How 2 jihadists one with Lashkar e Taiba link got on Trump White House panel in US ट्रंप के वाइट हाउस में जिहादियों की एंट्री, एक का तो लश्कर से संबंध; कश्मीर में फैला चुका है आतंक, International Hindi News - Hindustan
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ट्रंप के वाइट हाउस में जिहादियों की एंट्री, एक का तो लश्कर से संबंध; कश्मीर में फैला चुका है आतंक

यह मामला न केवल अमेरिका की आंतरिक सुरक्षा बल्कि भारत-अमेरिका संबंधों पर भी असर डाल सकता है, खासतौर पर जब इसमें कश्मीर और भारत के खिलाफ साजिशों की बात सामने आई है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, वाशिंगटनSun, 18 May 2025 06:40 AM
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ट्रंप के वाइट हाउस में जिहादियों की एंट्री, एक का तो लश्कर से संबंध; कश्मीर में फैला चुका है आतंक

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने वाइट हाउस के एडवायजरी बोर्ड ऑफ ले लीडर्स में दो ऐसे व्यक्तियों को नियुक्त किया है, जिनके कथित तौर पर इस्लामी जिहादी संगठनों से संबंध रहे हैं। इनमें से एक इस्माइल रॉयर है, जो पहले रेंडेल रॉयर के नाम से जाना जाता था, और दूसरा प्रसिद्ध मुस्लिम स्कॉलर और जायतूना कॉलेज का सह-संस्थापक शेख हमजा यूसुफ है।

इस्माइल रॉयर का पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से सीधा संबंध बताया जा रहा है। इस नियुक्ति ने भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता पैदा कर दी है, क्योंकि रॉयर पर 2000 में पाकिस्तान में लश्कर के ट्रेनिंग कैंप में भाग लेने और कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है।

इस नियुक्ति को लेकर ट्रंप की करीबी और दक्षिणपंथी कार्यकर्ता लारा लूमर ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस्माइल रॉयर की नियुक्ति को "पागलपन" बताया है और आरोप लगाया है कि रॉयर लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी ट्रेनिंग कैंप में प्रशिक्षण ले चुका है और उसने कश्मीर में भारतीय ठिकानों पर फायरिंग जैसी गतिविधियों में हिस्सा लिया है।

आतंकी गतिविधियों में सजा भुगत चुका है इस्माइल रॉयर

इस्माइल रॉयर को 2004 में अमेरिका की एक अदालत ने आतंकवादी गतिविधियों में दोषी पाते हुए 20 साल की सजा सुनाई थी। वह 'वर्जीनिया जिहादी नेटवर्क' से जुड़ा था। एफबीआई की जांच के अनुसार, उसने पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी कैंप में आतंकियों को भेजने और वहां हथियारों की ट्रेनिंग दिलवाने में मदद की थी। 2023 में मिडिल ईस्ट फोरम के साथ एक इंटरव्यू में रॉयर ने अपने जिहादी अतीत को याद करते हुए कहा था, "मुझे लश्कर के लोग पसंद आए। मुझे बताया गया था कि यह एक चरमपंथी समूह नहीं है।"

रिपोर्ट के अनुसार, रॉयर ने अदालत में माना था कि उसने अपने साथियों- मंसूर खान, योंग की क्वोन, मोहम्मद अतीक और ख्वाजा महमूद हसन को पाकिस्तानी आतंकी कैंप में प्रवेश दिलाने में मदद की थी। उसने इब्राहीम अहमद अल-हम्दी को भी आरपीजी यानी रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड के प्रशिक्षण के लिए भेजा था, ताकि भारत के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की जा सके। हालांकि, 20 साल की सजा में से उसने 13 साल जेल में बिताए और अब वह धार्मिक स्वतंत्रता संस्थान के इस्लाम एंड रिलिजियस फ्रीडम एक्शन टीम के निदेशक के रूप में कार्यरत है।

शेख हमजा यूसुफ पर भी लगे कट्टरपंथ से जुड़े आरोप

लारा लूमर ने एक और नियुक्त सदस्य, शेख हमजा यूसुफ पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने दावा किया कि यूसुफ मुस्लिम ब्रदरहुड और हमास जैसे संगठनों से जुड़ा रहा है और ‘जिहाद’ की असली परिभाषा को छिपाने की कोशिश की है। लूमर ने आरोप लगाया कि जायतूना कॉलेज में शरीया कानून की शिक्षा दी जाती है और यह संस्थान इस्लामिक कट्टरपंथ को बढ़ावा देता है। हालांकि, वाइट हाउस की ओर से अब तक इस पूरे विवाद पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

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नियुक्तियों पर तीखी आलोचना

लूमर ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “वाइट हाउस में आतंकवादियों को सलाहकार बनाना शर्मनाक है। यह अमेरिका की सुरक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों का मजाक है।” उन्होंने ट्रंप प्रशासन में पहले कार्यरत रहे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वॉल्ट्ज की बर्खास्तगी को भी इससे जोड़ते हुए संकेत दिए कि ट्रंप के आंतरिक घेरे में कट्टर विचारधारा वाले लोग जगह पा रहे हैं।

गौरतलब है कि लश्कर-ए-तैयबा को भारत में कई आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है, जिसमें 2008 का मुंबई हमला शामिल है, जिसमें 166 लोग मारे गए थे। हाल ही में, भारत ने "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर सटीक हमले किए थे। इन हमलों में लश्कर के मुरीदके स्थित मार्कज तैबा प्रशिक्षण केंद्र को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया था।

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