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भारत की 'सिंधु स्ट्राइक' से पहले ही खस्ताहाल पाक, दाने-दाने को तरसेंगे करोड़ों पाकिस्तानी

भारत सरकार पहले ही 1960 में पाकिस्तान संग सिंधु नदी समझौते को निलंबित कर चुकी है। अब विश्व बैंक ने खस्ताहाल पाकिस्तान की पोल खोली है। रिपोर्ट कहती है कि एक करोड़ पाकिस्तानी खाने को तरस सकते हैं।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तानThu, 24 April 2025 12:03 PM
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भारत की 'सिंधु स्ट्राइक' से पहले ही खस्ताहाल पाक, दाने-दाने को तरसेंगे करोड़ों पाकिस्तानी

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की सख्त कूटनीतिक कार्रवाई 'सिंधु स्ट्राइक' से पहले ही पाकिस्तान की हालत बेहद खराब है। विश्व बैंक की नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान में लगभग 1 करोड़ लोग इस वित्त वर्ष में गंभीर खाद्य संकट की चपेट में आ सकते हैं। भारत सरकार पहले ही 1960 में पाकिस्तान संग सिंधु नदी समझौते को निलंबित कर चुकी है। भारत ने कहा है कि जब तक पाकिस्तान आतंकियों का समर्थन करना बंद नहीं कर देता, यह कार्रवाई जारी रहेगी।

वाशिंगटन स्थित विश्व बैंक ने बुधवार को जारी अपनी द्वि-वार्षिक रिपोर्ट Pakistan Economic Update में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को लेकर गंभीर चेतावनी दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में लगभग 1 करोड़ पाकिस्तानी नागरिकों को तीव्र खाद्य संकट का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही देश में गरीबी दर में भी बढ़ोतरी की आशंका जताई गई है।

खस्ताहाल पाकिस्तान

पाकिस्तान में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 2.7% कर दी गई है, जो पहले के अनुमान से कम है। सख्त आर्थिक नीतियों के कारण उत्पादन पर दबाव पड़ा है। सरकार वित्तीय घाटे के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाएगी। रिपोर्ट के अनुसार, कुल कर्ज भार बढ़ेगा, जो GDP के अनुपात में भी अधिक होगा।

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कृषि संकट और दाने-दाने को तरसेंगे पाकिस्तानी

पाकिस्तानी चैनल ट्रिब्यून डॉट पीके के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन और खराब मौसम की वजह से धान और मक्का जैसी फसलों का उत्पादन घटा है। इसके चलते विशेषकर ग्रामीण इलाकों में खाद्य असुरक्षा का खतरा बढ़ा है।

लगभग 19 लाख और लोग गरीबी रेखा से नीचे जा सकते हैं। रोज़गार दर मात्र 49.7% है, जो बताता है कि युवाओं और महिलाओं की भागीदारी कम है। 62% महिलाएं और 37% युवा न तो पढ़ाई कर रहे हैं, न ही रोज़गार में हैं और न ही किसी प्रशिक्षण में शामिल हैं।

मजदूरी बढ़ी लेकिन कमाई जीरो

दिहाड़ी मजदूरों की नाममात्र मजदूरी भले ही लगभग दोगुनी हुई हो, लेकिन वास्तविक आय स्थिर या घट गई है। मजदूर वर्ग, जैसे मिस्त्री, पेंटर, प्लंबर आदि, महंगाई की मार झेल रहे हैं। सामाजिक सुरक्षा पर खर्च महंगाई के अनुरूप नहीं बढ़ा। इससे गरीबों के लिए भोजन, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी आवश्यक चीजें और मुश्किल हो गई हैं। वर्ष 2024 के हिसाब से प्रति वयस्क 8,231 मासिक आय को गरीबी रेखा माना गया है। इसी आधार पर गरीबी दर 25.4% तक पहुंचने की आशंका है।

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