टैरिफ पर अमेरिका से डील के लिए चीन ने बदला टॉप अधिकारी, कैसे ट्रंप फैक्टर हावी
- अमेरिका से ट्रेड वॉर के बीच चीन ने अपना नया अंतरराष्ट्रीय शीर्ष वार्ताकार बदला है। जानकार मानते हैं कि यह बदलाव सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि अमेरिका में ट्रंप की सख्त व्यापार नीति के जवाब में एक सधा हुआ कदम हो सकता है।

चीन ने अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापारिक तनाव के बीच अपने शीर्ष अंतरराष्ट्रीय व्यापार वार्ताकार के रूप में ली चेंगगांग को नियुक्त किया है। उन्होंने वांग शोवेन का स्थान लिया है, जो 2020 में अमेरिका-चीन व्यापार समझौते में प्रमुख भूमिका निभा चुके हैं, उस वक्त अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ही थे। जानकार मानते हैं कि यह बदलाव सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि अमेरिका में ट्रंप की सख्त व्यापार नीति के जवाब में एक सधा हुआ कदम हो सकता है। एक्सपर्ट इसे "ट्रंप फैक्टर" की सीधी प्रतिक्रिया मान रहे हैं।
कौन हैं ली चेंगगांग?
ली चेंगगांग चीन के वाणिज्य मंत्रालय में अनुभवी अफसर रहे हैं। वे विश्व व्यापार संगठन (WTO) से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ माने जाते हैं और व्यापार वार्ताओं में अधिक आक्रामक रुख के लिए जाने जाते हैं। उनकी नियुक्ति यह संकेत देती है कि चीन अब अमेरिका के साथ किसी भी संभावित व्यापारिक तनाव के लिए पहले से तैयार रहना चाहता है। 58 वर्षीय ली ने पेकिंग विश्वविद्यालय और जर्मनी के हैम्बर्ग विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की है। उन्होंने चीन के वाणिज्य मंत्रालय में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है, जिसमें संधि और कानून विभाग तथा निष्पक्ष व्यापार विभाग शामिल हैं।
हाल ही में अमेरिका ने चीन से आयातित वस्तुओं पर 145% तक के टैरिफ लगाए हैं, जिसके जवाब में चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर 125% तक के टैरिफ लागू किए हैं। इन टैरिफों के चलते दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव और बढ़ गया है। चीन की अर्थव्यवस्था ने 2025 की पहली तिमाही में 5.4% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि बढ़ते टैरिफों के कारण आने वाले महीनों में यह वृद्धि धीमी हो सकती है।
ट्रंप फैक्टर क्यों अहम
2025 में राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने फिर से चीन को चेतावनी दी है कि यदि चीन व्यापार नियमों में पारदर्शिता नहीं दिखाता, तो अमेरिका एक बार फिर "सबसे बड़ी टैरिफ जंग" शुरू कर सकता है। ऐसे में चीन ने समय रहते अपनी वार्ताकार टीम को मज़बूत करना शुरू कर दिया है।
ली की नियुक्ति से क्या संकेत
ली चेंगगांग की नियुक्ति को विश्लेषक इसलिए अहम मानते हैं क्योंकि वे WTO में चीन की आक्रामक लॉबिंग के प्रमुख चेहरे रहे हैं। वे अमेरिका के साथ कड़ाई से और नियमों के दायरे में रहते हुए टकराव लेने में विश्वास रखते हैं। उनका चयन इस ओर इशारा करता है कि चीन अब "डिफेंस" नहीं, बल्कि "कैल्कुलेटेड ऑफेंस" की रणनीति अपनाना चाहता है।
अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप प्रशासन चीन से आयातित वस्तुओं पर फिर से टैरिफ बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। अगर ऐसा होता है तो 2020 जैसी स्थिति फिर से बन सकती है।
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