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'शी जिनपिंग की बेटी को निकालो', अमेरिका में क्यों हो रही मांग? इस फैसले से भड़का चीन

रुबियो की घोषणा के अनुसार, अमेरिका न केवल वर्तमान वीजा रद्द करेगा, बल्कि भविष्य में चीन और हांगकांग से आने वाले सभी वीजा आवेदनों पर सख्त जांच लागू करेगा। ये विवाद और गहरा सकता है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, वाशिंगटनThu, 29 May 2025 02:29 PM
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'शी जिनपिंग की बेटी को निकालो', अमेरिका में क्यों हो रही मांग? इस फैसले से भड़का चीन

अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने बुधवार को घोषणा करते हुए कहा है कि अमेरिका उन चीनी छात्रों के वीजा रद्द करेगा जिनका संबंध चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से है या जो संवेदनशील क्षेत्रों में पढ़ाई कर रहे हैं। इस घोषणा के बाद, "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन" (MAGA) समर्थकों ने सोशल मीडिया पर भड़काऊ प्रतिक्रियाएं दीं हैं। कई लोगों ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बेटी शी मिंग्जे को निर्वासित करने की मांग की। दूसरी ओर, चीन ने इस फैसले की कड़ी निंदा की है, इसे "राजनीति से प्रेरित" और "अमानवीय" करार दिया है।

अमेरिका का फैसला और MAGA की प्रतिक्रिया

मार्को रुबियो ने अपने आधिकारिक X हैंडल पर लिखा, "अमेरिका उन चीनी छात्रों के वीजा रद्द करना शुरू करेगा, जिनका चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से संबंध है या जो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पढ़ाई कर रहे हैं।" इस बयान के बाद, MAGA समर्थक और कट्टर कार्यकर्ता लॉरा लूमर ने X पर लिखा, "चलो शुरू करते हैं! शी जिनपिंग की बेटी को निर्वासित करो!"। लूमर ने कहा, "सूत्रों ने मुझे बताया है कि चीन की सत्ताधारी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के PLA गार्ड मैसाचुसेट्स में अमेरिकी धरती पर उसे प्राइवेट सुरक्षा प्रदान करते हैं!"

शी जिनपिंग की इकलौती बेटी शी मिंग्जे हमेशा से ही लोगों की नजरों से दूर रही हैं। उन्होंने कथित तौर पर कई साल पहले हार्वर्ड विश्वविद्यालय में एक गोपनीय नाम से पढ़ाई की थी। हालांकि, उनके वर्तमान ठिकाने के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है, लेकिन MAGA समर्थकों ने इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर उछाला, जिससे यह विवाद और गहरा गया।

चीन का भारत के बाद दूसरा स्थान

अमेरिका में बाहर से पढ़ने आने वाले छात्रों के लिहाज से चीन का भारत के बाद दूसरा स्थान है। चीनी छात्रों का आंकड़ा 2023-2024 के शैक्षणिक वर्ष में 270,000 से अधिक का था, जो अमेरिका में सभी विदेशी छात्रों का लगभग एक चौथाई हिस्सा था। रूबियो ने मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए नये वीजा इंटरव्यू के आयोजन को रोक दिया क्योंकि विभाग सोशल मीडिया पर उनकी गतिविधियों की अधिक जांच के लिए दिशा-निर्देश तैयार कर रहा है। इससे विदेशी छात्रों में असमंजस बढ़ गया है।

विस्कॉन्सिन-ओशकोश विश्वविद्यालय के छात्र व्लादिस्लाव प्लायाका अपनी मां से मिलने और अपना वीजा रिन्यू कराने के लिए पोलैंड जाने की योजना बना रहे थे, लेकिन उन्हें नहीं पता कि अब यह कब संभव होगा क्योंकि वीज़ा नवीनीकरण की सुविधाएं निलंबित हैं। प्लायाका ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि इस समय मुझे सिस्टम पर पर्याप्त भरोसा है।" हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय छात्रों का नामांकन रोकने की कोशिश की थी, जिसे फिलहाल अदालत ने रोका है। ट्रंप ने कहा कि हार्वर्ड में विदेशी छात्रों की संख्या 15 प्रतिशत तक सीमित होनी चाहिए जहां वर्तमान में विदेशी छात्रों की संख्या एक चौथाई से ज्यादा है। उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं कि विदेशी छात्र हमारे देश से प्रेम करें।”

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आखिर क्यों लिया इतना बड़ा फैसला?

रुबियो के इस फैसले की पृष्ठभूमि में अमेरिका का वह दावा है कि कुछ चीनी छात्र अमेरिकी विश्वविद्यालयों में संवेदनशील तकनीकी जानकारी तक पहुंच सकते हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। मंगलवार को, विदेश विभाग ने रुबियो के हस्ताक्षर के साथ एक केबल जारी किया, जिसमें कहा गया कि सोशल मीडिया स्क्रीनिंग और वेटिंग प्रक्रिया के विस्तार की तैयारी के लिए, छात्र और एक्सचेंज विजिटर (F, M, और J) वीजा के लिए नई नियुक्ति क्षमता को तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए।

चीन की प्रतिक्रिया

चीन ने अमेरिका के इस कदम को "भेदभावपूर्ण" और "अनुचित" बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "यह कदम न केवल चीनी छात्रों के शैक्षिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान को भी नुकसान पहुंचाता है।" उन्होंने इसे "शीत युद्ध की मानसिकता" का परिणाम बताया और चेतावनी दी कि इस तरह के कदमों से दोनों देशों के संबंध और बिगड़ सकते हैं।

चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर भी इस मुद्दे ने जोर पकड़ा है, जहां कई यूजर्स ने अमेरिका पर "चीन विरोधी नीति" अपनाने का आरोप लगाया। कुछ ने इसे "नस्लीय भेदभाव" का उदाहरण बताया, जबकि अन्य ने इसे अमेरिकी राजनीति में आंतरिक उथल-पुथल से ध्यान हटाने की कोशिश करार दिया।

दोनों देशों में जारी है तनाव

यह कदम ऐसे समय में आया है, जब अमेरिका और चीन के बीच तनाव पहले से ही चरम पर है। व्यापार, तकनीक, और मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर दोनों देशों के बीच लंबे समय से मतभेद चले आ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि वीजा रद्द करने का यह फैसला न केवल चीनी छात्रों को प्रभावित करेगा, बल्कि अमेरिकी विश्वविद्यालयों को भी आर्थिक नुकसान हो सकता है, जो अंतरराष्ट्रीय छात्रों की फीस पर काफी हद तक निर्भर हैं।

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