परमाणु ठिकाने ही नहीं, ईरानी सरकार को भी हटाना चाहता है इजरायल? खतरनाक बन रहे हालात
अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस तनाव को कम करने की कोशिश में जुटा है, लेकिन तेल की कीमतों में उछाल और क्षेत्रीय अस्थिरता ने वैश्विक चिंता बढ़ा दी है। किस ओर जा रही ये जंग?

ईरान के खिलाफ इजरायल द्वारा शुक्रवार सुबह-सुबह किए गए व्यापक हमलों ने पश्चिम एशिया में तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है। इन हमलों में ईरान के परमाणु कार्यक्रम और बैलिस्टिक मिसाइल ठिकानों को निशाना बनाया गया। इन हमलों के बाद ईरान ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार और अमेरिका के खिलाफ "कठोर जवाबी कार्रवाई" की धमकी दी है, हालांकि अमेरिका ने इन हमलों में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है। ईरान के सरकारी टेलीविजन ने बताया कि इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के प्रमुख होसैन सलामी हमले में मारे गए हैं। इन हमलों ने तेल की कीमतों में उछाल ला दिया और वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी। हमले में ईरान के परमाणु स्थलों के अलावा शीर्ष सैन्य कमांडरों को निशाना बनाया गया।
परमाणु ठिकानों को नष्ट करने के लिए कई दिन के हमलों की जरूरत: एंड्रिया स्ट्रिकर
फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज में नॉनप्रोलिफरेशन और बायोडिफेंस प्रोग्राम की उप निदेशक एंड्रिया स्ट्रिकर के अनुसार, "ईरान की परमाणु सुविधाओं को नष्ट करने के लिए कई दिनों तक फाइटर जेट्स से बमबारी या मिसाइल हमले की जरूरत होगी। विशेष रूप से फोर्डो संवर्धन स्थल पर जोकि 60 से 90 मीटर की गहराई पर है। इसके अलावा, नतान्ज के पास एक नया यूरेनियम संवर्धन स्थल है जो 100 मीटर से अधिक गहराई पर पहाड़ के नीचे है। उसको नष्ट करने के लिए भारी बंकर बस्टर बमों की आवश्यकता होगी।" स्ट्रिकर ने यह भी कहा कि अमेरिका के पास सबसे शक्तिशाली बंकर बस्टर बम हैं, लेकिन इजरायल भी अपने दम पर कुछ हद तक हमले करने में सक्षम है।
ईरानी पलटवार: सैन्य ठिकानों से लेकर नागरिक इलाकों तक हो सकता है निशाना
एंड्रिया स्ट्रिकर ने चेताते हुए कहा कि “ईरान शायद इजरायली सैन्य ठिकानों, बेसों या कमांड सेंटरों को निशाना बनाएगा। लेकिन अगर वह आम नागरिक इलाकों पर हमला करता है, तो वह पूरी तरह आतंक फैलाने का इरादा दिखाएगा।”
सबसे खतरनाक स्थिति होगी नागरिकों पर अंधाधुंध हमला- रॉजर शैनहन
मध्य पूर्व विशेषज्ञ और ऑस्ट्रेलियाई सेना के पूर्व अधिकारी रॉजर शैनहन ने कहा, “अगर ईरान ने इजरायल के नागरिक इलाकों पर अंधाधुंध हमला किया, तो वह ‘नो रिटर्न’ वाली स्थिति बन सकती है। अगर जवाबी हमला सैन्य स्तर पर सीमित रहा, तो स्थिति संभाली जा सकती है, लेकिन आम लोगों पर हमला युद्ध को अंजाम तक ले जा सकता है।”
यह एक लंबा सैन्य अभियान हो सकता है- मारा रडमैन
