...तो क्या हम आपके सामने हरदम कटोरा थामे रहें, ईरान के सर्वोच्च नेता ने ट्रंप से क्यों कही खरी-खरी
86 वर्षीय खामेनेई ने अगस्त के अंत में एक भाषण में अमेरिका के साथ संभावित वार्ता का द्वार खोलते हुए कहा था कि दुश्मन के साथ बातचीत करने में कोई बुराई नहीं है। ईरान में खामेनेई ही राज्य के सभी मामलों पर अंतिम निर्णय लेते हैं।

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने तेहरान के तेजी से बढ़ते परमाणु कार्यक्रम पर वार्ता के दौरान पेश किए गए अमेरिका के प्रारंभिक प्रस्ताव की आलोचना की है। हालांकि, उन्होंने वाशिंगटन के साथ समझौते के विचार को पूरी तरह खारिज नहीं किया। बुधवार को अयातुल्ला अली खामेनेई ने अमेरिकी प्रस्ताव को ‘हम कर सकते हैं’ (ईरान सरकार का नारा) की अवधारणा के पूरी तरह खिलाफ बताया और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि तेहरान को यूरेनियम संवर्धन की अपनी क्षमता हर हाल में बनाए रखनी होगी।
खामेनेई ने कहा, ‘‘अगर हमारे पास 100 परमाणु ऊर्जा संयंत्र हैं और उनका संवर्धन नहीं हुआ है तो वे हमारे लिए किसी काम के नहीं रह जाएंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम संवर्धन नहीं कर सकते तो हमें अमेरिका के सामने हाथ फैलाना पड़ेगा।’’ उन्होंने कहा कि अमेरिका भी यही चाहता है तो क्या हम उसके सामने हाथ फैलाते रहेंगे। उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा से संपन्न कुछ राष्ट्र बाहरी आपूर्तिकर्ताओं से यूरेनियम प्राप्त करते हैं। बहरहाल, ईरान और अमेरिका के बीच पांच दौर की वार्ता के बाद भी अमेरिकी प्रस्ताव का विवरण साफ नहीं हो सका है।
अमेरिकी प्रस्ताव में क्या?
समाचार वेबसाइट ‘एक्सियोस’ की एक खबर में अमेरिकी प्रस्ताव का विवरण दिया गया है, जिसकी पुष्टि एक अमेरिकी अधिकारी ने अलग से की है। खबर के अनुसार, प्रस्ताव में ईरान और आसपास के देशों के लिए यूरेनियम संवर्धन करने वाले एक संभावित परमाणु संघ की बात भी शामिल है। हालांकि, यह अब भी स्पष्ट नहीं है कि ईरान को अपना संवर्धन कार्यक्रम पूरी तरह से छोड़ना होगा या नहीं, क्योंकि ‘एक्सियोस’ ने खबर दी है कि ईरान कुछ समय तक तीन प्रतिशत शुद्धता तक यूरेनियम का संवर्धन कर सकेगा।
ट्रंप की प्राथमिकता में क्यों ईरान?
ईरान के साथ समझौता करना अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके भरोसेमंद मित्र एवं पश्चिम एशिया के मामलों के लिए अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ की कूटनीतिक प्राथमिकताओं में से एक है। समझौते के तहत अमेरिका ईरान पर लगाए गए कुछ कठोर आर्थिक प्रतिबंधों को हटा सकता है जिसके बदले में ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन को सीमित कर सकता है या समाप्त कर सकता है। बता दें कि दोनों देशों के बीच समझौता न होने पर पश्चिम एशिया में तनाव और बढ़ सकता है जहां गाजा पट्टी में इजरायल-हमास युद्ध के कारण पहले से ही तनावपूर्ण स्थिति है।
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