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ट्रंप के टैरिफ से मचा हाहाकार, मंडराया मंदी का खतरा; एक ही दिन में 2 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति स्वाहा

  • अर्थशास्त्रियों और बाजार विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के टैरिफ वैश्विक व्यापार युद्ध को बढ़ावा दे सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अमेरिका और अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाएं मंदी में जा सकती हैं।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, वाशिंगटनFri, 4 April 2025 06:41 AM
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ट्रंप के टैरिफ से मचा हाहाकार, मंडराया मंदी का खतरा; एक ही दिन में 2 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति स्वाहा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जवाबी टैरिफ वाली नीति ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में हलचल मचा दी है। इस नीति के तहत विदेशी आयात पर भारी-भरकम शुल्क लगाए गए हैं, जिसके चलते अमेरिकी शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई। गुरुवार को वॉल स्ट्रीट पर एक ही दिन में एसएंडपी 500 कंपनियों के शेयरों से 2.4 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति साफ हो गई, जो मार्च 2020 के बाद सबसे बड़ी एकदिवसीय गिरावट है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बल्कि वैश्विक व्यापार व्यवस्था को मंदी की ओर धकेल सकती है।

टैरिफ की घोषणा और बाजार की प्रतिक्रिया

ट्रंप ने बुधवार को व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में एक समारोह के दौरान अपनी नई टैरिफ नीति का ऐलान किया। इस नीति के तहत सभी आयात पर 10% का आधारभूत टैरिफ लगाया गया है, जबकि कुछ देशों पर इससे कहीं अधिक शुल्क थोपा गया है। उदाहरण के लिए, चीन से आयात पर 34%, यूरोपीय संघ पर 20%, वियतनाम पर 46%, भारत से आयात पर 27% और जापान पर 24% टैरिफ लागू किया गया है। ट्रंप का कहना है कि यह कदम अमेरिका में विनिर्माण को बढ़ावा देगा और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उद्योगों को मजबूत करेगा। हालांकि, निवेशकों और अर्थशास्त्रियों ने इसे एक जोखिम भरा दांव बताया है।

घोषणा के बाद गुरुवार को अमेरिकी शेयर बाजार में हाहाकार मच गया। नैस्डैक कम्पोजिट इंडेक्स 5.97% की गिरावट के साथ 2020 के बाद अपनी सबसे बड़ी दैनिक गिरावट दर्ज की, जबकि डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज और एसएंडपी 500 भी क्रमशः जून 2020 के बाद अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए। इस गिरावट ने बाजार से लगभग 2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की संपत्ति को मिटा दिया, जिससे निवेशकों में डर का माहौल पैदा हो गया।

हर सेक्टर पर असर, सबसे ज्यादा चोट टेक्नोलॉजी और रिटेल कंपनियों को

बैंकिंग, रिटेल, वस्त्र, एविएशन और टेक्नोलॉजी जैसे लगभग हर क्षेत्र में जबरदस्त गिरावट देखी गई। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि टैरिफ की वजह से वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ती हैं तो उपभोक्ता खर्च में कटौती कर सकते हैं, जिससे कंपनियों की बिक्री और उत्पादन घटेगा। कई अर्थशास्त्रियों ने ट्रंप के इस टैरिफ फैसले को ‘अपेक्षा से कहीं अधिक खराब’ बताया है। निवेशकों ने उन कंपनियों के शेयर तेजी से बेचना शुरू कर दिए जो इन शुल्कों के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकती हैं।

मंदी की आशंका क्यों बढ़ रही है?

अर्थशास्त्रियों और बाजार विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के टैरिफ वैश्विक व्यापार युद्ध को बढ़ावा दे सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अमेरिका और अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाएं मंदी में जा सकती हैं। फिच रेटिंग्स के अमेरिकी आर्थिक अनुसंधान प्रमुख ओलू सोनोला ने कहा, "यह नीति न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक गेम-चेंजर है। अगर यह टैरिफ लंबे समय तक लागू रहा तो कई देश मंदी में जा सकते हैं।"

टैरिफ के कारण आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी, जो अमेरिकी उपभोक्ताओं पर सीधा असर डालेगा। उपभोक्ता खर्च अमेरिकी अर्थव्यवस्था का लगभग 70% हिस्सा है। यदि कीमतें बढ़ने से लोग अपनी खरीदारी में कटौती करते हैं, तो व्यवसाय कम माल का उत्पादन करेंगे, जिससे आर्थिक विकास रुक सकता है या संकुचन शुरू हो सकता है। जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि यदि ये टैरिफ बरकरार रहे, तो 2025 में अमेरिका और वैश्विक अर्थव्यवस्था दोनों मंदी में प्रवेश कर सकती हैं।