वर्जीनिया विश्वविद्यालय की प्रोफेसर और पूर्व अमेरिकी मध्य पूर्व शांति दूत मारा रडमैन ने कहा, “इजरायल का यह एकमात्र हमला नहीं होगा। इसके पीछे एक लंबा रणनीतिक मकसद है- ईरान की परमाणु क्षमताओं को पूरी तरह से खत्म करना। ऐसे में यह संघर्ष लंबा और प्रतिक्रियात्मक हो सकता है। इजरायल का यह एकमात्र हमला नहीं होगा।”
संकट का दायरा सीमित रहेगा: बिलाहारी कौसिकन
सिंगापुर के पूर्व राजनयिक बिलाहारी कौसिकन का मानना है कि यह युद्ध क्षेत्रीय दायरे में ही रहेगा। उन्होंने कहा, “अधिकतर सुन्नी अरब देश चुपचाप इजरायल के साथ हैं। ईरान वैश्विक स्तर पर आतंकी हमले कर सकता है, लेकिन यह व्यापक युद्ध तभी बनेगा जब कोई बड़ी शक्ति ईरान का साथ दे। रूस यूक्रेन में व्यस्त है, और चीन की मध्य पूर्व में सैन्य और कूटनीतिक नीतियां ज्यादातर दिखावटी हैं।” कौसिकन ने आगे कहा, “ईरान की मिसाइलें पिछले साल इजरायल पर असरदार नहीं रहीं। हिजबुल्ला और हमास की ताकत पहले ही काफी कमजोर हो चुकी है। हां, ईरान इस बार सऊदी अरब, यूएई, बहरीन और खाड़ी के शिपिंग पर हमले कर सकता है, लेकिन हालात 'महाविनाश' की ओर नहीं बढ़ेंगे।”
बातचीत के ठीक पहले हमला, बुरा संकेत – निकोल ग्रजेव्स्की
कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस में न्यूक्लियर पॉलिसी प्रोग्राम की फेलो निकोल ग्रजेव्स्की ने कहा, “यह सबसे खराब स्थिति के करीब है। अमेरिका-ईरान वार्ता चल रही थी, और इजरायल ने अकेले कार्रवाई करते हुए ईरान के सैन्य नेतृत्व और नागरिकों को निशाना बनाया। ईरान की जवाबी कार्रवाई नागरिक हताहतों की संख्या, नेताओं को निशाना बनाए जाने और उसकी क्षमताओं को हुए नुकसान पर निर्भर करेगी।”
निशाना परमाणु नहीं, बल्कि शासन को अस्थिर करना है? – जेफरी लुईस
परमाणु नीति विशेषज्ञ और मिडलबरी इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर जेफरी लुईस ने पोस्ट किया, “अगर इजरायल अकेले यह कर रहा है, तो इस हमले का ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर दीर्घकालिक असर नहीं होगा। शायद यह शासन को अस्थिर करने की रणनीति का हिस्सा हो।”
क्या यह सिर्फ 'न्यूक्लियर स्ट्राइक' है या कुछ बड़ा? – अंकित पांडा
कार्नेगी एंडोमेंट के वरिष्ठ फेलो अंकित पांडा ने सवाल उठाया, “इजरायल कह रहा है कि यह सिर्फ परमाणु क्षमताओं को खत्म करने की कोशिश है, लेकिन अगर हमले में ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (जैसे सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल) के सदस्य भी निशाने पर रहे, तो ईरान इसे सीधे तौर पर शासन परिवर्तन की कोशिश मानेगा।”
इजरायल के इन हमलों ने एक बार फिर दुनिया को उस संकट की याद दिला दी है, जो पश्चिम एशिया में हर पल भड़क सकता है। आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि ईरान की प्रतिक्रिया कितनी सीमित या व्यापक होगी और क्या अमेरिका को एक बार फिर सीधे तौर पर इस टकराव में शामिल होना पड़ेगा। पूरा क्षेत्र इस समय बारूद के ढेर पर बैठा है – और एक चिंगारी पूरे मध्य-पूर्व को जला सकती है।
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