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क्या है लिक्विड गोल्ड? इस पर इतना क्यों इतरा रहे ट्रंप; US के पास कितना भंडार, भारत से क्या लेन-देन

ट्रंप ने अपने संबोधन में देश की ताकत का भी उल्लेख किया और कहा कि अमेरिका के पास दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा 'लिक्विड गोल्ड' है। इसके लिए हम अलास्का में बहुत बड़ी प्राकृतिक गैस पाइपलाइन बिछाएंगे।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 5 March 2025 03:29 PM
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क्या है लिक्विड गोल्ड? इस पर इतना क्यों इतरा रहे ट्रंप; US के पास कितना भंडार, भारत से क्या लेन-देन

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कांग्रेस (अमेरिकी संसद) के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने अर्थव्यवस्था, आव्रजन तथा विदेश नीति को पुनः दिशा देने में त्वरित और निरंतर कार्रवाई करने के लिए अपनी सरकार को श्रेय दिया और कहा कि अमेरिका का दौर वापस लौट आया है। संसद में अपने पहले संबोधन में ट्रंप ने कांग्रेस और देश की जनता को अपने कार्यकाल के शुरुआती हफ्तों में किए गए कामकाज के बारे में भी जानकारी दी और कहा कि उनके दूसरे कार्यकाल में अमेरिका का विश्वास और सम्मान लौटा है।

व्हाइट हाउस ने कहा कि ट्रंप के संबोधन का विषय ‘अमेरिकी सपने का नवीकरण’ था, जिसमें उन्होंने अपनी उपलब्धियों को सामने रखा। साथ ही कांग्रेस से अपील की कि वह उनके आक्रामक आव्रजन अभियान को वित्तपोषित करने के लिए अधिक धन उपलब्ध कराए। ट्रंप ने कहा , ‘‘यह कुछ और नहीं बल्कि तेज और अथक कार्रवाई रही। लोगों ने मुझे काम करने के लिए चुना है और मैं यह कर रहा हूं।’’

ट्रंप ने अपने संबोधन में देश की ताकत का भी उल्लेख किया और कहा कि अमेरिका के पास दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा 'लिक्विड गोल्ड' है। इसके लिए हम अलास्का में बहुत बड़ी प्राकृतिक गैस पाइपलाइन बिछाएंगे। इसमें कई देश अरबों रुपए निवेश करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, "मैंने पदभार ग्रहण करने के पहले दिन ही राष्ट्रीय ऊर्जा आपातकाल की घोषणा की थी। ऐसा इसलिए कि आपने मुझे कई बार कहते सुना होगा, हमारे पैरों के नीचे धरती के अंदर किसी भी देश से ज़्यादा मात्रा में लिक्विड गोल्ड है। और अब, मैं पूरी तरह से अब तक की सबसे प्रतिभाशाली टीम को इसे इकट्ठा करने के लिए अधिकृत करता हूँ। इसे ड्रिल, बेबी, ड्रिल कहते हैं।"

क्या है लिक्विड गोल्ड?

लिक्विड गोल्ड दरअसल, पेट्रोलियम के लिए गढ़ा गया एक आर्थिक शब्दावली है, जो एक तरह का जीवाश्म ईंधन है और ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत है। इसे 'लिक्विड गोल्ड' इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह सोने की तरह महंगा है और इसका अन्वेषण बहुत मुश्किल है। ट्रम्प ने कहा, "हमारे पास सऊदी अरब और रूस से भी अधिक लिक्विड गोल्ड है । उन्होंने कहा कि इसके दम पर हम हर तरह के कर्ज से मुक्त हो सकते हैं। देश में महंगाई को कम कर सकते हैं और अपने देश की सभी तरह की जरूरतें पूरी कर सकते हैं।

अमेरिका के पास कितना भंडार?

US ईनर्जी इन्फॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन के आंकड़ों के अनुसार 2024 तक, संयुक्त राज्य अमेरिका के पास 48.3 अरब बैरल का प्रमाणित तेल भंडार है, जो एक रिकॉर्ड है। यह 2010 में कुल तेल भंडार की मात्रा से दोगुना से भी ज्यादा है और 2022 के आंकड़े 44.4 अरब बैरल से 9% ज्यादा है। 2022 तक, मैक्सिको की खाड़ी में 4,860 मिलियन बैरल का तेल भंडार था, जबकि अलास्का में 3,357 मिलियन बैरल, ओक्लाहोमा में 1,830 मिलियन बैरल और कैलिफोर्निया में 1,492 मिलियन बैरल का भंडार था।

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भारत से क्या लेन-देन

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान जो द्विपक्षीय समझौता हुआ है, उसके मुताबिक, भारत कच्चे तेल के साथ-साथ अमेरिका से प्राकृतिक गैस का भी आयात करेगा। ट्रंप ने कहा है कि इससे व्यापार घाटा कम होगा। भारत सरकार साल 2030 तक देश में प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल के शेयर को 6.3 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करना चाहती है। तेल खपत के मामले में अमेरिका और चीन के बाद भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है। भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी तेल आयात करता है।

साल 2021 की बात करें, तो भारत ने सबसे ज़्यादा तेल इराक से खरीदा था। इस लिस्ट में उसके बाद सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका का नंबर था। वहीं रूस 9वें स्थान पर था लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद यह आंकड़ा बदल गया है। अब संभावना जताई जा रही है कि भारत अमेरिका से सालाना 15 अरब डॉलर से बढ़ाकर 25 अरब डॉलर का तेल और गैस आयात कर सकता है।

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