One fourth of the people in the world have no religion pew reasearch report what is the reason दुनिया में एक चौथाई लोगों का नहीं है कोई धर्म, 10 सालों में तेजी से बढ़े आंकड़े; क्या है वजह?, International Hindi News - Hindustan
Hindi Newsविदेश न्यूज़One fourth of the people in the world have no religion pew reasearch report what is the reason

दुनिया में एक चौथाई लोगों का नहीं है कोई धर्म, 10 सालों में तेजी से बढ़े आंकड़े; क्या है वजह?

प्यू रिसर्च की ताजा रिपोर्ट में दुनियाभर में अलग-अलग धर्मों और उन्हें मानने वाले लोगों को लेकर दिलचस्प आंकड़े पेश किए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की लगभग एक चौथाई आबादी किसी भी मजहब में नहीं मानती है।

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तानThu, 12 June 2025 02:37 PM
share Share
Follow Us on
दुनिया में एक चौथाई लोगों का नहीं है कोई धर्म, 10 सालों में तेजी से बढ़े आंकड़े; क्या है वजह?

दुनिया की आबादी 8 अरब के पर पहुंच गई है और एक अनुमान के मुताबिक धरती पर फिलहाल 300 से ज्यादा धर्म हैं। हालांकि इन 8 अरब में से एक चौथाई यानी लगभग 2 अरब लोग किसी भी धर्म में यकीन नहीं रखते हैं। यह आंकड़े हाल ही में प्यू रिसर्च द्वारा जारी एक रिपोर्ट में सामने आए हैं। इस रिपोर्ट को प्यू रिसर्च सेंटर ने जारी किया है और इसे 2,700 से ज्यादा सर्वे और कई तरह के शोध के बाद तैयार किया गया है। रिपोर्ट में 2010 से 2020 तक दुनिया की आबादी और लोगों के धर्म से जुड़े आंकड़ों में बदलावों पर जोर दिया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक किसी भी धर्म को ना मानने वाले लोगों की संख्या 27 करोड़ से बढ़कर 1.9 बिलियन यानी लगभग 2 अरब हो गई है। यह धरती की कुल आबादी का एक चौथाई हिस्सा है। ईसाई और मुस्लिम धर्म के लोगों के बाद दुनिया में ऐसे लोगों की संख्या सबसे अधिक है जिन लोगों का कोई धार्मिक जुड़ाव नहीं है। प्यू रिसर्च ने बताया है कि ऐसे लोग मुसलमानों के अलावा एकमात्र ऐसी श्रेणी के लोग हैं जिनकी आबादी तेजी से बढ़ी है।

क्यों धर्म छोड़ते हैं लोग?

किसी भी धर्म को ना मानने वालों को "नोनेस" भी कहा जाता है। इन लोगों ने सर्वेक्षण के दौरान यह कहा है कि उनका कोई धर्म नहीं है या वे नास्तिक हैं। 2010 और 2020 के बीच इनकी संख्या तेजी से बढ़ी है। इसके कई कारण हो सकते हैं। धर्म से संबंध ना रखने वाले लोगों का जन्म और पालन-पोषण अक्सर किसी धर्म के साथ ही होता है। हालांकि वयस्क होने पर लोग उससे अपनी पहचान से नहीं जोड़ना चाहते। यूरोपीय और उत्तरी अमेरिकी देशों के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में इस तरह की विचारधारा आम है।

ये भी पढ़ें:भारत में पैदा इस धर्म के लोगों की घट रही संख्या, हिंदू और मुसलमानों का क्या हाल
ये भी पढ़ें:टॉप 10 हिंदू आबादी वाले देशों में 5 मुस्लिम देश, अफ्रीका के आंकड़े ने भी चौंकाया
ये भी पढ़ें:भारत को लेकर UN ने क्यों जताई चिंता, 2065 तक कैसे खड़ा होगा युवा आबादी वाला संकट
ये भी पढ़ें:जनगणना शुरू होने से पहले आबादी पर आई नई रिपोर्ट, भारत के लिए एक चिंता की बात

यह जरूरी नहीं कि किसी धर्म से खुद को ना जोड़ने लोग धार्मिक मान्यताओं और प्रथाओं को भी ना मानते हों। रिसर्च से पता चलता है कि कई लोग जो किसी धार्मिक समूह से संबंधित नहीं हैं, वे अब भी कई धार्मिक या आध्यात्मिक मान्यताओं को मानते हैं और धार्मिक आध्यात्मिक गतिविधियों में भाग भी लेते हैं।

हिंदुओं, मुसलमानों की आबादी में भी इजाफा

दस सालों में दुनियाभर में हिंदुओं की संख्या 126 मिलियन बढ़कर 1.2 बिलियन हो गई। हिन्दू वैश्विक आबादी का लगभग 14.9% हिस्सा है। वहीं ईसाई दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समूह है। बीते दशक में इस्लाम सबसे तेजी से बढ़ने वाला धार्मिक समूह रहा। मुसलमानों की संख्या में 347 मिलियन यानी 34 करोड़ से ज्यादा का इजाफा हुआ है, जो अन्य सभी धर्मों को मिला देने पर भी अधिक है। दुनिया की आबादी में मुस्लिमों की हिस्सेदारी 1.8 फीसदी से बढ़कर 25.6% तक पहुंच गई है। वहीं बौद्ध एकमात्र ऐसा प्रमुख धर्म रहा, जिसकी आबादी 2020 में एक दशक पहले की तुलना में कम हो गई।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।