चुनाव से पहले प्रशांत किशोर ने मान ली हार? बोले- जनसुराज की जीत की गारंटी नहीं
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि साल 2020 में जब जनता को दिक्कत हुई तो जनता ने एनडीए को 125 पर रोक दिया। सारा जातीय समीकरण धरा का धरा ही रह गया। बिहार में लोगों को इतनी परेशानी है कि इसके बाद एंटी इनकंबेंसी ना हो यह संभव नहीं है।

तो क्या बिहार में विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections 2025) से पहले ही प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने हार मान ली है। दरअसल जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने इसी साल के अंत में बिहार में होने वाले चुनाव को लेकर कहा है कि राज्य में बदलाव तो तय है लेकिन जन सुराज ही होगा इसकी गारंटी नहीं है। इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी की काफी चर्चा हो रही है। प्रशांत किशोर ने कुछ वक्त पहले ही बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर यात्रा करने का ऐलान किया था। इस कड़ी में प्रशांत किशोर 'बिहार बदलाव यात्रा' कर भी रहे हैं। वो अपने संबोधनों में दूसरी राजनीतिक पार्टियों पर जमकर हमला भी बोल रहे हैं।
इस बीच एक न्यूज चैनल से बातचीत में प्रशांत किशोर ने कहा है कि इस बार बिहार चुनाव के बाद बिहार में सत्ता का बदलना तय है। हालांकि, उन्होंने यह भी कह दिया है कि जन सुराज की जीत की गारंटी नहीं है। 'एबीबी न्यूज'से एक साक्षात्कार के दौरान जब रिपोर्टर ने प्रशांत किशोर से पूछा कि एक विश्लेषक के तौर पर वो 2025 के चुनाव को कैसे देखते हैं और चुनाव परिणाम क्या हो सकते हैं? इसपर जवाब देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, 'विशलेषक के तौर पर इतना ही कह सकते हैं कि बिहार में बदलाव होगा।
नीतीश कुमार नवंबर के बाद मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे। बिहार में नया मुख्यमंत्री होगा। क्योंकि बिहार में बदलाव के लिए 60 फीसदी से ज्यादा जनता तैयार बैठी हुई है। अब उस बदलाव का मतलब यह नहीं है कि जन सुराज ही होगा। इसकी गारंटी नहीं है। वो तो आगे 4-5 महीने में तय होगा। लेकिन यह तय है कि बदलाव होगा।'
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि साल 2020 में जब जनता को दिक्कत हुई तो जनता ने एनडीए को 125 पर रोक दिया। सारा जातीय समीकरण धरा का धरा ही रह गया। बिहार में लोगों को इतनी परेशानी है कि इसके बाद एंटी इनकंबेंसी ना हो यह संभव नहीं है। इसका असर यह होगा कि बिहार में नया मुख्यमंत्री बनेगा, कौन बनेगा इसपर डिबेट हो सकता है।