China ready import premium goods from India amid trade deficit fair environment Chinese firms हमें भी एक मौका दो, घाटा कराएंगे कम; झटके के बाद भारत से चीन की गुहार, International Hindi News - Hindustan
Hindi Newsविदेश न्यूज़China ready import premium goods from India amid trade deficit fair environment Chinese firms

हमें भी एक मौका दो, घाटा कराएंगे कम; झटके के बाद भारत से चीन की गुहार

  • भारत लंबे समय से चीन के साथ व्यापार असंतुलन को कम करने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए भारत ने फार्मास्यूटिकल्स, आईटी, और कृषि उत्पादों जैसे क्षेत्रों में बाजार पहुंच बढ़ाने की मांग की है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 19 April 2025 10:06 AM
share Share
Follow Us on
हमें भी एक मौका दो, घाटा कराएंगे कम; झटके के बाद भारत से चीन की गुहार

अमेरिका द्वारा चीनी सामानों पर भारी टैरिफ लगाए जाने के बाद चीन ने भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। चीन ने कहा है कि वह भारतीय व्यापार घाटा कम करने में मदद को तैयार है। हाल ही में सामने आई रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा रिकॉर्ड 99.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। इसी के मद्देनजर चीन ने भारत को आश्वस्त किया है कि वह इस असंतुलन को दूर करने के लिए कदम उठाने को तैयार है। हालांकि इसके लिए चीन ने भारत से गुहार लगाते हुए कहा कि उसकी कंपनियों को भी उचित माहौल दिया जाना चाहिए। चीनी राजदूत ने कहा है कि चीन में भारतीय सामानों के लिए बाजार खुला है और प्रीमियम भारतीय उत्पादों का स्वागत किया जाएगा। चीन ने यह भी कहा है कि वह भारतीय कंपनियों को चीनी बाजार की मांगों को समझने और वहां पैर जमाने में हरसंभव मदद करेगा।

भारत में बतौर राजूदत कार्यभार संभालने के बाद टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए अपने पहले इंटरव्यू में चीन के दूत शू फेइहोंग ने कहा कि भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंध ‘विन-विन’ यानी दोनों के लिए लाभदायक होने चाहिए। उन्होंने कहा, "चीन ने कभी व्यापार अधिशेष (ट्रेड सरप्लस) को जानबूझकर नहीं बढ़ाया। यह बाजार की स्वाभाविक प्रवृत्ति का परिणाम है।" राजदूत ने बताया कि साल 2024 में भारत से चीन को मिर्च, लौह अयस्क और कॉटन यार्न जैसे उत्पादों के निर्यात में तेज वृद्धि देखी गई है – जिनमें क्रमशः 17%, 160% और 240% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

चीनी बाजार में भारतीय कंपनियों को मिलेगा बड़ा अवसर

राजदूत शू ने कहा कि चीन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है और यहां का मिडिल क्लास वर्ग विशाल है। भारतीय कंपनियों को चीन इंटरनेशनल इम्पोर्ट एक्सपो (CIIE), चाइना-साउथ एशिया एक्सपो और चाइना इंटरनेशनल कंज्यूमर प्रोडक्ट्स एक्सपो (CICPE) जैसे मंचों का लाभ उठाना चाहिए।

भारत से आग्रह – चीनी कंपनियों को निष्पक्ष वातावरण दें

इंटरव्यू में उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि भारत चीनी कंपनियों को एक निष्पक्ष, पारदर्शी और गैर-भेदभावपूर्ण व्यापारिक वातावरण देगा। इससे दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग और मजबूत होगा तथा दोनों देशों की जनता को इसका वास्तविक लाभ मिलेगा।

भारतीय चिंताओं पर भी दिया जवाब

जब चीन के उपकरणों और मैनपावर पर लगे निर्यात नियंत्रण को लेकर भारत की चिंताओं पर सवाल पूछा गया, तो राजदूत ने साफ किया कि चीन ने कभी ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। उलटा, उन्होंने कहा, “चीनी नागरिकों को भारतीय वीजा पाने में काफी कठिनाई होती है, यहां काम कर रही चीनी कंपनियों को अनुकूल माहौल नहीं मिलता, और मीडिया में अक्सर चीनी निवेश का विरोध सुनाई देता है।” राजदूत ने यह भी कहा कि दोनों देशों को आपसी विश्वास और सहयोग के साथ आगे बढ़ना चाहिए और एक-दूसरे की चिंताओं को समझते हुए समाधान की दिशा में काम करना चाहिए।

PM मोदी के बयान का समर्थन

शू फेइहोंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान का समर्थन किया जिसमें कहा गया था कि ‘प्रतिस्पर्धा को संघर्ष में नहीं बदलना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि संवाद ही स्थायी सहयोगी रिश्ते का आधार है और चीन भारत के साथ ऐसे रिश्ते को मजबूती देना चाहता है। साथ ही उन्होंने SCO समिट में पीएम मोदी का चीन में स्वागत करने की बात भी कही।

सीमा विवाद और राजनयिक प्रयास

दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने की कोशिशें भी जारी हैं। पिछले साल आयोजित 23वें विशेष प्रतिनिधि बैठक में दोनों पक्षों ने सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए सामान्य प्रबंधन और नियंत्रण को मजबूत करने पर जोर दिया था। राजदूत शू ने कहा कि दोनों देशों को समान परामर्श और आपसी सुरक्षा के सिद्धांतों का पालन करते हुए सीमा प्रबंधन नियमों को और परिष्कृत करना चाहिए।

ये भी पढ़ें:टैरिफ के आगे झुका चीन! अमेरिका से करने लगा बात, ट्रंप बोले- कई बार किया संपर्क
ये भी पढ़ें:फर्क नहीं पड़ता; डोनाल्ड ट्रंप के 245 प्रतिशत टैरिफ हमले पर चीन का तंज
ये भी पढ़ें:ट्रंप की नई टैरिफ नीति से US को घाटा, लेकिन भारत के लिए सुनहरा मौका; जानें कैसे

अमेरिका-चीन व्यापार तनाव का प्रभाव

चीन की यह पेशकश अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव के बीच आई है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी सामानों पर 200 फीसदी से ज्यादा जवाबी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जिसके कारण चीन अन्य बाजारों की ओर रुख कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत में चीनी सामानों का आयात और बढ़ सकता है, जो भारतीय घरेलू उद्योगों के लिए चुनौती बन सकता है। भारत सरकार ने सस्ते आयात की निगरानी के लिए एक इकाई स्थापित करने की योजना बनाई है और चीनी निर्यातकों को अमेरिकी शुल्क से बचने में मदद करने वाली फर्मों को चेतावनी दी है।

भारत की रणनीति

भारत लंबे समय से चीन के साथ व्यापार असंतुलन को कम करने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए भारत ने फार्मास्यूटिकल्स, आईटी, और कृषि उत्पादों जैसे क्षेत्रों में बाजार पहुंच बढ़ाने की मांग की है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि भारत को घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना को मजबूत करने, और वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखलाओं जैसे वियतनाम, दक्षिण कोरिया, और ताइवान के साथ साझेदारी बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।