अमेरिका को ‘महान’ बनाने का वादा क्या सिर्फ छलावा? ट्रंप के नए टैरिफ प्लान और दावों से उठ रहे सवाल
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भाषण के कई आर्थिक दावे वास्तविकता से मेल नहीं खाते। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अमेरिका को फिर महान बनाने का दावा करने वाले ट्रंप के दावे सिर्फ छलावा है?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित किया और अपने दूसरे कार्यकाल की रूपरेखा पेश की। इस दौरान उन्होंने अपने नीतिगत एजेंडे को स्पष्ट किया। जिसमें टैरिफ, कर कटौती और सरकारी खर्चों में कटौती शामिल हैं। हालांकि, ट्रंप के भाषण के कई आर्थिक दावे वास्तविकता से मेल नहीं खाते। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अमेरिका को फिर महान बनाने का दावा करने वाले ट्रंप के दावे सिर्फ छलावा है? यह भी जानेंगे कि ट्रंप के नए टैरिफ प्लान में कितना दम है।
बढ़ती महंगाई और अंडों की कीमतों का सच
ट्रंप ने अपने संबोधन में दावा किया कि जो बाइडेन के कार्यकाल में अंडों की कीमतें बेकाबू हो गई थीं और अब उनकी सरकार इसे काबू में लाने की कोशिश कर रही है। हालांकि, इस मुद्दे की जड़ें महज सरकारी नीतियों में नहीं बल्कि एक बड़ी स्वास्थ्य आपदा में छिपी हैं। अमेरिका में बर्ड फ्लू के कारण लाखों मुर्गियों को मारना पड़ा, जिससे अंडों की आपूर्ति प्रभावित हुई। इस संकट के चलते 2023 में अंडों की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं। फरवरी 2023 में एक दर्जन सफेद अंडों की कीमत $8 तक पहुंच गई थी, जबकि एक साल पहले यह महज $2.97 थी।
‘इतिहास की सबसे खराब महंगाई’ का दावा गलत
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका ने "48 वर्षों की सबसे खराब महंगाई" झेली और शायद "देश के इतिहास की सबसे खराब महंगाई" भी। लेकिन यह दावा तथ्यों से मेल नहीं खाता। बाइडेन के कार्यकाल के दौरान मुद्रास्फीति 40 साल के उच्चतम स्तर 9.1% तक पहुंच गई थी, लेकिन इसकी वजहें जटिल थीं। इसमें ट्रंप प्रशासन के दौरान जारी किए गए $3.5 ट्रिलियन के प्रोत्साहन पैकेज और कोविड-19 महामारी के बाद सप्लाई चेन संकट का बड़ा हाथ था।
बाइडेन प्रशासन के दौरान महंगाई 2022 के मध्य में चरम पर थी, लेकिन फिर इसमें गिरावट आई और नवंबर 2023 में यह 2.7% हो गई। जनवरी 2024 में यह 3% पर थी, जो ऐतिहासिक स्तरों की तुलना में ज्यादा नहीं मानी जाती।
क्या टैरिफ अमेरिका को ‘समृद्ध’ बनाएंगे?
ट्रंप ने दावा किया कि नए टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने के फैसले से अमेरिका "समृद्ध और महान" बनेगा। लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है। वास्तव में, टैरिफ का बोझ विदेशी कंपनियों पर नहीं बल्कि अमेरिकी उपभोक्ताओं और कंपनियों पर पड़ता है। जब ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में चीन पर शुल्क लगाया था, तब उपभोक्ताओं को अधिक कीमत चुकानी पड़ी थी और अमेरिकी किसानों को नुकसान हुआ था। एक अध्ययन के अनुसार, ट्रंप के टैरिफ से एक आम अमेरिकी परिवार को सालाना $1,200 अतिरिक्त खर्च करने पड़े। इसके अलावा, अमेरिकी कंपनियों ने भी बढ़ी हुई लागत की शिकायत की थी।
ऑटोमोबाइल उद्योग को फायदा या नुकसान?
ट्रंप ने दावा किया कि उनके नए टैरिफ से ऑटोमोबाइल उद्योग में ऐतिहासिक वृद्धि होगी। लेकिन प्रमुख कंपनियों ने इस पर चिंता जताई है। फोर्ड मोटर कंपनी के सीईओ ने कहा कि ट्रंप के टैरिफ से अमेरिकी ऑटो उद्योग को भारी नुकसान होगा। इसी तरह, स्टेलेंटिस (Jeep निर्माता) ने कहा कि ये नीतियां उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को कमजोर करेंगी। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, क्रॉसओवर वाहन की उत्पादन लागत $4,000 तक बढ़ सकती है, जबकि इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें $12,000 तक बढ़ सकती हैं।
आव्रजन और अपराध पर भ्रामक दावे
ट्रंप ने दावा किया कि पिछले चार वर्षों में 21 मिलियन लोग अमेरिका में आए, जिनमें कई "हत्या, मानव तस्करी और संगठित अपराध" में लिप्त थे। हालांकि, यह दावा गुमराह करने वाला है। अमेरिकी इमिग्रेशन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 13,099 ऐसे लोग अमेरिका में मौजूद थे, जिन्हें कभी न कभी हत्या का दोषी पाया गया था। लेकिन ये आंकड़े दशकों के अपराधों को दर्शाते हैं, न कि सिर्फ हाल के वर्षों के। अध्ययनों से यह भी साबित हुआ है कि अवैध प्रवासी अमेरिकी नागरिकों की तुलना में कम अपराध करते हैं।
ट्रंप का आर्थिक विजन कितना कारगर
ट्रंप के संबोधन से यह स्पष्ट होता है कि वे अपने दूसरे कार्यकाल में आक्रामक आर्थिक नीतियों को लागू करना चाहते हैं, जिनमें टैरिफ, टैक्स कटौती और सरकारी खर्चों में कटौती शामिल हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि उनकी कई योजनाओं से उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है।
अब देखना होगा कि ट्रंप की नीतियां वास्तविकता में कितना असर डालती हैं और क्या वे अपने दावों को पूरा कर पाएंगे।
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