Supreme Court Grants Seven Days for Indian Government s Response on Waqf Law वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया सात दिन का वक्त, International Hindi News - Hindustan
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वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया सात दिन का वक्त

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए सात दिन का वक्त दिया है। याचिकाकर्ता सरकार के जवाब की समीक्षा के बाद पांच दिन में अपना जवाब दाखिल कर सकेंगे। अगली सुनवाई...

डॉयचे वेले दिल्लीThu, 17 April 2025 07:19 PM
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वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया सात दिन का वक्त

स्वागत है DW हिंदी के लाइव ब्लॉग में.यहां आपको दिनभर की तमाम जरूरी और बड़ी खबरें एक साथ मिलेंगी.हम इस पेज को लगातार अपडेट कर रहे हैं.वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिया सात दिन का वक्तइस्राएल ने कहा है कि वह गाजा, लेबनान और सीरिया के इलाकों से सेना नहीं हटाएगा ब्रिटेन की एक अदालत ने स्त्रीलिंग की परिभाषा तय की हैपाकिस्तान के सेना प्रमुख ने कश्मीर को अपना बताया, भारत ने दिया जवाबभारत ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर के उस बयान पर पलटवार किया है, जिसमें उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान के शरीर का हिस्सा बताया था.भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जैसवाल ने कहा कि कोई भी विदेशी चीज शरीर का हिस्सा कैसे हो सकती है.उन्होंने कहा, "यह (कश्मीर) भारत का केंद्र शासित प्रदेश है.पाकिस्तान के साथ इसका एकमात्र रिश्ता, उस देश द्वारा अवैध रूप से कब्जाए गए इलाकों को खाली करवाने का है"जैसवाल ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को लेकर भी पाकिस्तान की आलोचना की.उन्होंने कहा, "पाकिस्तान चाहे कितनी भी कोशिश कर ले, लेकिन वैश्विक आतंकवाद के केंद्र के रूप में उसकी पहचान कम नहीं होगी.राणा का प्रत्यर्पण पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी है कि उसे मुंबई हमलों के अन्य अपराधियों को भी न्याय के कठघरे में लाना होगा, जिन्हें वह अभी भी बचा रहा है"वहीं, मुनीर ने बुधवार को एक कार्यक्रम में "टू नेशन थ्योरी" का भी समर्थन किया जिसकी वजह से पाकिस्तान बना था.उन्होंने कहा, "हमारे पूर्वजों का मानना था कि हम जीवन के हर पहलू में हिंदुओं से अलग हैं.हमारा धर्म, रीति-रिवाज, परंपराएं, विचार और महत्वाकांक्षाएं सब अलग हैं…यही "टू नेशन थ्योरी" का आधार था.यह इस विश्वास पर आधारित था कि हम दो राष्ट्र हैं, एक राष्ट्र नहीं"138 अफगान लोगों को लेकर विशेष विमान पहुंचा बर्लिनअफगानिस्तान से बचाकर निकाले गए 138 असुरक्षित लोगों को लेकर एक विशेष विमान गुरुवार को जर्मनी पहुंचा, जिससे देश की प्रवासन नीति पर बहस फिर से तेज हो गई है.इस फ्लाइट में वे लोग शामिल थे जिन्होंने तालिबान के सत्ता में आने से पहले जर्मन सेना या अन्य संस्थाओं के लिए काम किया था और अब खतरे में हैं.जर्मन गृह मंत्रालय के अनुसार, विमान में 45 बच्चे और किशोर शामिल थे.वहीं, 76 व्यस्क भी थे जिनमें 62 महिलाएं थीं.