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देश के कई राज्यों के लोग मुरादाबाद की मिट्टी की हांडी के मुरीद

Moradabad News - मुरादाबाद जिले के भगतपुर क्षेत्र के बहोरनपुर कला गांव में मिट्टी के बर्तनों, खासकर हांडी, का उत्पादन किया जाता है। यहां के बर्तनों की मांग कई राज्यों से है। पर्यटक भी यहां आकर मिट्टी के बर्तन खरीदते...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुरादाबादFri, 25 April 2025 02:39 PM
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देश के कई राज्यों के लोग मुरादाबाद की मिट्टी की हांडी के मुरीद

मुरादाबाद जिले के भगतपुर क्षेत्र में एक ऐसा गांव है जो माटीकला के लिए प्रसिद्ध है। यहां की माटी की हांडी के मुरीद कई राज्यों के लोग हैं। नैनीताल उत्तराखंड जाने वाले सैलानी दलपतपुर अलीगंज मार्ग से गुजरते हैं तो रुक कर मिट्टी के बर्तन जरूर खरीदते हैं। बहोरनपुर कला गांव में करीब बीस से पच्चीस परिवार हांडी समेत मिट्टी के कई तरह के बर्तन तैयार करते हैं। यहां मिट्टी के बर्तन बनाने वालों को महाराष्ट्र, बिहार, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और उत्तराखंड समेत कई राज्यों से आर्डर मिलेत हैं। हांडी में दाल पकाने से उसके स्वाद के प्रभाव को बर्तन बनाने वाले रेखांकित करते हैं। इसके साथ ही दूध गर्म कर उसमें विशेष स्वाद के लिए इस मिट्टी की हांडी को जाना जाता है। मिट्टी के बर्तन बनाने में यहां के प्रजापति समाज को महारथ हासिल है। हांडी के साथ ही यहां कुल्हड़ व दीपक भी बनते हों जिनकी अच्छी बिक्री होती है। पर सबसे ज्यादा मांग यहां की हांडी की है। विभिन्न राज्यों के लोग इस गांव से अपने मनपसंद आइटम ऑर्डर पर बनवाते हैं। गौरव कुमार प्रजापति बताते हैं कि हमारे यहां के मिट्टी के बर्तन काफी पसंद किए जाते हैं। आर्डर भी मिलते हैं और पर्यटक भी खरीद कर ले जाते हैं। तेजपाल प्रजापति बताते हैं कि वह कई वर्षों से मिट्टी के बर्तन बना रहे हैं उनका कहना है कि जब हांडी को तैयार करने के लिए पांच सौ हांडी का अवा लगाते हैं। उसमें से 370 हांडी बचती हैं।

मिट्टी के बर्तनों में बहोरनपुर है ट्रेडमार्क

मिट्टी की हांडी समेत जो भी बर्तन बनाए जाते हैं इन बर्तनों में गांव का नाम अवश्य लिखा होता है। यहां के लोगों का कहना है कि बहोरनपुर नाम पहचान बन चुका है। यहां के मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल काफी बढ़ा है।

उत्तराखंड जाने वाले पर्यटक भी खरीदते हैं मिट्टी के बर्तन

दलपतपुर अलीगंज मार्ग किनारे बसे बहोरनपुर कला गांव में मिट्टी के बर्तन बनाने वाले लोगों ने सड़क किनारे दुकान लगा रखी हैं। यहां से उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट व नैनीताल जाने वाले पर्यटक भी इनके बर्तन खरीद कर ले जाते हैं। कई पर्यटक तो मिट्टी के बर्तनों के गुण पर भी बात करते हैं और फिर उसे ले जाते हैं।

काफी जतन करने के बाद तैयार होते मिट्टी के बर्तन

विनोद कुमार प्रजापति ने बताया कि मिट्टी की हांडी बनाने के लिए दो तरह की पीली व काली मिट्टी और रेत की आवश्यकता पड़ती है। इसे सुखना होता है फिर मिट्टी छानकर एक गड्ढा खोदकर उसमें डाल देते हैं। तीन दिन तक मिट्टी को अच्छी तरह से गलाया जाता है फिर जो काली मिट्टी होती है उसमें रेत मिलाते हैं। जो की हांडी के निचले हिस्से में लगाई जाती है। मिट्टी में रेत इसलिए मिलाया जाता है ताकि हंडिया के नीचे की परत आग जलते समय चटक ना आ जाए।

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