बैठक के लिए तुर्किए नहीं जाएंगे पुतिन, ट्रंप का भी इनकार; जेलेंस्की बोले- शांति चाहते ही नहीं
Russia Ukraine War: रूसी राष्ट्रपति तुर्किए की राजधानी में होने वाली यूक्रेन शांति वार्ता में भाग नहीं लेंगे। पुतिन के न आने के फैसले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भी इसमें न आने का फैसला किया है। पुतिन की जगह पर उनके खास मेडिंस्की रूसी दल का नेतृत्व करेंगे।

रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति के प्रयासों को एक बार फिर से झटका लगता नजर आ रहा है। तुर्किए में शांति वार्ता का प्रस्ताव देने वाले रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने इंस्तानबुल जाने से इनकार कर दिया है। क्रेमलिन ने रूसी राष्ट्रपति के तुर्किए न जाने पर मुहर लगाते हुए कहा कि राष्ट्रपति वहां नहीं जा रहे हैं। वहां रूसी दल का नेतृत्व व्लादिमीर मेडिंस्की करेंगे। पुतिन के इस फैसले की वजह से पुतिन और जेलेंस्की के बीच युद्ध के बाद होने वाली पहली मीटिंग को भी धक्का लगा है। इस वार्ता को लेकर चर्चा की जा रही थी कि पुतिन और जेलेंस्की के अलावा इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भी शामिल हो सकते हैं लेकिन अब इसकी संभावना को नकार दिया गया है।
क्रेमलिन की ओर से मीडिया को संबोधित करते हुए बताया गया कि मेडिंस्की के अलावा इस दल में डिप्टी रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन, डिप्टी विदेश मंत्री मिखाइल गुलूजिन और इगोर कोस्तुबुकोभ शामिल हैं। आपको बता दें कि युद्ध की शुरुआत में दोनों देशों के बीच हुई बैठक में भी मेडिंस्की ने भी रूसी दल का नेतृत्व किया था।
रूसी राष्ट्रपति भले ही तुर्किए न जा रहे हों लेकिन जेलेंस्की तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोगन से मिलने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। मंगलवार को उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन अगर वहां पर आते हैं तो मैं किसी भी वक्त बातचीत करने और सीजफायर पर काम करने के लिए इंस्ताबुल जाने के लिए तैयार हूं। अगर पुतिन वादा करने के बाद भी वहां नहीं आते हैं तो हमें समझ जाना चाहिए कि वह शांति चाहते ही नहीं हैं।
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के भी इस शांति वार्ता में पहुंचने की संभावना थी। हालांकि उनकी तरफ से कहा गया था कि अगर पुतिन वहां आते हैं तभी वह वहां पहुंचेंगे। अब जब पुतिन नहीं आ रहे हैं तो ऐसे में ट्रंप ने भी आने से इनकार कर दिया है।
आपको बता दें कि तुर्किए में 2022 में हुई बैठक में भी मेडिंस्की ने ही रूस का प्रतिनिधित्व किया था। इस बैठक में जिस प्रस्ताव पर सहमति बनी थी वह रूस के पक्ष में था। उस समय पर तो यूक्रेन इसके लिए राजी हो गया था लेकिन बाद में इससे मुकर गया। पुतिन एक बार भी से उसी से मिलते जुलते प्रस्ताव पर सहमति बनाने का प्रयास करेंगे।
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