वैश्विक प्रभाव और प्रतिशोध की आशंका

ट्रंप के टैरिफ का असर केवल अमेरिका तक सीमित नहीं है। यूरोपीय संघ, चीन और अन्य प्रभावित देशों ने प्रतिशोध की धमकी दी है। यूरोपीय संघ की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने इसे विश्व अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका करार दिया और कहा कि 27 देशों का यह समूह जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है। चीन ने भी अमेरिकी कृषि उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लागू करने की घोषणा की है।

विश्लेषकों का कहना है कि अगर यह टैरिफ युद्ध बढ़ता है, तो यह एक "सर्पिल ऑफ डूम" (विनाश का चक्र) बन सकता है, जो वैश्विक मंदी का कारण बन सकता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा कि अभी वैश्विक मंदी की स्थिति नहीं है, लेकिन ट्रंप के कदम से 2025 के लिए 3.3% वैश्विक विकास के अनुमान में मामूली कटौती की जा सकती है।

निवेशकों की रणनीति और सुरक्षित संपत्तियों की मांग

बाजार में अनिश्चितता के बीच निवेशक जोखिम भरे परिसंपत्तियों से दूर जा रहे हैं और सुरक्षित ठिकानों की तलाश कर रहे हैं। गुरुवार को अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड की मांग बढ़ गई, जिसके चलते 10-वर्षीय ट्रेजरी नोट की यील्ड 4.05% तक गिर गई, जो अक्टूबर के बाद सबसे निचला स्तर है। सोने की कीमतें भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गईं, जो 3,160 डॉलर प्रति औंस से अधिक हो गईं, हालांकि बाद में यह 3,106.99 डॉलर पर स्थिर हुई।

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उद्योगों पर प्रभाव

टैरिफ का सबसे ज्यादा असर उन उद्योगों पर पड़ रहा है जो विदेशी आपूर्ति पर निर्भर हैं। प्रौद्योगिकी कंपनियां, जो अपने अधिकांश पुर्जे विदेशों से मंगवाती हैं, और ऑटोमोबाइल क्षेत्र, जो कनाडा और मैक्सिको से आयात पर निर्भर है, वे भारी दबाव में हैं। डेल्टा एयरलाइंस ने अपनी पहली तिमाही के लाभ अनुमान को आधा कर दिया, जिसके बाद इसके शेयरों में 14% की गिरावट आई। नाइकी और राल्फ लॉरेन जैसे खुदरा ब्रांड भी प्रभावित हुए, क्योंकि वियतनाम, इंडोनेशिया और चीन जैसे उत्पादन केंद्रों पर भारी टैरिफ लगाया गया है।

हालांकि, कुछ क्षेत्रों जैसे उपयोगिता क्षेत्र में स्थिरता देखी गई, जहां 1% की दैनिक वृद्धि दर्ज की गई। इसके अलावा, अमेरिकी ऑटोमोबाइल कंपनियां जैसे फोर्ड और जीएम पर प्रभाव अपेक्षाकृत कम रहा, क्योंकि इनका अधिकांश स्टील और एल्यूमीनियम पहले से ही अमेरिका से आता है।

ट्रंप का रुख और भविष्य की संभावनाएं

ट्रंप ने बाजार की गिरावट को हल्के में लिया और कहा, "मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छा चल रहा है।" उन्होंने भविष्यवाणी की कि "बाजार अंततः तेजी से बढ़ेगा।" लेकिन निवेशकों और विशेषज्ञों का मानना है कि अनिश्चितता का यह दौर तब तक बना रहेगा, जब तक कि टैरिफ नीति की स्पष्टता नहीं मिलती और अन्य देशों की प्रतिक्रिया सामने नहीं आती।

कुल मिलाकर ट्रंप के टैरिफ ने वैश्विक व्यापार व्यवस्था को एक अनिश्चित मोड़ पर ला खड़ा किया है। जहां एक ओर यह अमेरिका में विनिर्माण को बढ़ावा दे सकता है, वहीं दूसरी ओर यह मंदी का कारण भी बन सकता है। निवेशक, व्यवसाय और उपभोक्ता अब इस नीति के प्रभावों को करीब से देख रहे हैं। आने वाले दिनों में अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों पर फैसला और अन्य देशों की जवाबी कार्रवाई इस संकट की दिशा तय करेगी। फिलहाल, यह स्पष्ट है कि ट्रंप का यह कदम एक बड़ा जोखिम है, जिसका असर लंबे समय तक महसूस किया जा सकता है।

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