के लिए खुफिया जानकारी देने के लिए प्रभावित किया था। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की खुफिया एजेंसियां बेरोजगार सरकारी कर्मचारियों को निशाना बनाकर उन्हें अनजाने में संवेदनशील जानकारी शेयर करने के लिए प्रेरित कर सकती हैं। एफबीआई के एक प्रवक्ता ने आगाह किया कि चीन की खुफिया एजेंसियां खुद को थिंक टैंक, अकादमिक संस्थान या भर्ती कंपनियों के रूप में पेश कर सकती हैं ताकि वे वर्तमान और पूर्व अमेरिकी सरकारी कर्मचारियों को अपने जाल में फंसा सकें।

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तीन खुफिया विश्लेषकों ने रॉयटर्स को बताया कि यह नेटवर्क विदेशी-संबंधित संस्थाओं द्वारा खुफिया जानकारी जुटाने का एक प्रमुख उदाहरण प्रतीत होता है, जो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अरबपति टेक उद्यमी एलन मस्क के "डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी" (DOGE) द्वारा निकाले गए या रिटायर होने के लिए मजबूर किए गए कर्मचारियों को निशाना बना रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि एक बार इस नेटवर्क में नियुक्त होने के बाद, केंद्रीय कर्मचारियों से सरकारी संचालन के बारे में संवेदनशील जानकारी शेयर करने या अन्य लोगों की सिफारिश करने के लिए कहा जा सकता है।

अमेरिकी खुफिया एजेंसियां इस कथित भर्ती नेटवर्क को लेकर सतर्क हैं और पूर्व सरकारी कर्मचारियों को किसी भी संदिग्ध नौकरी प्रस्ताव से सावधान रहने की सलाह दी गई है। वहीं, चीन ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। हालांकि, यह मामला वैश्विक स्तर पर साइबर जासूसी और डेटा सुरक्षा को लेकर एक बड़ी बहस छेड़ सकता है।

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