यह उड़ान पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से रवाना हुई थी और जर्मन सरकार द्वारा चार्टर्ड की गई थी.सीडीयू (क्रिश्चियन डेमोक्रैट्स) के नेता और चांसलर बनने जा रहे फ्रीडरिष मैर्त्स ने वर्तमान सरकार पर आरोप लगाया है कि वह सत्ता परिवर्तन से पहले जल्दबाजी में ऐसी "एडमिशन फ्लाइट्स" संचालित कर रही है, जिससे दक्षिणपंथी पार्टियों को समर्थन मिल रहा है.हालांकि, अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि इन यात्रियों को पहले ही कानूनी रूप से जर्मनी में प्रवेश की अनुमति मिल चुकी थी.मानवाधिकार संगठनों ने भी जोर दिया कि जर्मनी की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह उन लोगों को सुरक्षा दे, जिन्होंने उसकी मदद की थी.आंध्र प्रदेश सरकार ने टीसीएस को 99 पैसे में दी 21 एकड़ जमीनआंध्र प्रदेश सरकार ने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (टीसीएस) को 99 पैसे में 21 एकड़ से ज्यादा जमीन आवंटित की है.यह जमीन विशाखापट्टन में आवंटित की गई है.इंडिया टुडे के मुताबिक, राज्य सरकार ने विशाखापट्टनम को टेक्नोलॉजी हब के रूप में बढ़ावा देने के लिए ऐसा किया है.खबर के मुताबिक, टीसीएस इस जमीन पर नया आईटी कैंपस बसाएगा.सरकार का कहना है कि यह प्रोजेक्ट 1,370 करोड़ रुपये का निवेश लेकर आएगा और इससे करीब 12 हजार नौकरियां पैदा होंगी.पिछले साल अक्टूबर में टीसीएस को विशाखापट्टनम लाने के बारे में चर्चा शुरू हुई थी.उसके बाद हुई नियमित बातचीत के बाद मामला यहां तक पहुंचा है.सरकार ने इस जमीन के लिए 99 पैसे टोकन राशि के तौर पर लिए हैं.इसके जरिए सरकार आईटी और टेक कंपनियों को यह संदेश देना चाहती है कि आंध्र प्रदेश बड़े निवेश के स्वागत के लिए और आईटी कंपनियों की पूरी मदद करने के लिए तैयार है.आंध्र प्रदेश ने विशाखापट्टनम के पास 500 एकड़ में डेटा सिटी बनाने की भी घोषणा की है.म्यांमार में नववर्ष पर आम माफी के बाद 4,893 कैदी रिहाम्यांमार की सैन्य सरकार (जुंटा) ने गुरुवार को पारंपरिक नववर्ष के मौके पर 4,893 कैदियों को माफी देते हुए जेल से रिहा कर दिया.सरकारी मीडिया ने इसकी पुष्टि की है.इसके अलावा सरकार ने एक अलग बयान में कहा कि 13 विदेशी नागरिकों को भी रिहा किया जाएगा, जिन्हें देश से निकाल दिया जाएगा.हालांकि, यह अभी साफ नहीं है कि इन रिहा किए गए लोगों में कितने राजनीतिक बंदी शामिल हैं.स्वतंत्र निगरानी संस्था असिस्टेंस एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स के अनुसार, पिछले हफ्ते तक देश में कुल 22,197 राजनीतिक कैदी जेलों में बंद थे, जिनमें अपदस्थ नेता आंग सान सू ची भी शामिल हैं, जो जेल की सजा काट रही हैं.स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यांगून की कुख्यात इनसेन जेल से कम से कम 19 बसें कैदियों को लेकर निकलीं.जेल के बाहर सुबह से ही उनके परिवार और मित्र जमा थे.पॉलिटिकल प्रिजनर्स नेटवर्क नामक एक अन्य संगठन ने पुष्टि की है कि कम से कम 22 राजनीतिक कैदी रिहा हुए हैं, लेकिन जुंटा ने इस संबंध में कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीं दिया.कौन हैं चिन्मय देवरे, जिन पर है अमेरिका से डिपोर्ट होने का खतराभारतीय छात्र चिन्मय देवरे इन दिनों अमेरिका में अपने भविष्य को लेकर गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं.

