भारत को नाराज करने का इरादा नहीं था, मुइज्जू ने फिर दी सफाई; चीन से यारी पर भी बोले
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कहा कि इंडिया आउट अभियान को गलत समझे जाने की बात कही और भारत सहित सभी देशों के साथ संतुलित, पारस्परिक रूप से लाभकारी संबंधों पर जोर दिया।

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु ने एक बार फिर भारत के साथ अपने देश के रिश्तों को मजबूत करने और सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई है। उन्होंने कहा, "हम भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को पूरी तरह से स्वीकार करते हैं। भारत हमारा निकटतम पड़ोसी है और लंबे समय से विकास साझेदार के रूप में रहा है।" इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि मालदीव अपनी भौगोलिक स्थिति का किसी भी देश द्वारा दुरुपयोग नहीं होने देगा। यह बयान मालदीव और भारत के बीच संबंधों में हाल के बदलावों और मुइज्जु की नीतियों में नरमी को दर्शाता है।
"इंडिया आउट" के बाद बदले सुर
मोहम्मद मुइज्जु ने 2023 में मालदीव के राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाला था। उनकी चुनावी मुहिम "इंडिया आउट" नारे पर आधारित थी, जिसमें उन्होंने भारत की मालदीव में सैन्य मौजूदगी को समाप्त करने और देश की संप्रभुता को मजबूत करने का वादा किया था। उनके इस रुख ने भारत-मालदीव संबंधों में तनाव पैदा किया था, खासकर तब जब उन्होंने भारतीय सैनिकों को मालदीव से हटाने की मांग की थी। मालदीव में करीब 88 भारतीय सैन्य कर्मी दो हेलीकॉप्टर और एक डोर्नियर विमान के संचालन के लिए तैनात थे, जो मुख्य रूप से मानवीय सहायता और चिकित्सा निकासी के लिए उपयोग किए जाते थे। मई 2024 तक, भारत ने मालदीव के साथ समझौते के तहत अपने सैन्य कर्मियों को वापस बुला लिया और उनकी जगह नागरिक तकनीकी कर्मचारियों को तैनात किया। इसके बाद, मुइज्जु ने भारत के प्रति अपने रुख में नरमी दिखाई और दोनों देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में कदम उठाए।
मुइज्जु का भारत के प्रति बदला रुख
सेलोन टुडे को दिए इंटरव्यू में मुइज्जु ने भारत को मालदीव का "निकटतम सहयोगी" और "महत्वपूर्ण विकास साझेदार" बताया। उन्होंने कहा, "हम भारत के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।" यह बयान उनके पहले के "इंडिया आउट" अभियान से काफी अलग है, जिसके कारण भारत-मालदीव संबंधों में तनाव देखा गया था।
जब उनसे चुनावी अभियान के दौरान उभरे “इंडिया आउट” आंदोलन के बारे में पूछा गया, तो राष्ट्रपति मुइज्जू ने स्पष्ट किया कि इस आंदोलन की भावना भारत विरोधी नहीं थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस आंदोलन को गलत समझा गया। उन्होंने कहा, “यह आंदोलन किसी देश के खिलाफ नहीं था, बल्कि विदेशी सैन्य बलों की उपस्थिति, खासकर भारतीय सैन्य कर्मियों की हमारे देश से वापसी की मांग कर रहा था। हमारे नागरिक स्वतंत्रता और आंतरिक मामलों में गैर-हस्तक्षेप को महत्व देते हैं।” उन्होंने आगे बताया कि सत्ता में आने के बाद उनकी सरकार ने भारत के साथ संवाद के ज़रिए इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाया और भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी सुनिश्चित की गई, लेकिन इसके साथ ही द्विपक्षीय रिश्तों को भी मजबूती मिली।
मुइज्जु का यह बयान मालदीव की आर्थिक चुनौतियों और क्षेत्रीय भू-राजनीति के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। मालदीव की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर है, और भारत इसका सबसे बड़ा पर्यटक स्रोत रहा है। 2023 में 2 लाख से अधिक भारतीय पर्यटकों ने मालदीव की यात्रा की थी, लेकिन मुइज्जु के भारत-विरोधी रुख और कुछ मालदीव मंत्रियों द्वारा भारत के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणियों के बाद 2024 में भारतीय पर्यटकों की संख्या में 42% की कमी आई।
चीनी जहाज को दी थी इजाजत
