केंद्र सरकार की झारखंड को बड़ी सौगात, 133 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का होगा दोहरीकरण
पीएम मोदी ने भी इस बारे में एक पोस्ट करते हुए कहा, 'आज, रेलवे से संबंधित दो महत्वपूर्ण परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। विभिन्न राज्यों को कवर करने वाली ये परियोजनाएं कनेक्टिविटी, वाणिज्य में सुधार करेंगी और स्थिरता को भी बढ़ावा देंगी।'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने बुधवार को झारखंड को एक बड़ी सौगात देते हुए कोडरमा-बरकाकाना रेलवे लाइन के दोहरीकरण के काम को मंजूरी दे दी। 133 किलोमीटर लंबा यह ट्रैक न केवल झारखंड के एक प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र से होकर गुजरता है, बल्कि पटना और रांची के बीच सबसे छोटा और अधिक कुशल रेल संपर्क भी है। इसके अलावा सरकार ने कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के सात जिलों को कवर करने वाली एक अन्य रेलवे परियोजना को भी मंजूरी दी। इसके अंतर्गत 185 किलोमीटर लंबे बेल्लारी-चिकजाजुर ट्रैक का दोहरीकरण किया जाएगा। इन दोनों परियोजनाओं की कुल लागत 6,405 करोड़ रुपए है।
इस बारे में जानकारी देते हुए सरकार की तरफ से बताया गया कि इन दोनों स्वीकृत मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना से लगभग 28.19 लाख की आबादी वाले 1,408 गांवों में कनेक्टिविटी बढ़ेगी। सरकार के अनुसार, ‘ये दोनों प्रोजेक्ट कोयला, लौह अयस्क, तैयार इस्पात, सीमेंट, उर्वरक, कृषि वस्तुओं और पेट्रोलियम उत्पादों आदि जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए जरूरी मार्ग हैं। ऐसे में यहां क्षमता वृद्धि कार्यों से 49 MTPA (मिलियन टन प्रति वर्ष) की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी।’
मंत्रालय ने कहा, 'झारखंड, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश राज्यों के सात जिलों को कवर करने वाली दो परियोजनाएं भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 318 किलोमीटर तक बढ़ा देंगी।'
इस बारे में जारी एक सरकारी प्रेस रिलीज में कहा गया कि ये मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्ताव परिचालन को सुव्यवस्थित करने और भीड़भाड़ को कम करने के लिए है। बढ़ी हुई लाइन क्षमता गतिशीलता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय रेलवे के लिए परिचालन दक्षता और सेवा विश्वसनीयता में सुधार होगा।
उधर इन परियोजनाओं के बारे में रेल, सूचना प्रसारण, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ये परियोजनाएं मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम हैं, जो एकीकृत योजना के माध्यम से संभव हुआ है साथ ही जो लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
वैष्णव ने कहा कि रेलवे, पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा-कुशल ट्रांसपोर्ट का साधन है, तथा इससे जलवायु लक्ष्यों को अर्जित करने और देश की लॉजिस्टिक्स लागत को घटाने, तेल आयात (52 करोड़ लीटर) को कम करने और कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन (264 करोड़ किलोग्राम), को कम करने में मदद मिलेगी जो 11 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है। उन्होंने कहा कि इससे टिकाऊ और कुशल रेल संचालन को बढ़ावा मिलेगा।