BLA से निपटें या TTP से, या चीन का भरें हर्जाना; ट्रेन हाइजैक के बाद कुआं-खाई के बीच कैसे फंसा पाकिस्तान
उन्होंने कहा कि बलूचों ने आज ट्रेन हाइजैक किया है लेकिन चीनी सोचते हैं कि अगर बलूचों ने ग्वादर बंदरगाह की घेराबंदी कर ली या पॉवर प्रोजेक्ट या ग्वादर एयरपोर्ट पर कब्जा कर लिया तो क्या होगा?

पड़ोसी देश पाकिस्तान इन दिनों एक अजीब कशमकश, उलझन और द्वंद्व से जूझ रहा है। वह बलूच विद्रोही संगठन बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) द्वारा हालिया ट्रेन हाइजैक की घटना और नौशेकी में सैन्य काफिले पर हमले से न केवल विचलित है बल्कि दो तरफा मार झेल रहा है। एक तरफ उसे बलूचों के विद्रोह-हिंसा और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के हिंसक हमलों और अफगानिस्तान सीमा पर आतंकी हमलों का सामना कर रहा है, तो दूसरी तरफ चीन उसे आंख दिखा रहा है, और सख्त सुरक्षा देने की मांग कर रहा है, जिसका अरबों रुपया CPEC प्रोजेक्ट में लगा हुआ है।
दरअसल, ट्रेन हाइजैक की घटना के बाद से चीन पाकिस्तान पर दबाव डाल रहा है कि वह CPEC की रक्षा के लिए कठोर कदम उठाए। समाचार एजेंसी ANI के पॉडकास्ट में पाकिस्तान के विशेषज्ञ और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य तिलक देवाशर ने बताया कि चीन इस इलाके में खास किस्म के सुरक्षाकर्मियों की तैनाती चाहता है। उन्होंने कहा कि यह मांग पाकिस्तान के लिए सिरदर्द बन गया है क्योंकि वह अपने भौगोलिक क्षेत्र में चीनी सैनिकों की तैनाती होने नहीं दे सकता। यह उसके लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। दूसरी तरफ अगर पाकिस्तान CPEC गलियारे में चीनी प्रोजेक्ट खासकर ग्वादर प्रोजेक्ट और उसकी सड़क परियोजनाओं की रक्षा करने में फेल रहता है तो चीन पाकिस्तान से न केवल अपने उधार दी गई रकम मांग सकता है बल्कि भारी-भरकम हर्जाना भी वसूल सकता है।
पाकिस्तान से बहुत आगे सोचता है चीन
देवाशर ने बताया कि चीन पाकिस्तान से बहुत आगे सोचता है। उन्होंने कहा कि बलूचों ने आज ट्रेन हाइजैक किया है लेकिन चीनी सोचते हैं कि अगर बलूचों ने ग्वादर बंदरगाह की घेराबंदी कर ली या पॉवर प्रोजेक्ट या ग्वादर एयरपोर्ट पर कब्जा कर लिया तो क्या होगा? दरअसल चीनी दूर की सोचते हैं। देवाशर ने बताया कि इसलिए चीन ने पाकिस्तान को कड़े शब्दों में सुरक्षा के मोर्चे पर चेतावनी दी है और उससे अपने लोगों और अपने ठिकानों की रक्षा करने या अपनी सेना तैनात करने की मांग रखी है, जैसा कि श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर है। लेकिन यह पाकिस्तान को नागवर लगा है। उसे अपने भौगोलिक क्षेत्र में चीनी सैनिकों की तैनाती करने से परहेज है क्योंकि यह उसकी साख और प्रतिष्ठा का सवाल है।
चीन तैनात कर सकता है अपने सुरक्षाकर्मी
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी के जरिए चीनी अपनी PLA की तैनाती पाकिस्तान में करवा सकता है। देवाशर ने बताया कि पाकिस्तान कभी अंदर झांक कर नहीं देखता कि उनके अंदर क्या कमी है लेकिन वह 1947 से ही दूसरे देशों खासकर भारत को हर छोटी बड़ी समस्या के लिए जिम्मेदार ठहराता रहा है। उन्होंने कहा कि बलूच अलग देश की मांग कर रहे हैं, जबकि उसी प्रांत में टीटीपी अपने शरिया कानून और बाकी अपनी चीजें थोपना चाहते हैं। इसलिए बलूचिस्तान में ही पाकिस्तान कई मोर्चों पर लड़ रहा है।
ट्रेन हाइजैक से कांपा पाकिस्तान
बता दें कि बीएलए से जुड़े दर्जनों विद्रोहियों ने पिछले हफ्ते बलूचिस्तान में एक सुरंग के अंदर रेलवे ट्रैक उड़ा दिया था और जाफर एक्सप्रेस हाइजैक कर लिया था, जिसमें 440 से अधिक यात्री सवार थे। बाद में इन सभी यात्रियों को बंधक बना लिया गया था। इस हमले में 26 यात्री मारे गए थे। सुरक्षा बलों ने एक जटिल निकासी अभियान के बाद 33 हमलावरों को मार गिराया और बंधकों को छुड़ा लिया था।
थिंक टैंक पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट एंड सिक्योरिटी स्टडीज (पीआईसीएसएस) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार जनवरी 2025 में देश में आतंकवादी हमलों में तेज वृद्धि देखी गई, जो पिछले महीने की तुलना में 42 फीसदी अधिक है। ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स 2025 की रिपोर्ट के अनुसार 2024 में पाकिस्तान में होने वाले आतंकवादी हमलों और मौतों में से 96 प्रतिशत से अधिक खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान प्रांतों में ही हुए हैं। ये दोनों प्रांत अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान की सीमा पर स्थित हैं और आतंकवादी हमलों का खामियाजा भुगत रहे हैं।
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