पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने का डर, ट्रंप ने इस देश के तेल पर लगाया 25% टैरिफ; भारत के लिए मुसीबत?
- भारत वेनेजुएला से तेल आयात करने वाले प्रमुख देशों में से एक है। 2024 में भारत ने वेनेजुएला से लगभग 2.2 करोड़ बैरल कच्चे तेल का आयात किया, जो देश के कुल तेल आयात का 1.5% था।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को घोषणा करते हुए कहा है कि वेनेजुएला से तेल और गैस खरीदने वाले देशों पर 2 अप्रैल से 25% का टैरिफ लगाया जाएगा। इस कदम का मकसद वेनेजुएला पर आर्थिक दबाव डालना है, जिसे ट्रंप ने अमेरिका का "दुश्मन" करार दिया है। ट्रंप के इस कदम से वैश्विक ऊर्जा बाजार में उथल-पुथल मच सकती है। यह फैसला भारत और चीन जैसे देशों के लिए नई चुनौतियां पैदा कर सकता है, क्योंकि वेनेजुएला से कच्चे तेल के सबसे बड़े खरीदार इन्हीं दोनों देशों को माना जाता है।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर कहा, "वेनेजुएला ने जानबूझकर और धोखे से अमेरिका में हजारों अपराधियों को भेजा है, जिनमें ट्रेन डे अरागुआ जैसे हिंसक गैंग के सदस्य शामिल हैं। इस गैंग को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है।" उन्होंने इस टैरिफ को "सेकेंडरी टैरिफ" करार देते हुए कहा कि यह वेनेजुएला की कार्रवाइयों के खिलाफ जवाबी कदम है।
भारत के लिए क्या होगा असर?
ट्रंप प्रशासन का यह कदम वेनेजुएला के साथ व्यापार करने वाले देशों पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है। भारत वेनेजुएला से तेल आयात करने वाले प्रमुख देशों में से एक है और इस नए टैरिफ से प्रभावित हो सकता है। 2024 में भारत ने वेनेजुएला से लगभग 2.2 करोड़ बैरल कच्चे तेल का आयात किया, जो देश के कुल तेल आयात का 1.5% था। खास तौर पर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) जैसी कंपनियां वेनेजुएला से तेल खरीदती हैं। जनवरी 2024 में भारत ने वेनेजुएला से प्रतिदिन लगभग 254,000 बैरल तेल आयात किया, जो उस महीने वेनेजुएला के कुल तेल निर्यात का लगभग आधा था। 2023 के अंत और 2024 की शुरुआत में, भारत लगातार दो महीनों तक वेनेजुएला का सबसे बड़ा तेल खरीदार रहा। पिछले वर्ष, वेनेजुएला ने प्रतिदिन 6,60,000 बैरल कच्चे तेल का निर्यात किया, जिसमें भारत, चीन और स्पेन प्रमुख खरीदार थे।
अमेरिका के साथ भारत का व्यापार 2024 में 118 बिलियन डॉलर का रहा। इस टैरिफ के लागू होने से भारत को अमेरिका में अपने निर्यात पर अतिरिक्त टैक्स देना पड़ सकता है, जिससे तेल की लागत बढ़ सकती है और ऊर्जा क्षेत्र में आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो सकती है। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए विविध स्रोतों पर निर्भर है, और यह कदम उसकी रणनीति को जटिल बना सकता है।
ट्रंप की नीतियों का असर और भारत की रणनीति
यह पहला मौका नहीं है जब डोनाल्ड ट्रंप ने वेनेजुएला पर सख्त रुख अपनाया हो। अपने पहले कार्यकाल में भी उन्होंने वेनेजुएला पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे। हालांकि, जो बाइडेन प्रशासन ने प्रतिबंधों में कुछ ढील देते हुए वहां निष्पक्ष राष्ट्रपति चुनाव कराने के लिए प्रोत्साहित किया था। लेकिन जब उम्मीद के मुताबिक चुनावी सुधार नहीं हुए, तो अमेरिका ने वेनेजुएला के ऊर्जा क्षेत्र के लिए व्यापक लाइसेंस खत्म कर दिए और केवल कुछ कंपनियों को सीमित अनुमति दी।
भारत की प्रमुख निजी रिफाइनरी रिलायंस इंडस्ट्रीज को 2023 में वेनेजुएला से तेल आयात करने की अमेरिकी अनुमति मिली थी, जिससे भारत को वहां से तेल खरीदने में आसानी हुई। इससे पहले, 2019 में जब अमेरिका ने पहली बार वेनेजुएला पर तेल प्रतिबंध लगाए थे, तब रिलायंस चीन की CNPC के बाद वेनेजुएला से तेल खरीदने वाली दूसरी सबसे बड़ी कंपनी थी। इसके अलावा, ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) ने भी अमेरिकी वित्त विभाग के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय से अनुरोध किया था कि वेनेजुएला से तेल प्रतिबंध हटाए जाएं ताकि भारतीय कंपनियां वहां से तेल खरीद सकें।
वैश्विक संदर्भ और प्रतिक्रिया
चीन वेनेजुएला का सबसे बड़ा तेल खरीदार है। भारत का ये पड़ोसी देश भी ट्रंप के टैरिफ से प्रभावित होगा। 2023 में चीन ने वेनेजुएला के 68% तेल निर्यात को खरीदा था। ट्रंप का यह कदम न केवल वेनेजुएला, बल्कि चीन जैसे देशों पर भी दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसके साथ अमेरिका पहले से ही व्यापार युद्ध में उलझा हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह टैरिफ वैश्विक तेल बाजार में उथल-पुथल पैदा कर सकता है।
वैश्विक तेल बाजार में हलचल
ट्रंप ने 2 अप्रैल को "लिबरेशन डे" करार दिया है, जब वह कई अन्य जवाबी टैरिफ भी लागू करने की योजना बना रहे हैं। अमेरिका के नए करों से वैश्विक तेल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, जिससे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में उतार-चढ़ाव आ सकता है। ट्रंप प्रशासन खुद भी पेट्रोल की कीमतों को बढ़ने से रोकने के प्रयास कर रहा है, लेकिन वेनेजुएला के खिलाफ यह नया कदम आपूर्ति श्रृंखला में बाधा डाल सकता है। भारत को अब यह तय करना होगा कि वह वेनेजुएला से तेल खरीदने की नीति जारी रखे या फिर अन्य देशों से आयात बढ़ाए। अगर ट्रंप प्रशासन का यह "सेकेंडरी टैरिफ" लागू होता है, तो भारत को अमेरिकी बाजार में व्यापार करने पर अतिरिक्त शुल्क देना पड़ सकता है, जिसका असर भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों पर भी पड़ सकता है।
क्या भारत नया विकल्प तलाशेगा?
भारत पहले से ही अपने कच्चे तेल के आयात के लिए नए आपूर्तिकर्ताओं की तलाश कर रहा है। रूस से तेल खरीदने में भारत की रुचि बढ़ी है, और इस नए अमेरिकी कदम के बाद भारत रूस, सऊदी अरब और अन्य देशों से अपनी तेल आपूर्ति बढ़ा सकता है। हालांकि, भारत सरकार को इस मुद्दे पर कोई ठोस फैसला लेने से पहले अमेरिकी नीति के अगले कदमों पर नज़र रखनी होगी। अगर ट्रंप प्रशासन इस कर को लागू करता है, तो भारत को नई रणनीति अपनानी पड़ सकती है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।