मुइज्जू ने कहा कि जब श्रीलंका ने एक चीनी शोध जहाज को अपने बंदरगाह पर आने की अनुमति नहीं दी, तब मालदीव ने उसे अनुमति दी थी, लेकिन इसका उद्देश्य किसी देश को नाराज करना नहीं था। उन्होंने कहा कि यह फैसला मालदीव की संप्रभुता और स्वतंत्र विदेश नीति के तहत लिया गया था। उन्होंने कहा, “हमारा यह निर्णय किसी भी देश को नाराज करने या तनाव पैदा करने के लिए नहीं था। यह केवल यह दर्शाता है कि हमारा देश एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में स्वतंत्र रूप से कार्य करता है, जैसा कि कोई भी अन्य स्वतंत्र देश करता है। हमने खुले और स्वतंत्र नौवहन को संतुलित और सम्मानजनक तरीके से समर्थन देने का इरादा किया था। इसमें कोई छिपा हुआ मकसद नहीं था, और हमने निश्चित रूप से विदेशी जहाज को हमारी जलसीमा में कोई अनुसंधान करने की अनुमति नहीं दी।”
आर्थिक संकट और भारत की सहायता
मालदीव वर्तमान में गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। देश के विदेशी मुद्रा भंडार 440 मिलियन डॉलर तक कम हो गया है, जो केवल डेढ़ महीने के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त है। मूडीज ने मालदीव की क्रेडिट रेटिंग को डाउनग्रेड कर दिया है, और 2025 में 600 मिलियन डॉलर और 2026 में 1 बिलियन डॉलर से अधिक के कर्ज भुगतान का जोखिम बना हुआ है।
इस संकट से निपटने के लिए मुइज्जु ने भारत की ओर रुख किया है। अक्टूबर 2024 में अपनी पहली भारत यात्रा के दौरान, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात की और 400 मिलियन डॉलर के मुद्रा स्वैप समझौते सहित 30 बिलियन रुपये की वित्तीय सहायता प्राप्त की। इसके अलावा, भारत ने मालदीव के हनिमाधू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक रनवे का उद्घाटन किया और कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए सहायता प्रदान की।
चीन को लेकर 'प्रो-चाइना' के आरोपों पर सफाई
जब उनसे पूछा गया कि उनकी सरकार को अक्सर ‘चीन समर्थक’ या ‘चीन के रणनीतिक हितों के प्रति नरम’ कहा जाता है, तो राष्ट्रपति मुइज्जू ने इसका भी खंडन किया। उन्होंने कहा कि चीन के साथ मालदीव के रिश्ते दशकों पुराने हैं, और चीन ने विशेष रूप से बुनियादी ढांचे जैसे कि आवास निर्माण में सहयोग किया है। मुइज्जू ने कहा, “हमारी विदेश नीति किसी एक देश के प्रति झुकी हुई नहीं है। हम भारत, अमेरिका सहित सभी साझेदारों के साथ संतुलित और रचनात्मक तरीके से काम करना चाहते हैं। हमारा उद्देश्य है- मालदीव का विकास, स्वतंत्रता की रक्षा, और शांतिपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संबंधों को बढ़ावा देना।”
मालदीव की भू-राजनीतिक रणनीति
मुइज्जु ने यह भी स्पष्ट किया कि मालदीव अपनी भौगोलिक स्थिति का किसी भी देश द्वारा दुरुपयोग नहीं होने देगा। यह बयान भारत और चीन के बीच मालदीव की रणनीतिक स्थिति को संतुलित करने की उनकी कोशिश को दर्शाता है। मुइज्जु ने पहले चीन के साथ भी करीबी रिश्ते बनाए थे और जनवरी 2024 में अपनी चीन यात्रा के दौरान कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका "इंडिया आउट" अभियान चीन को लाने के लिए नहीं था, बल्कि मालदीव की संप्रभुता को मजबूत करने के लिए था।
मालदीव के विपक्ष की प्रतिक्रिया
मुइज्जु के भारत के प्रति बदले रुख ने मालदीव में विपक्षी दलों, विशेष रूप से मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) के नेताओं, की आलोचना को जन्म दिया है। पूर्व विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने मुइज्जू पर "दोहरे मानदंड" अपनाने और 2023 के चुनाव अभियान में भारत के खिलाफ "झूठे दावे" करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मुइज्जू ने भारत के साथ समझौतों को संप्रभुता के लिए खतरा बताया था, लेकिन अब वह कह रहे हैं कि इन समझौतों में कोई गंभीर चिंता नहीं है। पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने भारत और मालदीव को "प्राकृतिक साझेदार" बताते हुए मुइज्जु की भारत यात्रा और संबंधों को सुधारने की दिशा में उनके प्रयासों की सराहना की।
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