भारत के खिलाफ ट्रंप की धमकी में कितना असर? उलटा अमेरिका को महंगा पड़ सकता है जवाबी टैरिफ
- क्या ट्रंप की धमकी वाकई अमेरिका के लिए फायदेमंद होगी? या फिर इससे भारत को कुछ मौके मिल सकते हैं? और वैश्विक व्यापार पर इसका क्या असर पड़ेगा? आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कांग्रेस (संसद) के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए एक बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि 2 अप्रैल, 2025 से भारत सहित कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ यानी जवाबी टैरिफ लागू किया जाएगा। इसका मतलब है कि अगर भारत अमेरिकी सामानों पर जितना टैरिफ (आयात शुल्क) लगाता है, उतना ही टैरिफ अमेरिका भी भारतीय सामानों पर लगाएगा। ट्रंप इसे अपनी 'अमेरिका फर्स्ट' नीति का हिस्सा बताते हैं और कहते हैं कि इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में निष्पक्षता आएगी। लेकिन क्या यह नीति वाकई अमेरिका के लिए फायदेमंद होगी? या फिर इससे भारत को कुछ मौके मिल सकते हैं? और वैश्विक व्यापार पर इसका क्या असर पड़ेगा? आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं।
रेसिप्रोकल टैरिफ क्या है?
सबसे पहले यह समझ लेते हैं कि रेसिप्रोकल टैरिफ होता क्या है। मान लीजिए, भारत अमेरिका से आने वाली मोटरसाइकिल पर 100% टैरिफ लगाता है। अब ट्रंप कह रहे हैं कि हम भी भारत से आने वाले सामानों, जैसे टेक्सटाइल या स्मार्टफोन, पर 100% टैरिफ लगाएंगे। यानी 'जैसा तुम करोगे, वैसा हम करेंगे।' ट्रंप का मानना है कि भारत जैसे देश अमेरिकी सामानों पर ज्यादा टैरिफ लगाकर फायदा उठाते हैं, जबकि अमेरिका अपने बाजार को खुला रखता है। अब वे इस असंतुलन को खत्म करना चाहते हैं।
अमेरिका को कैसे नुकसान होगा?
ट्रंप की यह नीति अमेरिका के लिए उलटा पड़ सकती है। कैसे? चलिए इसे समझते हैं:
महंगाई बढ़ेगी: अमेरिका में कई जरूरी चीजें, जैसे कपड़े, दवाइयां, और इलेक्ट्रॉनिक सामान, भारत से सस्ते में आते हैं। अगर इन पर टैरिफ बढ़ेगा, तो उनकी कीमतें भी बढ़ेंगी। इसका सीधा असर अमेरिकी लोगों की जेब पर पड़ेगा। मिसाल के तौर पर, भारत से आने वाली सस्ती जेनेरिक दवाओं पर टैरिफ बढ़ने से दवा कंपनियों को ज्यादा कीमत वसूलनी पड़ेगी, जिसका बोझ आम अमेरिकी नागरिकों पर जाएगा।
अमेरिकी कंपनियों की मुश्किल: कई अमेरिकी कंपनियां, जैसे ऐपल, भारत में स्मार्टफोन बनवाती हैं और फिर उन्हें अमेरिका में बेचती हैं। अगर भारत से आने वाले सामानों पर टैरिफ बढ़ेगा, तो इन कंपनियों की लागत बढ़ जाएगी। इससे या तो उन्हें नुकसान होगा या फिर वे कीमतें बढ़ाएंगी, जो अमेरिकी ग्राहकों को पसंद नहीं आएगा।
जवाबी कार्रवाई का डर: अगर अमेरिका भारत पर टैरिफ बढ़ाता है, तो भारत भी अमेरिकी सामानों पर टैरिफ बढ़ा सकता है। अभी भारत अमेरिका से कच्चा तेल, मशीनरी और बादाम जैसी चीजें खरीदता है। अगर इन पर टैरिफ बढ़ा, तो अमेरिकी कंपनियों का भारत में बाजार कम हो सकता है। इससे अमेरिका का व्यापार घाटा और बढ़ सकता है, जो ट्रंप की सबसे बड़ी चिंता है।
अमेरिकी उपभोक्ताओं का नुकसान: जानकारों का कहना है कि टैरिफ का बोझ आखिरकार अमेरिकी आयातकों और उपभोक्ताओं पर ही पड़ता है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, टैरिफ बढ़ने से अमेरिका में महंगाई बढ़ेगी और लोगों की खरीदने की ताकत कम होगी।
भारत को कैसे फायदा हो सकता है?
