पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ घाटी में हर ओर सन्नाटा, 370 हटने के बाद पहली बार ऐसा विरोध
- पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में कश्मीर घाटी में सन्नाटा छाया हुआ है। आतंकी हमले के विरोध में सभी व्यापारिक संस्थानों, दुकानों और स्कूल को बंद रखा गया है। इतना बड़ा विरोध 370 हटने के बाद पहली बार है।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए भीषण आतंकी हमले के खिलाफ बुधवार को कश्मीर घाटी पूरी तरह बंद नजर आ रही है। हमले में कम से कम 26 निर्दोष सैलानियों की जान चली गई। इस नृशंस वारदात के खिलाफ लोगों ने विरोध जताया, जिससे घाटी की सड़कों पर सन्नाटा छा गया। यह पहला मौका है जब अनुच्छेद 370 के हटने के बाद कश्मीर में ऐसा व्यापक विरोध देखा गया। इससे पहले 2019 तक, अलगाववादी संगठन ऐसे बंद का आह्वान किया करते थे। लेकिन इस बार सभी मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों, व्यापार मंडलों, स्कूल संगठनों और यहां तक कि मुताहिदा मजलिसे उलमा ने भी बंद का समर्थन किया है।
श्रीनगर के लाल चौक से लेकर पुराने शहर तक दुकानें बंद रहीं, यातायात बेहद सीमित रहा और अधिकतर स्कूल-कॉलेज भी बंद रहे। पर्यटक कारोबार पर भी इसका बड़ा असर पड़ा है। गृहमंत्री अमित शाह, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने श्रीनगर के पुलिस नियंत्रण कक्ष (PCR) में पहुंचकर शहीद पर्यटकों को श्रद्धांजलि अर्पित की है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस क्रूर हमले पर दुख और आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा, "यह बर्बरता हमारे समाज में कतई स्वीकार नहीं की जा सकती।"
पीड़ितों को मुआवजा
उन्होंने पीड़ितों के परिवारों के लिए ₹10 लाख, गंभीर रूप से घायलों को ₹2 लाख और मामूली रूप से घायलों को ₹1 लाख की मुआवजा राशि देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि मृतकों के शवों को सम्मानपूर्वक उनके घरों तक पहुंचाने की पूरी व्यवस्था की गई है और घायलों का बेहतरीन इलाज कराया जा रहा है।
हमले का मंजर, चश्मदीदों की जुबानी
पहाड़ी इलाका बैसारन जहां यह हमला हुआ, पूरी तरह बंद रहा। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावरों ने पुरुषों को निशाना बनाया और महिलाओं-बच्चों को छोड़ दिया, जिससे हमले की सुनियोजित प्रकृति का संकेत मिलता है। मुताहिदा मजलिसे उलमा ने एक बयान में कहा, "जो किसी निर्दोष को मारता है, वह पूरी मानवता की हत्या करता है... इस नृशंस कृत्य के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध जताने के लिए बंद जरूरी है।"
यह आतंकी हमला न केवल कश्मीर के पर्यटन उद्योग, बल्कि देश की सुरक्षा व्यवस्था पर भी एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। घाटी में इस हमले को लेकर गम और गुस्से का माहौल है। लोग अब निर्णायक कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
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