सीजफायर के लिए तुर्की पहुंचे जेलेंस्की की दो टूक- रूस का दिखावटी माहौल, पुतिन का अता-पता नहीं
तीन साल से चली आ रही जंग को समाप्त करने के लिए जेलेंस्की तुर्की पहुंच चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि शांति वार्ता के नाम पर रूस की तरफ से दिखावटी माहौल तैयार किया गया है और पुतिन आएंगे या नहीं कुछ नहीं पता।

तुर्की की राजधानी अंकारा में रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के उद्देश्य से गुरुवार को शांति वार्ता का माहौल तैयार हुआ है, लेकिन यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने रूसी प्रतिनिधिमंडल को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी। वो तुर्की पहुंच चुके हैं। उन्होंने साफ-साफ कहा कि उन्हें रूस की तरफ से कौन वार्ता में शामिल हो रहा है, इसकी कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है। जेलेंस्की ने रूसी भागीदारी को "दिखावटी" करार देते हुए कहा, "जिस तरह से ये सब किया गया है, वह गंभीर प्रयास नहीं बल्कि महज औपचारिकता जैसा लग रहा है।"
पुतिन नदारद, जेलेंस्की बोले- मैं सिर्फ उन्हीं से बात करूंगा
जेलेंस्की ने इससे पहले भी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को आमने-सामने मुलाकात की चुनौती दी थी, लेकिन पुतिन ने शांति वार्ता में खुद शिरकत करने से परहेज किया। क्रेमलिन की ओर से जारी सूची के मुताबिक, रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पुतिन के सलाहकार व्लादिमीर मेदिन्स्की कर रहे हैं, जबकि चार अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को 'विशेषज्ञ' के तौर पर शामिल किया गया है।
जेलेंस्की ने साफ कर दिया कि वे वार्ता की मेज पर तभी बैठेंगे जब सामने खुद पुतिन मौजूद होंगे। यूक्रेन के राष्ट्रपति कार्यालय के सलाहकार मिखाइलो पोडोल्याक ने भी इस बात की पुष्टि की कि जेलेंस्की केवल पुतिन से ही प्रत्यक्ष बात करेंगे।
रूस ने बातचीत को बताया “रीस्टार्ट”
इससे पहले यूरोपीय देशों और यूक्रेन ने रूस से 30 दिन के बिना शर्त युद्धविराम की अपील की थी, जिसे पुतिन ने ठुकरा दिया। इसके बजाय क्रेमलिन ने कहा कि यह बातचीत 2022 की इस्तांबुल वार्ता का "पुनः प्रारंभ" है। हालांकि उस वक्त भी वार्ता जल्द ही विफल हो गई थी।
अमेरिकी दबाव और ट्रंप की मध्यस्थता
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहल पर यह कूटनीतिक प्रक्रिया शुरू हुई थी। ट्रंप ने पुतिन और जेलेंस्की दोनों को इस्तांबुल में आमने-सामने बैठने के लिए राजी करने की कोशिश की थी। लेकिन पुतिन की अनुपस्थिति को लेकर ट्रंप ने तंज कसा "अगर मैं वहां नहीं हूं, तो पुतिन के जाने का सवाल ही नहीं उठता।"
NATO देशों की भी नाराजगी
तुर्की के अंताल्या में चल रही NATO बैठक के दौरान कई यूरोपीय देशों के विदेश मंत्रियों ने रूस की गंभीरता पर सवाल उठाए। फिनलैंड की विदेश मंत्री एलीना वाल्टोनेन ने कहा — "हमारे सामने एक खाली कुर्सी है, जो पुतिन की होनी चाहिए थी। यह पूरी दुनिया को दिखाता है कि वार्ता को लेकर अनिच्छुक पक्ष कौन है।"
फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बारो ने भी रूस की गैर-मौजूदगी पर नाराजगी जताई और चेताया कि अगर रूस ने रुख नहीं बदला, तो उस पर "भीषण प्रतिबंध" लगाए जाएंगे।
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