हमने धोखा दिखा, जंग छेड़ी; फिर भी भारत ने गले लगाया; पाक को ही क्यों कसूरवार ठहरा रहे पूर्व मंत्री
कसूरी ने कहा कि यहां तक कि करगिल युद्ध के बाद भी नई दिल्ली और इस्लामाबाद शांति प्रक्रिया को फिर से शुरू करने के लिए जल्द ही बातचीत की मेज पर आ गए।

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के रिश्ते मौजूदा वक्त में युद्ध के समय को छोड़कर इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि द्विपक्षीय संबंधों में अचानक सकारात्मक बदलाव भी आ सकते हैं। इंस्टीट्यूट ऑफ पीस एंड कनेक्टिविटी (आईपीएसी) की ओर से बृहस्पतिवार रात लाहौर में ‘पाकिस्तान-भारत संबंध : वर्तमान स्थिति और आगे की राह’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में कसूरी ने कहा कि आपसी बातचीत ही दोनों देशों के लिए अपने लंबित मुद्दों को सुलझाने का एकमात्र जरिया है।
मौजूदा समय को भारत-पाकिस्तान के रिश्ते के लिहाज से इतिहास के सबसे बुरे दौर में एक से करार देते हुए कसूरी ने कहा कि यहां तक कि करगिल युद्ध के बाद भी नई दिल्ली और इस्लामाबाद शांति प्रक्रिया को फिर से शुरू करने के लिए जल्द ही बातचीत की मेज पर आ गए। आईपीएसी के अध्यक्ष कसूरी ने कहा कि अगर दोनों देश आपसी विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने का मौका चूक जाते हैं, तो यह दुख की बात होगी, क्योंकि उनके पास कश्मीर मुद्दे के संभावित समाधान के लिए चार सूत्री फॉर्मूले के रूप में पहले से ही एक सहमत खाका मौजूद है।
PM वाजपेयी और मनमोहन सिंह का किया जिक्र
साल 2002 से 2007 तक विदेश मंत्री रहे कसूरी स्पष्ट रूप से पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की ओर से भारतीय नेतृत्व को कथित तौर पर सुझाए गए “समाधान” का जिक्र कर रहे थे। कसूरी ने इस बात को रेखांकित किया कि उन्होंने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकारों के साथ शांति प्रक्रिया पर काम किया। उन्होंने कहा कि इसलिए उन्हें पूरा यकीन है कि मौजूदा निराशाजनक स्थिति के बावजूद भारत की अधिकांश जनता पाकिस्तान के साथ शांति चाहती है।
बता दें कि 1999 में पाक सेना ने नियंत्रण रेखा पार कर ऊंचाई वाले कारगिल सेक्टर में भारत की जमीन कब्जाने की कोशिश की थी लेकिन भारतीय जवानों ने करीब दो महीने की लड़ाई में उन्हें धूल चटा दी थी और वापस खदेड़ दिया था। इस कारगिल युद्ध के बाद भारत ने बड़प्पन और दरियादिली दिखाते हुए परवेज मुशर्रफ और उनकी टीम का गर्मजोशी से स्वागत किया था और समस्या के समाधान के लिए बातचीत की मेज पर बैठे थे।
अचानक सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं: कसूरी
कसूरी ने कहा कि चुनौतियों और मौजूदा टकराव के बावजूद उनके अनुभव ने उन्हें सिखाया है कि पाकिस्तान-भारत संबंधों में अचानक सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे करगिल युद्ध के सूत्रधार कहलाने वाले मुशर्रफ का बाद में नयी दिल्ली में गर्मजोशी से स्वागत किया गया था। कसूरी ने कहा कि इसी तरह, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में लाहौर में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात करके सबको चौंका दिया था लेकिन पाकिस्तान से उन्हें अपेक्षित जवाब नहीं मिल सका।
PM मोदी ने चौंकाया था, फिर चौंका सकते हैं: कसूरी
कसूरी ने दावा किया, “ऐसी विश्वसनीय खबरें थीं कि प्रधानमंत्री मोदी अप्रैल 2021 में पाकिस्तान की यात्रा करेंगे... जाहिर तौर पर हिंगलाज माता मंदिर में दर्शन के लिए और उनके बाद में शांति प्रक्रिया को फिर से शुरू करने के वास्ते (तत्कालीन) प्रधानमंत्री इमरान खान से मिलने के लिए इस्लामाबाद जाने की संभावना थी लेकिन तब के हालात की वजह से वह भी नहीं हो सका।” उन्होंने कहा, “मैं भविष्य में भी इसी तरह के हैरान करने वाली घटनाओं की संभावना से इनकार नहीं करता।” (भाषा इनपुट्स के साथ))
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