21 वर्षीय देवरे मिशिगन की वेन स्टेट यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस के अंडरग्रैजुएट छात्र हैं, जिनका एफ-1 स्टूडेंट वीजा हाल ही में बिना किसी पूर्व सूचना के रद्द कर दिया गया है.चिन्मय देवरे ने तीन अन्य अंतरराष्ट्रीय छात्रों (चीन और नेपाल से) के साथ अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग के खिलाफ मुकदमा दायर किया है.उनका आरोप है कि बिना किसी स्पष्ट कारण के उनके वीजा को अचानक रद्द कर दिया गया.अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन इस मामले में छात्रों की कानूनी मदद कर रही है.शिकायत में कहा गया है कि छात्रों की सेवीज (स्टूडेंट एंड एक्चेंज विजिटर इन्फॉर्मेशन सिस्टम) में स्थिति बिना नोटिस के समाप्त कर दी गई, जिससे उनकी शिक्षा, रिसर्च और करियर पर खतरा मंडरा रहा है.इंडियन एक्सप्रेस अखबार के मुताबिक चिन्मय 2004 में अपने परिवार के साथ एच-4 डिपेंडेंट वीजा पर अमेरिका गए थे.कुछ समय के लिए 2008 में वह भारत लौटे, लेकिन 2014 में फिर से अमेरिका चले गए.उन्होंने मिशिगन में स्कूली पढ़ाई की और 2021 में वेन स्टेट यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया.2022 में एच-4 वीजा की उम्र सीमा पार करने के बाद उन्होंने वैध रूप से एफ-1 वीजा ले लिया.वह अपने माता-पिता और बहन के साथ कैंटन, मिशिगन में रहते हैं और मई 2025 में स्नातक की डिग्री पूरी करने वाले थे.देवरे का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है.उन्होंने सिर्फ एक स्पीडिंग टिकट और एक पार्किंग फाइन लिया था, जिसे समय पर चुका दिया गया.वह किसी राजनीतिक प्रदर्शन में भी शामिल नहीं हुए हैं.यह मामला अमेरिका में पढ़ रहे सैकड़ों अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए चिंता का विषय बन गया है, जो वीजा रद्द होने के डर से असमंजस में हैं.टाइम्स की 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में एक भी भारतीय नहींटाइम पत्रिका ने साल 2025 के लिए दुनियाभर के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची जारी कर दी है.मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस सूची में एक भी भारतीय को जगह नहीं मिली है.हालांकि, भारतीय मूल की रेशमा केवलरमानी सूची में जगह बनाने में सफल रही हैं.वह अमेरिका की बायोटेक्नोलॉजी कंपनी वर्टेक्स फार्मास्यूटिकल्स की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) हैं.इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, रेशमा का जन्म मुंबई में हुआ था.वह 1988 में 11 साल की उम्र में अमेरिका गई थीं.वहां उन्होंने बॉस्टन यूनिवर्सिटी से मेडिकल साइंस की पढ़ाई की.साल 2018 में मेडिकल रिसर्च के क्षेत्र में उनके बेहतरीन करियर को देखते हुए उन्हें वर्टेक्स का चीफ मेडिकल ऑफिसर बनाया गया.दो साल बाद 2020 में उन्हें वर्टेक्स का सीईओ बना दिया गया.उनके नेतृत्व में कंपनी ने कई बड़ी सफलताएं हासिल की हैं.इस साल टाइम 100 सूची में 32 देशों के लोगों को जगह मिली है.इनमें राजनेता, कॉर्पोरेट अधिकारी, खिलाड़ी, कलाकार और एक्टिविस्ट शामिल हैं.सूची में अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और उनके प्रशासन के पांच अन्य सदस्यों को जगह मिली है.वहीं, कुल 16 सीईओ भी सूची में शामिल हैं.जर्मनी के अगले चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद युनूस भी इस सूची में शामिल हैं.ट्रंप को सातवीं बार इस लिस्ट में जगह मिली है.टेस्ला सीईओ इलॉन मस्क को छठवीं बार और मेटा के सीईओ मार्क जकरबर्ग को पांचवीं बार इस लिस्ट में शामिल किया गया है.बीसीसीआई ने कोचिंग स्टाफ में किया बड़ा बदलाव, इंग्लैंड दौरे से पहले कई कोच हटाए गएभारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने ऑस्ट्रेलिया दौरे में टेस्ट सीरीज में 1-3 से मिली हार के बाद कोचिंग स्टाफ में बड़ा फेरबदल किया है.असिस्टेंट कोच अभिषेक नायर, फील्डिंग कोच टी दिलीप और स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच सोहम देसाई को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है.