सऊदी अरब संग कूटनीति चमकी, कोटा बढ़ा; फिर भी हज यात्रियों की संख्या में 50% की गिरावट क्यों?
भारतीय हज समिति के माध्यम से अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय भारत को आवंटित 1,75,025 हज यात्रियों के कोटे के बड़े हिस्से की व्यवस्था करता है, जो वर्तमान में 1,22,518 है।

दो दिन पहले की केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने 2025 के लिए हज कोटा बढ़ाए जाने की घोषणा की थी। मंत्रालय ने कहा था कि इस साल के लिए हज कोटा 1,75,025 निर्धारित किया गया है, जो 2024 के 170,000 से ज्यादा है। इसके अलावा गुरुवार को ही केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इस बात की घोषणा कर बड़ी राहत दी कि सऊदी अरब ने 10,000 हज तीर्थयात्रियों के लिए फिर से हज पोर्टल खोल दिया है, ताकि छूटे यात्रियों का रजिस्ट्रेशन हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी भारत की कूटनीतिक संबंधों के जरिए ही संभव हो सका है।
बावजूद इसके, जम्मू-कश्मीर से एक निराश करने वाली खबर सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि इस साल हज यात्रियों की संख्या में 50 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। हज यात्रा 04 मई से शुरू होगी। अधिकारियों ने बताया कि 2024 की तुलना में इस साल जम्मू-कश्मीर से हज करने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में करीब 50 फीसदी की गिरावट आई है। उन्होंने बताया कि सब्सिडी बंद होने, विदेशी एयरलाइनों की रूचि कम होने और उच्च तापमान के कारण हज यात्रियों की संख्या में ये गिरावट आई है।
04 मई से शुरू होंगी उड़ानें
अधिकारियों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर से इस साल 3,624 से अधिक तीर्थयात्रियों के वार्षिक तीर्थयात्रा पर जाने की उम्मीद है, जबकि पिछले साल राज्य से 7,008 तीर्थयात्री हज पर गए थे। अधिकारियों ने बताया कि अधिकांश उड़ानें श्रीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से सऊदी अरब के लिए संचालित होंगी। जम्मू-कश्मीर हज समिति के कार्यकारी अधिकारी शुजात अहमद कुरैशी ने कहा, "इस साल जम्मू-कश्मीर से 3624 और लद्दाख से 242 तीर्थयात्री हज पर जाएंगे।"
2023 में 12,079 तीर्थयात्री हज पर गए थे
इस साल हज के लिए उड़ानें 4 मई से श्रीनगर से सऊदी अरब के लिए शुरू होंगी। 15 मई को तीर्थयात्रियों को लेकर अंतिम विमान उड़ान भरेगी। उन्होंने कहा, "श्रीनगर से 13 उड़ानें और दिल्ली से 440 तीर्थयात्रियों के साथ एक उड़ान होगी।" पिछले साल जम्मू-कश्मीर से 7,008 तीर्थयात्रियों ने हज किया था, जबकि 2023 में 12,079 तीर्थयात्री हज पर गए थे। 2022 में, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से लगभग 6,000 तीर्थयात्रियों ने हज यात्रा की थी, जबकि कोविड प्रतिबंधों के कारण 2020 और 2021 में हज नहीं हो सका था।
तीर्थयात्रियों की संख्या घटना के क्या कारण?
कुरैशी ने तीर्थयात्रियों की संख्या में गिरावट के लिए कई कारण बताए हैं। उन्होंने कहा, "एक कारण यह है कि इस साल हज उच्च तापमान के बीच चरम गर्मी के मौसम में पड़ रहा है और दूसरा कारण हज यात्रा के लिए ऊंची दरें हैं। उन्होंने बताया कि 2019 के बाद से सऊदी अरब ने 15% वैट चार्ज करना शुरू कर दिया है और दूसरी बड़ी बात यह है कि 2018 के बाद से सरकार ने सब्सिडी बंद कर दी है। बता दें कि भारत से सऊदी अरब जाने वाले तीर्थयात्रियों की यात्रा लागत की भरपाई के लिए दी जाने वाली हज सब्सिडी को केंद्र सरकार ने जनवरी 2018 से समाप्त कर दिया था।
बता दें कि भारतीय हज समिति के माध्यम से अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय भारत को आवंटित 1,75,025 हज यात्रियों के कोटे के बड़े हिस्से की व्यवस्था करता है, जो वर्तमान में 1,22,518 है। बाकी 52,507 हज यात्रियों का कोटा निजी टूर ऑपरेटरों को आवंटित किया गया है।
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