यह नीति भारत के लिए कुछ चुनौतियां लाएगी, लेकिन साथ ही कई मौके भी दे सकती है। देखिए कैसे:
नए बाजारों की तलाश: अगर अमेरिका में भारतीय सामानों पर टैरिफ बढ़ता है, तो भारत को अपने निर्यात के लिए नए बाजार ढूंढने का मौका मिलेगा। यूरोप, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे इलाकों में भारत अपने टेक्सटाइल, दवाइयां और इलेक्ट्रॉनिक्स को बढ़ावा दे सकता है। इससे भारत की निर्भरता अमेरिका पर कम होगी।
घरेलू उत्पादन को बढ़ावा: अमेरिकी बाजार में भारतीय सामान महंगे होने से भारत अपने उत्पादों को घरेलू बाजार में सस्ते दामों पर बेच सकता है। इससे छोटे और मझोले उद्योगों (SME) को फायदा हो सकता है। साथ ही, 'मेक इन इंडिया' को भी बल मिलेगा।
चीन से मुकाबले का मौका: ट्रंप ने चीन पर भी टैरिफ लगाया है। ऐसे में अमेरिकी कंपनियां जो पहले चीन से सामान मंगवाती थीं, वे अब भारत की ओर देख सकती हैं। भारत पहले ही स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह नीति भारत को वैश्विक सप्लाई चेन में मजबूत बना सकती है।
सीमित नुकसान: मूडीज और S&P जैसी एजेंसियों का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था घरेलू मांग पर ज्यादा निर्भर है, न कि निर्यात पर। इसलिए टैरिफ का असर भारत पर उतना गहरा नहीं होगा, जितना अमेरिका सोच रहा है। SBI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय निर्यात में सिर्फ 3-3.5% की गिरावट आएगी, जिसे भारत आसानी से संभाल सकता है।
वैश्विक असर क्या होगा?
ट्रंप का यह फैसला सिर्फ भारत और अमेरिका तक सीमित नहीं रहेगा। इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा:
व्यापार युद्ध की आशंका: अगर अमेरिका रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करता है, तो भारत, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देश भी जवाबी टैरिफ लगा सकते हैं। इससे वैश्विक व्यापार युद्ध शुरू हो सकता है, जैसा कि ट्रंप के पहले कार्यकाल में चीन के साथ देखा गया था।
सप्लाई चेन पर प्रभाव: टैरिफ बढ़ने से वैश्विक सप्लाई चेन बाधित होगी। कंपनियां नए देशों में उत्पादन शुरू करने की कोशिश करेंगी, जिससे लागत बढ़ेगी और सामानों की कीमतें ऊपर जाएंगी।
अमेरिका की साख को नुकसान: ट्रंप की नीति से अमेरिका के सहयोगी देश, जैसे यूरोपीय संघ और कनाडा, नाराज हो सकते हैं। अगर ये देश भी जवाबी कदम उठाते हैं, तो अमेरिका वैश्विक व्यापार में अलग-थलग पड़ सकता है।
विकासशील देशों को मौका: भारत जैसे विकासशील देशों को इस स्थिति का फायदा उठाने का मौका मिलेगा। वे अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए नए व्यापारिक रास्ते तलाश सकते हैं।
कुल मिलाकर ट्रंप का रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने का फैसला अमेरिका के लिए जोखिम भरा साबित हो सकता है। यह महंगाई बढ़ाएगा, अमेरिकी कंपनियों को नुकसान पहुंचाएगा और व्यापार घाटे को कम करने की बजाय बढ़ा सकता है। दूसरी ओर, भारत के लिए यह चुनौती के साथ-साथ एक अवसर भी है। भारत अपने निर्यात को विविध बना सकता है और वैश्विक बाजार में अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है। वैश्विक स्तर पर यह नीति व्यापार युद्ध को हवा दे सकती है, लेकिन साथ ही नई आर्थिक साझेदारियों को भी जन्म दे सकती है। अब देखना यह है कि 2 अप्रैल, 2025 से शुरू होने वाला यह टैरिफ खेल दुनिया को किस दिशा में ले जाता है।
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