इसके अलावा, टीम के मौजूदा मसाज थेरेपिस्ट को भी बदला जा रहा है.जून में होने वाले इंग्लैंड दौरे से पहले टीम में नया मसाजर शामिल किया जाएगा.अभिषेक नायर को पिछले साल हेड कोच गौतम गंभीर के साथ जोड़ा गया था, जबकि टी दिलीप पूर्व कोच राहुल द्रविड़ के कार्यकाल से टीम का हिस्सा थे.सोहम देसाई की जगह अब अनुभवी दक्षिण अफ्रीकी कोच एड्रियन ले रूक्स को लाया गया है, जो इससे पहले भी भारतीय टीम के साथ 2000 के दशक की शुरुआत में जुड़ चुके हैं.ले रूक्स आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स (2008–2019) और अब पंजाब किंग्स के साथ काम कर चुके हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून पर जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार को सात दिन दिए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वक्फ कानून पर लगातार दूसरे दिन सुनवाई की.कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) कानून के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार को सात दिन का वक्त दिया है.इसके बाद, याचिकाकर्ताओं को सरकार के जवाब की समीक्षा करने के लिए पांच दिन का वक्त दिया जाएगा.कोर्ट इस मामले में पांच मई को अगली सुनवाई करेगा.इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, गुरुवार को केंद्र की ओर से पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने वक्फ कानून के प्रावधानों पर किसी भी संभावित रोक का विरोध किया.उन्होंने जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का वक्त मांगा और भरोसा दिलाया कि अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड या वक्फ परिषद में कोई भी नया सदस्य नहीं जोड़ा जाएगा.सुप्रीम कोर्ट ने उनके बयान को रिकॉर्ड में लिया और समय देने की अपील मान ली.कोर्ट ने यह भी कहा कि तब तक "वक्फ बाई यूजर" प्रावधान डीनोटिफाई नहीं होना चाहिए."वक्फ बाई यूजर" का मतलब ऐसी संपत्तियों से है जिनका लंबे समय से धार्मिक या धर्मार्थ कार्यों में इस्तेमाल हो रहा होता है और इस वजह से उन्हें वक्फ माना जाता है.भले ही उनके पास औपचारिक दस्तावेज ना हों.संशोधित कानून में यह कहा गया है कि यह प्रावधान उन संपत्तियों पर लागू नहीं होगा जो विवादित हैं या सरकारी भूमि पर हैं.याचिकाकर्ताओं ने इसका विरोध किया है.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता केंद्र सरकार से जवाब मिलने के बाद पांच दिनों के भीतर अपना जवाब दाखिल कर सकते हैं, उसके बाद मामले को अंतरिम आदेश के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा.बेंच ने यह भी कहा कि इतनी सारी याचिकाओं को संभालना असंभव है इसलिए हम पांच याचिकाओं को ही सुनेंगे.कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि अगली सुनवाई में भी पूरे कानून पर रोक नहीं लगाई जाएगी.पश्चिम बंगाल के बर्खास्त शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से मिली अस्थाई राहतसुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उन हजारों शिक्षकों को अस्थाई राहत दी है, जिनकी नियुक्ति इस महीने की शुरुआत में रद्द कर दी गई थी.कोर्ट ने कहा है कि जब तक नई भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक बर्खास्त शिक्षक पढ़ाना जारी रख सकते हैं.हालांकि, यह छूट सिर्फ उन "बेदाग" शिक्षकों को मिलेगी, जिनका नाम किसी गड़बड़ी में सामने नहीं आया है.सुप्रीम कोर्ट ने नौवीं से लेकर 12वीं कक्षा तक के शिक्षकों को यह राहत दी है.ग्रुप-सी और ग्रुप-डी के नॉन टीचिंग स्टाफ को यह राहत नहीं दी गई है.कोर्ट ने कहा कि हमने बेदाग शिक्षकों के लिए आदेश इसलिए पास किया है ताकि कोर्ट के आदेश की वजह से विद्यार्थियों की पढ़ाई को नुकसान ना पहुंचे.इसके अलावा, कोर्ट ने बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) के लिए एक समयसीमा भी तय की है.मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि एसएससी को 31 मई तक नई भर्ती प्रक्रिया का विज्ञापन निकालना होगा और 31 दिसंबर तक चयन प्रक्रिया पूरी करनी होगी.