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जब चूहे ने पुतिन को दौड़ाया... इंटरव्यू में खुद किया था खुलासा, आज यूक्रेन युद्ध से क्या कनेक्शन

यूक्रेन सीजफायर की धुंधली उम्मीद के बीच पुतिन का 25 साल पुराना इंटरव्यू एक बार फिर चर्चा में है, जब उन्होंने खुलासा किया था एक चूहे ने उन्हें दौड़ाकर कोने में खड़ा कर दिया था। जानकार इसे यूक्रेन युद्ध से कनेक्शन मान रहे हैं।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तानThu, 15 May 2025 09:14 AM
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जब चूहे ने पुतिन को दौड़ाया... इंटरव्यू में खुद किया था खुलासा, आज यूक्रेन युद्ध से क्या कनेक्शन

रूस और यूक्रेन के बीच तीन साल से जल रही जंग की आग में शांति वार्ता की उम्मीद एक बार फिर धुंधली दिखाई दे रही है। तुर्की ने मध्यस्थता की पेशकश की, जेलेंस्की ने न्योता दिया, ट्रंप ने दिलचस्पी दिखाई — लेकिन ठीक ऐन मौके पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोनों पीछे हट गए। अब वार्ता में पुतिन की जगह सिर्फ रूसी प्रतिनिधिमंडल शामिल होगा। इसी बीच पुतिन के 25 साल पुराने इंटरव्यू की चर्चा तेज हो गई है, जिसमें उन्होंने एक ऐसी घटना का ज़िक्र किया था जिसने शायद उनकी युद्ध-नीति की नींव रखी। पुतिन ने कहा था कि एक बार बचपन में उन्होंने एक चूहे को कोने में घेर लिया था, लेकिन जब वो चूहा पलटा और उन्हें दौड़ा लिया, तब उन्हें जिंदगी का सबसे बड़ा सबक मिला।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बचपन की घटना इन दिनों फिर चर्चा में है, जो न केवल उनके व्यक्तित्व को समझने में मदद करती है बल्कि यूक्रेन युद्ध में उनके रवैये की भी झलक देती है।

जब चूहे ने पुतिन को दौड़ाया

साल 2000 में दिए एक इंटरव्यू में पुतिन ने बताया था कि बचपन में वह लेनिनग्राद (अब सेंट पीटर्सबर्ग) की एक जर्जर बिल्डिंग में रहते थे। वहां के संकरे गलियारों में वह और उनके दोस्त लाठियों से चूहों को भगाया करते थे। एक दिन, उन्होंने एक बड़े चूहे को कोने में घेर लिया। लेकिन तभी चूहा पलटा और पुतिन पर झपट पड़ा, जिससे वह घबराकर भागे। पुतिन ने कहा था, “मुझे पहली बार समझ में आया कि जब कोई कोने में फंस जाए, तो वह किस हद तक जा सकता है।” इस घटना ने उनके सोचने के तरीके पर गहरा असर डाला — खासतौर पर तब, जब उन्हें लगे कि उनका अस्तित्व खतरे में है।

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यूक्रेन युद्ध से क्या कनेक्शन?

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो पुतिन खुद को उस “कोने में पड़े चूहे” की तरह देखते हैं, जिसे जब कोई विकल्प नहीं दिखता, तो वह पलटकर हमला करता है। यह मनोवृति यूक्रेन युद्ध में भी देखी जा सकती है, जहां पुतिन ने नाटो के विस्तार और पश्चिमी दबाव को अपने लिए सीधा खतरा मानते हुए सैन्य कार्रवाई का रास्ता चुना।

यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही पुतिन की रणनीति में आक्रामकता, जिद और अस्तित्व की लड़ाई जैसा भाव देखा गया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि पश्चिमी देशों द्वारा रूस को अलग-थलग करने और नाटो की सीमाओं को रूस के और करीब लाने की कोशिशों को पुतिन ने 'घेरने की कोशिश' के रूप में लिया और उसी "चूहे" की मानसिकता में प्रतिक्रिया दी।

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