इजरायल के दुश्मनों से गलबहियां, कैसे डोनाल्ड ट्रंप उड़ा रहे अपने दोस्त नेतन्याहू की नींद
डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों मध्य पूर्व दौरे में जिन खाड़ी देशों से गले मिल रहे हैं, अरबों का समझौता कर रहे हैं, इजरायल उन्हें अपना कट्टर दुश्मन मानता है। ट्रंप के इन कदमों से नेतन्याहू की नींद उड़ी हुई है।

मध्य पूर्व दौरे पर निकले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया घोषणाओं ने इजरायल को चौंका दिया है। इजरायल जिन्हें अपना कट्टर दुश्मन मानता है, ट्रंप उनसे नजदीकियां बढ़ा रहे हैं। ट्रंप का यह कदम इजरायल के लिए इसलिए भी हैरान कर देने वाला है, क्योंकि ट्रंप को इजरायल का 'सबसे भरोसेमंद' सहयोगी माना जाता है, वहीं अब उनके फैसलों से नेतन्याहू सरकार में बेचैनी दिख रही है।
ट्रंप ने इजरायल को किनारे किया!
ट्रंप ने इस बार अपने दौरे में इजरायल को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया, जो कि संकेत है कि उनका ध्यान अब अरब देशों, खासकर अमीर खाड़ी देशों—जैसे कतर के साथ आर्थिक साझेदारी पर है। इजरायल कतर पर लंबे समय से हमास को समर्थन देने का आरोप लगाता रहा है।
ईरान, यमन और हमास पर नरमी
दौरे से पहले ही अमेरिका और ईरान के बीच बातचीत ने इजरायल को बेचैन कर दिया था। ट्रंप का यमन में ईरान-समर्थित हूती विद्रोहियों पर बमबारी रोकने का फैसला भी इजरायल को चुभा है, क्योंकि हूती लगातार इजरायल पर मिसाइल दाग रहे हैं। सबसे बड़ी बात, ट्रंप प्रशासन ने गाजा में फंसे अमेरिकी बंधक एडन अलेक्जेंडर की रिहाई के लिए हमास से समझौता किया, जिसे इजरायल एक आतंकी संगठन मानता है। इस पर भी इजरायल को अलग-थलग ही रहना पड़ा।
सीरिया से प्रतिबंध हटाए, इजरायल नाराज
ट्रंप ने सीरिया पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों को हटाने का ऐलान भी कर दिया, जिससे खाड़ी देशों को निवेश के रास्ते मिल जाएंगे। जबकि इजरायल सीरिया की नई सरकार को एक "छिपा हुआ जिहादी शासन" मानता है।
नेतन्याहू की चुप्पी
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने फिलहाल केवल एडन अलेक्जेंडर की रिहाई के लिए ट्रंप का धन्यवाद दिया है, लेकिन अंदरूनी दबाव बढ़ रहा है। इजरायल पहले से ही गाजा युद्ध को लेकर अंतरराष्ट्रीय आलोचना झेल रहा है और सऊदी अरब से रिश्ते सुधारने की कोशिशें ठंडी पड़ी हैं।
इजरायल में क्या चर्चा
इजरायली अखबार इसराइल हायोम में टिप्पणीकार योआव लिमोर ने लिखा, "मध्य पूर्व में नई समीकरणें बन रही हैं, समझौते हो रहे हैं और इजरायल सिर्फ एक दर्शक बना हुआ है।" ट्रंप ने अपनी अरब नीति को इजरायल के हित में बताया है, लेकिन हकीकत ये है कि इस बार अमेरिका की अरब प्राथमिकताओं में इजरायल को कोने में खड़ा कर दिया गया है।
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