राज्य सरकार और एसएससी को 31 मई से पहले इससे जुड़ा हलफनामा कोर्ट में दाखिल करना होगा.जर्मनी: 16 साल के लड़के के घर छापा, घर में बना रखी थी जहर बनाने की लैबजर्मनी के सैक्सनी राज्य में पुलिस ने एक 16 वर्षीय लड़के के घर पर छापा मारा है.उस पर घातक जहरीले रसायन बनाने और जमा करने का संदेह है.यह कार्रवाई त्साइथाएन कस्बे में की गई, जो लाइपजिग से करीब 65 किलोमीटर पूर्व में स्थित है.पुलिस के अनुसार, यह मामला युद्ध हथियार अधिनियम के तहत दर्ज किया गया है.लड़के पर आरोप है कि उसने अपने माता-पिता के घर की अटारी में एक अस्थायी लैब बना रखी थी, जहां उसने राइसीन और ऐकोनिटीन से भरी कई शीशियां तैयार की थीं.राइसीन अरंडी के पौधे से बनने वाला जहर है, जिसे जैविक हथियार माना जाता है.वहीं, ऐकोनिटीन एक अत्यधिक विषैला तत्व है जो वोल्फ्सबेन और मॉन्कशुड जैसे पौधों में पाया जाता है.पुलिस का कहना है कि छापे का मकसद सभी जहरीले पदार्थों और सबूतों को सुरक्षित करना था.पूरे इलाके को घेर लिया गया है और आसपास के रास्तों को बंद कर दिया गया है.अभियोजन पक्ष ने बताया कि लड़के का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और उसके खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट जारी नहीं किया गया है.फिलहाल उसकी गिरफ्तारी की कोई जरूरत नहीं समझी जा रही है.जर्मनी ने रूस और बेलारूस के राजदूतों को दूसरे विश्व युद्ध के स्मृति समारोह में नहीं किया आमंत्रितजर्मनी की संसद बुंडेस्टाग ने द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ पर आयोजित होने वाले केंद्रीय समारोह में रूस और बेलारूस के राजदूतों को आमंत्रित नहीं किया है.यह समारोह आठ मई को आयोजित किया जाएगा.यह फैसला जर्मन विदेश मंत्रालय की सिफारिश के बाद लिया गया है, जिसमें यूक्रेन युद्ध के चलते रूसी अधिकारियों को ऐसे सरकारी आयोजनों में न बुलाने की सलाह दी गई थी.

हालांकि, औपचारिक रूप से पूरा राजनयिक समुदाय आमंत्रित किया गया था, लेकिन बुंडेस्टाग ने कहा कि उसने संघीय सरकार की सलाह का पालन करते हुए रूस और बेलारूस के प्रतिनिधियों को बाहर रखा.समाचार एजेंसी डीपीए से बात करते हुए एक प्रवक्ता ने कहा, "इस आकलन के तहत रूसी संघ और बेलारूस के राजदूतों को आमंत्रण नहीं भेजा गया" इस बीच, रूसी राजदूत सर्गेई नेचायेव ने बुधवार को बर्लिन के बाहरी इलाके में एक युद्ध स्मारक कार्यक्रम में भाग लिया, जो औपचारिक समारोह से अलग था.यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए पेरिस में बैठकअमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो और राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ गुरुवार को पेरिस में यूरोपीय नेताओं से अहम बैठकें करने वाले हैं.इनका मकसद रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करना और खून-खराबा रोकना है.अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यह पहल राष्ट्रपति ट्रंप के उस लक्ष्य का हिस्सा है जिसमें वह युद्ध का "जल्दी और निर्णायक अंत" चाहते हैं.रिपोर्टों के मुताबिक, विटकॉफ फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों से मुलाकात करेंगे, जबकि रुबियो फ्रांस के विदेश मंत्री ज्याँ-नोएल बारो से बातचीत करेंगे.इस बीच, यूक्रेन के राष्ट्रपति कार्यालय प्रमुख आंद्रे यरमाक ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर जानकारी दी कि वह भी पेरिस पहुंच चुके हैं.उनके साथ यूक्रेन के विदेश मंत्री आंद्रे सिबिहा और रक्षा मंत्री रुसतेम उमेरोव भी मौजूद हैं.वे "कोएलिशन ऑफ द विलिंग" नामक फ्रांसीसी-ब्रिटिश गठबंधन के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे.राष्ट्रपति ट्रंप युद्ध समाप्त करने के लिए कीव पर क्षेत्रीय और नाटो से जुड़ी रियायतों का दबाव बना रहे हैं.वहीं, फ्रांस और ब्रिटेन यूक्रेन की सैन्य क्षमता को बढ़ाने की कोशिश में हैं और संभावित युद्धविराम की निगरानी के लिए सैनिक तैनात करने पर विचार कर रहे हैं.