कहीं परमाणु युद्ध ना छिड़ जाए… भारत-पाकिस्तान के बीच अचानक सुलह कराने क्यों उतरा अमेरिका?
हालांकि भारत की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्धविराम समझौते में किसी तीसरे देश की भूमिका नहीं है। दूसरी तरफ पाक प्रधानमंत्री शरीफ ने ट्रंप का शुक्रिया अदा किया है।

India Pakistan Ceasefire: एक दिन पहले तक अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस यह कहते हुए नजर आए थे कि भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही जंग उनकी लड़ाई नहीं है और इससे अमेरिका का कोई लेना-देना नहीं है। फिर अगले 24 घंटों में ऐसा क्या हुआ जिससे अमेरिका को आनन फानन में सुलह कराने के लिए उतरना पड़ा? बीते 24 घंटों से यह बहस लगातार जारी है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बनी युद्ध जैसी स्थिति के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने युद्धविराम का ऐलान क्यों किया और आखिर अमेरिका इस मसले में पड़ा ही क्यों? इसे लेकर न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में अहम दावे किए गए हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक हालात यहां तक पहुंच गए कि अमेरिका को परमाणु युद्ध का डर सताने लगा था।
गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बीते 4 दिनों में तनाव चरम पर पहुंचने के बाद शनिवार को सीजफायर पर सहमति बनी थी। हालांकि इस सीजफायर समझौते की घोषणा होने के कुछ घंटे बाद ही पाकिस्तान ने अपनी कायराना हरकत उजागर करते हुए संघर्षविराम का उल्लंघन कर दिया। इससे पहले शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के बीच युद्धविराम समझौते पर सहमति की घोषणा कर सबको चौंका दिया। इसके तुरंत बाद पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री इशाक डार ने भी इसकी पुष्टि की। हालांकि भारत की ओर से यह बयान जारी किया गया है कि पाकिस्तान की तरफ से की गई पहल के बाद दोनों देशों के बीच बातचीत के बाद इस समझौते को अंजाम दिया गया। अमेरिका के मध्यस्थता को लेकर उठ रहे सवालों पर न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका ने यह कदम तब उठाया जब भारत का मिसाइल पाकिस्तान के नूर खान एयर बेस तक पहुंच गया जिसके पास पाकिस्तान का परमाणु कमांड सेंटर है।
नूर खान एयर बेस पर धमाका…
रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने जब पाकिस्तान के एयर बेस को निशाना बनाना शुरू किया तब जेडी वेंस और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो की टेंशन बढ़ने लगी। अमेरिका के लिए स्थिति तब खराब हो गई जब शुक्रवार देर रात भारत ने पाकिस्तान के रावलपिंडी में नूर खान एयर बेस पर हमला कर दिया। नूर खान एयर बेस पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से सटा हुआ है। पाकिस्तान के लिहाज से यह बेस एक अहम ट्रांसपोर्ट हब है जहां से पाकिस्तानी विमान ईंधन भरते हैं।
शहबाज शरीफ की उड़ी नींद
दरअसल यह एयर बेस अमेरिका के लिए इसलिए भी अहम है क्योंकि यह पाकिस्तान के स्ट्रैटेजिक प्लान डिवीजन के मुख्यालय से थोड़ी ही दूर पर स्थित है। यह वही जगह है जहां से पाकिस्तान देश के परमाणु हथियारों की देखरेख करता है। एक अनुमान के मुताबिक पाकिस्तान के पास फिलहाल 170 से ज्यादा परमाणु बम हैं। पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम से जानकार एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी ने बताया है कि पाकिस्तान को डर सताने लगा कि कहीं भारत का अगला निशाना उनकी न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी ही ना हो। कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इसके बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अमेरिकी अधिकारियों को फोन मिलाकर हस्तक्षेप करने की अपील की।
भारत ने साफ की है स्थिति
वहीं अमेरिका द्वारा मध्यस्थता का दावा कराने के बाद भी भारत ने यह साफ किया है कि दोनों देशों के बीच हुई सीधी बातचीत के बाद संघर्षविराम समझौते पर सहमति बनी। सरकारी सूत्रों ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच गोलीबारी और सैनिक कार्रवाई रोकने के लिए दोनों देशों के बीच सीधे तौर पर बातचीत हुई थी। सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशक यानी DGMO ने भारतीय DGMO से फोन पर बातचीत की जिसके बाद यह चर्चा हुई और सहमति बनी।
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