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फिर हांफ रहे पाक को अरबों का कर्ज देगा चीन, इस नई डील से ड्रैगन का डबल फायदा कैसे

विदेशी कर्ज के बोझ और गिरते विदेशी मुद्रा भंडार के चलते पाकिस्तान की हालत पस्त है। चीन उसे अरबों का कर्ज देने जा रहा है। इस डील से चीन ने ना सिर्फ पाकिस्तान को राहत दी है, बल्कि खुद के लिए दोहरा फायदा भी सुनिश्चित किया है।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तानThu, 29 May 2025 09:43 AM
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फिर हांफ रहे पाक को अरबों का कर्ज देगा चीन, इस नई डील से ड्रैगन का डबल फायदा कैसे

आर्थिक बदहाली से जूझ रहे पाकिस्तान को एक बार फिर अपने 'पुराने मददगार' चीन का सहारा मिला है। विदेशी मुद्रा भंडार को डबल डिजिट में बनाए रखने के लिए इस्लामाबाद को अरबों की सौगात मिलने जा रही है। संकट में डूबे मुल्क को राहत जरूर मिलेगी, लेकिन इस डील के पीछे ड्रैगन की दिलचस्प रणनीति छिपी है — एक ऐसा कदम जो केवल कर्ज नहीं, उसे डबल फायदा दे रहा है।

क्या है डील?

पाकिस्तान ने हाल ही में चीन के कमर्शियल बैंकों से लिए गए 1.3 अरब डॉलर के कर्ज की किश्तें लौटा दी हैं। अब चीन ने भरोसा दिलाया है कि ये रकम फिर से युआन में पाकिस्तान को दी जाएगी। इसके अलावा, जून में पाकिस्तान को 2.1 अरब डॉलर (करीब 15 अरब युआन) की एक और सिंडिकेट लोन की अदायगी करनी है, जिसे चीन फिर से युआन में ही रीलेंड करेगा।

ड्रैगन का डबल फायदा

चीन लंबे समय से चाहता है कि उसकी करेंसी ‘युआन’ अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर का विकल्प बने। पाकिस्तान जैसे कमजोर लेकिन रणनीतिक सहयोगी देश को युआन में कर्ज देकर वह अपनी करेंसी की पकड़ मजबूत कर रहा है।

दूसरा फायदा – बढ़ता नियंत्रण

जब किसी देश को बार-बार कर्ज देकर उसकी अर्थव्यवस्था को टिकाया जाता है और वो भी अपनी मुद्रा में, तो उस पर राजनीतिक और आर्थिक दबाव बनाना आसान हो जाता है। पाकिस्तान पहले ही चीन से 4 अरब डॉलर की नकद जमा, 5.4 अरब डॉलर के कमर्शियल लोन और 4.3 अरब डॉलर की ट्रेड फाइनेंस सुविधा ले चुका है।

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चीन की चालाकी

सूत्रों के मुताबिक, चीन ने इस बार ब्याज दर के दो विकल्प दिए हैं- या तो फिक्स्ड ब्याज दर चुनी जाए, या फिर फ्लोटिंग रेट, लेकिन वो भी शिबोर (Shanghai Interbank Offered Rate) से हटकर, यानी चीन की अपनी शर्तों पर।

IMF की कड़ी शर्तें

IMF के अनुसार, पाकिस्तान की विदेशी मुद्रा स्थिति अभी भी बेहद नाजुक है। मौजूदा वित्त वर्ष के अंत तक उसे 14 अरब अमेरिकी डॉलर का रिज़र्व लक्ष्य हासिल करना है। IMF ने यह भी कहा कि बाहरी कमर्शियल लोन की संभावना फिलहाल सीमित है, और पाकिस्तान का अगला ‘पांडा बॉन्ड’ भी सिर्फ छोटा प्रयास होगा।

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