अगर परमाणु वार्ता विफल रही, तो अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाएंगे; ईरान की खुली चेतावनी
जैसे-जैसे परमाणु वार्ता का अगला दौर नजदीक आ रहा है, क्षेत्र में तनाव चरम पर है। ईरान और अमेरिका दोनों ने सैन्य कार्रवाई की धमकियां दी हैं, जिससे मध्य पूर्व में एक बड़े संघर्ष का खतरा बढ़ गया है।

ईरान ने चेतावनी दी है कि अगर परमाणु वार्ता विफल होती है और अमेरिका के साथ सैन्य संघर्ष शुरू होता है, तो वह क्षेत्र में मौजूद अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाएगा। यह बयान ईरान के रक्षा मंत्री अजीज नसीरजादे ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिया। यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु कार्यक्रम को लेकर चल रही छठे दौर की वार्ता से पहले तनाव बढ़ रहा है।
क्या है पूरा मामला?
ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु वार्ता अप्रैल से शुरू हुई थी, जिसका उद्देश्य 2015 के परमाणु समझौते (JCPOA) को दोबारा शुरू करना है, जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में एकतरफा रूप से रद्द कर दिया था। ट्रंप जनवरी 2025 में दोबारा सत्ता में लौटे, तो फिर से उन्होंने अपनी "अधिकतम दबाव" नीति को फिर से लागू किया है, जिसमें सैन्य कार्रवाई की धमकी के साथ-साथ कूटनीतिक प्रयास भी शामिल हैं।
ईरान के रक्षा मंत्री नसीरजादे ने कहा, "कुछ अमेरिकी अधिकारी धमकी दे रहे हैं कि अगर वार्ता विफल होती है तो संघर्ष शुरू हो सकता है। यदि हम पर युद्ध थोपा गया, तो क्षेत्र में सभी अमेरिकी ठिकाने हमारे निशाने पर होंगे और हम बिना किसी हिचकिचाहट के उन पर हमला करेंगे।" उन्होंने यह भी खुलासा किया कि ईरान ने हाल ही में दो टन वजन वाले वारहेड के साथ एक मिसाइल का परीक्षण किया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि ईरान अपनी सैन्य क्षमताओं को और मजबूत कर रहा है।
क्या है अमेरिकी रुख?
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक पॉडकास्ट में कहा कि वह परमाणु समझौते को लेकर पहले की तुलना में कम आशान्वित हैं। उन्होंने कहा, "मैं अब उतना आश्वस्त नहीं हूं जितना कुछ महीने पहले था। कुछ हुआ है, लेकिन मैं अब समझौते को लेकर कम आशावादी हूं।" ट्रंप ने यह भी दोहराया कि अमेरिका ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकेगा, चाहे वह युद्ध के बिना हो या सैन्य कार्रवाई के माध्यम से। ट्रंप ने यह भी कहा कि वह गुरुवार को वार्ता की उम्मीद कर रहे हैं, जबकि तेहरान ने कहा है कि यह वार्ता रविवार को ओमान में होगी। ईरान ने संकेत दिया है कि वह अमेरिका के पिछले प्रस्ताव का जवाब देगा, जिसे उसने अस्वीकार कर दिया था।
ईरान का दावा
ईरान लगातार दावा करता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से नागरिक उद्देश्यों के लिए है। हालांकि, पश्चिमी देशों को लंबे समय से शक है कि ईरान परमाणु हथियार विकसित करने की मंशा रखता है। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा कि ईरान ने 60% तक यूरेनियम संवर्धन किया है, जो 2015 के समझौते में निर्धारित 3.67% की सीमा से कहीं अधिक है। यह स्तर परमाणु हथियार के लिए आवश्यक 90% की शुद्धता के करीब है।
ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने बुधवार को दोहराया कि ईरान परमाणु हथियार नहीं बनाएगा, और उन्होंने पश्चिमी देशों को अपने परमाणु कार्यक्रम की जांच करने की चुनौती दी। उन्होंने कहा, "हमने स्पष्ट और सर्वोच्च नेता ने भी कहा है कि हम परमाणु बम नहीं बनाएंगे। आप आकर जांच कर सकते हैं।"
इन देशों में हैं अमेरिकी ठिकाने
ईरान ने क्षेत्र में मौजूद अमेरिकी सैन्य ठिकानों, विशेष रूप से कतर, इराक, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, तुर्की और बहरीन में स्थित ठिकानों को निशाना बनाने की धमकी दी है। ईरान ने इन देशों को चेतावनी दी है कि यदि वे अमेरिकी हमले में सहायता करते हैं, तो वे भी निशाने पर होंगे। इस बीच, इराक ने कहा है कि उसे अमेरिकी दूतावास से कर्मचारियों की निकासी की कोई आवश्यकता नहीं दिखती, लेकिन अमेरिका ने क्षेत्र में बढ़ते सुरक्षा जोखिमों के कारण अपने दूतावास और सैन्य कर्मियों के परिवारों को निकालने की योजना बनाई है।
रूस ने भी इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करते हुए कहा है कि वह ईरान से परमाणु सामग्री को हटाकर उसे नागरिक रिएक्टर ईंधन में बदलने में मदद कर सकता है। रूसी उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने बुधवार को कहा कि मॉस्को परमाणु मुद्दे के समाधान के लिए व्यावहारिक सहायता प्रदान कर सकता है। छठे दौर की वार्ता इस सप्ताह होने की उम्मीद है, लेकिन दोनों पक्षों के बीच मतभेद बने हुए हैं। विशेष रूप से, यूरेनियम संवर्धन और ईरान के मिसाइल कार्यक्रम को लेकर असहमति है। ईरान ने इन दोनों को अपनी "लाल रेखा" बताया है।
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