मोहम्मद यूनुस की सरकार ऊपर से नीचे तक सड़ी है; विरोध में सड़कों पर उतरा हुजूम, बढ़ रहा बवाल
बेगम खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी के लोगों ने यह आंदोलन किया, जिसमें देश भर से हजारों लोगों की भीड़ जुटी। राजधानी के सभी मुख्य मार्ग पूरी तरह जाम दिखे तो वहीं आंदोलन के चलते पूरा कामकाज भी थम गया। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की रैली में जल्दी ही आम चुनाव कराने की मांग की गई।

बांग्लादेश में अंतरिम सरकार चला रहे मोहम्मद यूनुस के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है। बुधवार को ढाका की सड़कों पर हजारों लोगों को हुजूम उमड़ा और 'फासीवाद खत्म करो' के नारे लगते रहे। बांग्लादेश की पूर्व पीएम बेगम खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी के लोगों ने यह आंदोलन किया, जिसमें देश भर से हजारों लोगों की भीड़ जुटी। राजधानी के सभी मुख्य मार्ग पूरी तरह जाम दिखे तो वहीं आंदोलन के चलते पूरा कामकाज भी थम गया। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की रैली में जल्दी ही आम चुनाव कराने की मांग की गई। इन लोगों की मांग थी कि इस साल के अंत तक ही चुनाव हो जाने चाहिए।
वहीं मोहम्मद यूनुस कई बार दोहरा चुके हैं कि इस साल के अंत तक चुनाव कराना मुश्किल होगा। उनका कहना है कि जून 2026 तक चुनाव कराए जा सकते हैं। लेकिन बीएनपी समेत कई दलों का कहना है कि चुनाव पहले ही हो जाने चाहिए। बांग्लादेश के सेना प्रमुख वकार-उज-जमां की भी यही राय है कि इसी साल के अंत तक इलेक्शन करा लिए जाएं। साफ है कि यदि मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने चुनाव जल्दी ही कराने का फैसला नहीं लिया तो फिर बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता का दौर देखने को मिल सकता है। बीते साल शेख हसीना को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद से ही मोहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार चला रहे हैं।
अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों के लिए नोबेल पाने वाले यूनुस सत्ता में अब तक नाकाम ही दिखे हैं। उन पर कट्टरपंथी तत्वों को मजबूत करने के आरोप भी लगते रहे हैं। बुधवार की रैली को बीएनपी के मुखिया तारिक रहमान ने लंदन से ही वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय चुनावों में देरी नहीं होनी चाहिए। इन चुनावों को साल के अंत तक ही करा लिया जाए। इस मांग को मोहम्मद यूनुस कई बार खारिज कर चुके हैं। उनका लगातार कहना है कि जून 2026 तक इलेक्शन हो पाएंगे। इस रैली को संबोधित करते हुए बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की स्टैंडिंग कमेटी के मेंबर मिर्जा अब्बास ने कहा कि यह अंतरिम सरकार ऊपर से नीचे तक सड़ी हुई है।
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यही नहीं आरोप यहां तक लगाया गया कि शेख हसीना सरकार से भी ज्यादा बदहाली अंतरिम सरकार के दौर में है। बता दें कि बीते साल जुलाई में शेख हसीना के खिलाफ आंदोलन हुआ था। छात्रों के प्रदर्शन हिंसक हो गए थे और फिर शेख हसीना को देश ही छोड़कर भारत आना पड़ा। तब से ही मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार सत्ता संभाल रही है।
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