हालांकि, रूस ने यूरोपीय या नाटो देशों के सैनिकों की किसी भी तरह की यूक्रेन में तैनाती को पूरी तरह खारिज कर दिया है.टेस्ला व्हिसलब्लोअर क्रिस्टीना बालान को अदालत से बड़ी राहतअमेरिकी कंपनी टेस्ला के खिलाफ वर्षों से कानूनी लड़ाई लड़ रहीं इंजीनियर क्रिस्टीना बालान को एक बड़ी कानूनी राहत मिली है.कैलिफोर्निया की अपीलीय अदालत ने उनके खिलाफ दिए गए पिछले फैसले को रद्द कर दिया है, जिससे उनकी मानहानि याचिका अब दोबारा खुली अदालत में सुनी जा सकेगी.क्रिस्टीना बालान ने 2014 में टेस्ला के ब्रेकिंग सिस्टम में एक संभावित डिजाइन खामी को लेकर चिंता जताई थी, जिसके बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया.उन्होंने कंपनी पर मानहानि का मुकदमा दायर किया था, लेकिन पहले यह मामला मध्यस्थता में खारिज हो गया था.अब अपीलीय अदालत की तीन जजों की बेंच ने बालान के पक्ष में फैसला सुनाते हुए केस को फिर से शुरू करने की अनुमति दी है.बीबीसी से बातचीत में बालान ने कहा, "अब मैं इलॉन मस्क और टेस्ला का सामना खुली अदालत में करना चाहती हूं" टेस्ला की ओर से अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.इलेक्ट्रिक कैब सर्विस ‘ब्लूस्मार्ट’ ने क्यों बंद की अपनी सेवाएंभारत की इलेक्ट्रिक कैब सर्विस कंपनी ब्लूस्मार्ट ने गुरुवार को अपनी सेवाएं बंद कर दीं.ग्राहकों को भेजे गए एक ईमेल में कंपनी ने कहा कि हमने ब्लूस्मार्ट ऐप पर बुकिंग लेना अस्थायी रूप से बंद करने का फैसला लिया है.न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, कंपनी ने कहा कि अगर 90 दिनों के भीतर सेवाएं दोबारा शुरू नहीं होती हैं तो रिफंड की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.सेवाएं बंद करने का फैसला ब्लूस्मार्ट के प्रमोटरों पर सेबी की कार्रवाई के बाद लिया गया है.दरअसल, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने कहा है कि ब्लूस्मार्ट के प्रमोटर अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी ने इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदने के लिए उधार लिए गए फंड का इस्तेमाल गुरुग्राम में आलीशन अपार्टमेंट खरीदने के लिए किया.सेबी ने अगले आदेश तक दोनों प्रमोटरों को शेयर बाजार में हिस्सा लेने से प्रतिबंधित कर दिया है.मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्लूस्मार्ट मोबिलिटी कथित तौर पर आर्थिक परेशानियों का सामना कर रही है.कंपनी ने मार्च के वेतन भुगतान में भी देरी की है.ब्लूस्मार्ट के अंतर्गत अब तक करीब आठ हजार इलेक्ट्रिक गाड़ियां संचालित हो रही थीं.अब सेवाओं के बंद होने से हजारों ड्राइवरों की रोजी-रोटी भी खतरे में आ गई है.अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वैंस इस हफ्ते इटली और भारत के दौरे परअमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वैंस अपनी पत्नी उषा वैंस के साथ इस हफ्ते इटली और भारत की यात्रा पर निकलेंगे.यह दौरा 19 अप्रैल से 24 अप्रैल तक चलेगा, जिसमें वह रोम, नई दिल्ली, जयपुर और आगरा जाएंगे.वैंस हाल के महीनों में व्हाइट हाउस के अंतरराष्ट्रीय मामलों में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं.फरवरी में वह पेरिस और म्यूनिख गए थे और पिछले महीने ग्रीनलैंड की यात्रा पर थे.रोम में वह इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलनी से मुलाकात करेंगे, जो इस हफ्ते वॉशिंगटन डीसी में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से मिलने आ रही हैं.वैंस 2019 में कैथलिक धर्म अपना चुके हैं.वे वेटिकन के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट कार्डिनल पिएत्रो पैरोलीन से भी मिलेंगे और ईस्टर संडे से जुड़ी धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा लेंगे.भारत में उनका दौरा सांस्कृतिक और कूटनीतिक दोनों तरह का रहेगा.नई दिल्ली में नेताओं से मुलाकात के अलावा, वह जयपुर और आगरा जैसे ऐतिहासिक शहरों का भी दौरा करेंगे.

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