mnrega labours will grow cashew crop in jharkhand काजू की फसल उगाएंगे मनरेगा मजदूर, झारखंड सरकार का बड़ा प्लान; किसे होगा फायदा, Jharkhand Hindi News - Hindustan
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काजू की फसल उगाएंगे मनरेगा मजदूर, झारखंड सरकार का बड़ा प्लान; किसे होगा फायदा

झारखंड के पूर्व सिंहभूम जिला प्रशासन ने मनरेगा मजदूरों से काजू की खेती करवाने का फैसला किया है। इसके लिए प्रशासन ने टेंडर भी निकाल दिया है। यह खेती 50 एकड़ में की जाएगी।

Mohammad Azam लाइव हिन्दुस्तान, जमशेदपुरSun, 1 June 2025 08:13 AM
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काजू की फसल उगाएंगे मनरेगा मजदूर, झारखंड सरकार का बड़ा प्लान; किसे होगा फायदा

झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन मनरेगा मजदूरों से काजू की खेती करवाएगा। मनरेगा की बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत इसकी बागवानी की जाएगी। फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तहत तीन प्रखंडों धालभूम, चाकुलिया, घाटशिला में करीब 50 एकड़ में इसकी खेती की योजना है। अगर यह प्रयोग सफल रहा तो इसका विस्तार उपरोक्त प्रखंडों के अलावा बहरागोड़ा और गुड़ाबांदा प्रखंडों में किया जाएगा।

इसके संबंध में मनरेगा से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि पूर्वी सिंहभूम जिले में वैसे तो चाकुलिया प्रखंड में इसकी बागवानी हो रही है। परंतु अब इसे विस्तार देने का प्रयोग किया जा रहा है। अगर यह प्रयोग सफल रहा तो लोगों की आय बढ़ेगी। इस मामले में मनरेगा अधिकारी का कहना है कि काजू के लिए जो मौसम व जमीन चाकुलिया में उपलब्ध है, वही उसके पड़ोस के प्रखंडों धालभूमगढ़, घाटशिला, गुड़ाबांदा और बहरागोड़ा में भी है। चूंकि काजू का पौधा पथरीली जमीन पर भी उगता है इसलिए जो बंजर और पथरीली और अनुपयोगी जमीन है, वहां इसकी खेती सफल हो सकती है। इससे किसानों को काफी फायदा होगा।

जिला प्रशासन ने निकाला टेंडर

जिला प्रशासन ने काजू की बागवानी के लिए विज्ञापन निकाला है। इसके तहत काजू के ग्राफ्टेड पौधों की आपूर्ति करनी होगी। मनरेगा की बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत इसकी खरीदारी की जाएगी। इसकी शर्तों में है कि काजू के छह माह के पौधे होने चाहिए। पौधे स्वस्थ होने चाहिए। साथ ही उनकी लंबाई डेढ़ से दो फुट होनी चाहिए। इन पौधों की खरीदारी सरकारी या निजी नर्सरी अथवा दीदी बगिया के माध्यम से की जा सकती है। पूर्वी सिंहभूम जिले में वन विभाग की जमीन पर पहले से चाकुलिया प्रखंड में बड़े पैमाने पर काजू की खेती की जा रही है। हालांकि इसकी प्रोसेसिंग नहीं होती है। इसके कारण इसे बंगाल ले जाया जाता है। अगर प्रोसेसिंग होने लगे तो इसकी बेहतर कीमत मिलेगी।