Decline of Loading Points in BCCL Coal Workers Face Livelihood Crisis बोले धनबाद: पर्याप्त कोयले की व्यवस्था की जाए ताकि लोडिंग मजदूरों को काम मिले, Dhanbad Hindi News - Hindustan
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बोले धनबाद: पर्याप्त कोयले की व्यवस्था की जाए ताकि लोडिंग मजदूरों को काम मिले

बीसीसीएल में लोडिंग प्वाइंटों का महत्व घट गया है, जिससे मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है। पहले जहां 1 लाख लोडिंग मजदूर थे, अब उनकी संख्या 100-150 रह गई है। आउटसोर्सिंग कंपनियों की वजह से कोयला उत्पादन...

Newswrap हिन्दुस्तान, धनबादWed, 19 March 2025 02:09 AM
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बोले धनबाद: पर्याप्त कोयले की व्यवस्था की जाए ताकि लोडिंग मजदूरों को काम मिले

बीसीसीएल में कभी लोडिंग प्वाइंट गुलजार रहता था। लोडिंग प्वाइंट पर खाकी-खादी दोनों की की नजर रहती थी। लोडिंग प्वाइंटों की चमक-धमक से पूरा कोयलांचल प्रभावित होता था। ऊपर से नीचे तक के लोगों को लोडिंग प्वाइंट में दिलचस्पी रहती थी। इसका ठोस कारण भी था। लोडिंग प्वाइंट कमाई का बड़ा साधन था। लोडिंग प्वाइंटों पर वर्चस्व के लिए राजनीतिक घरानों में होड़ लगी रहती थी। इसके लिए राजनीतिक घरानों में तानातनी भी रहती थी। लोडिंग प्वाइंटों पर कब्जे के लिए राजनीतिक दलों में जंग भी होते रहती थी। समय के साथ स्थिति बदलती चली गई। बीसीसीएल में आउटसोर्सिंग कंपनियों की इंट्री के साथ ही लोडिंग प्वाइंटों का महत्व घटता गया। इसकी संख्या में अब गिनती की रह गई है। यहां पर काम करने वाले मजदूर को पर्याप्त मात्रा में काम नहीं मिल पा रहा है।

बीसीसीएल में कोयले का उत्पादन तथा उसकी लोडिंग में सीधा संबंध है। कोयले की उत्पादन जितना महत्वपूर्ण है उसकी उसकी लोडिंग भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। बीसीसीएल की अंडरग्राउंड माइनिंग के दौर में लोडिंग प्वाइंटों में मैनुअल लोडिंग होती थी। ऐसे में यहां लोडर (ट्रकों तथा रेल वैगन में कोयला लोड करने वाले मजदूर) बड़ी संख्या में थे। पिछले दस वर्षों में अंडरग्राउंड माइनिंग नहीं के बराबर हो रही है। बीसीसीएल में कोयला उत्पादन का काम अब निजी कंपनियों (आउटसोर्सिंग) के हवाले हो गया है। ऐसे में लोडिंग मजदूरों के सामने रोजी-रोटी की समस्या हो गई है। हमारी मांग है कि पूर्व की तरह लोडिंग प्वाइंटों को शुरू किया जाए। ऐसा कहना है बीसीसीएल की कोलियरियों के लोडिंग प्वाइंटों में लोडिंग करने वाले निजी मजदूरों का। उन्होंने बोले हिन्दुस्तान की टीम से बातचीत में कहा कि जहां पर विभागीय उत्पादन (बीसीसीएल खुद कोयलया उत्पादन करती है) होता है वहां के लोडिंग प्वाइंटों लोडिंग के लिए कोयला मिलता है। बीसीसीएल के लोडिंग प्वाइंट पर एक समयब 1 लाख से अधिक लोडिंग मजदूर हुआ करते थे। बीसीसीएल के प्रत्येक क्षेत्र में छह से सात लोडिंग प्वाइंट होते थे। कोलियरियों से काटा गया कोयला को छांटकर ट्रकों पर लोड करते थे। डीओ धारक के भी मुंशी रहते थे। उनकी भी कमाई होती थी। लेकिन अब लोडिंग प्वाइंटो पर वह कमाई नहीं रह गई है। अधिकतर लोडिंग प्वाइंट बंद हो गए हैं। गिने चुने लोडिंग प्वाइंट बच गए हैं। जो बचे हुए हैं वहां के मजदूर को हमेशा काम नहीं मिल पाता। हाड़ तोड़ मेहनत करने वाले मजदूर भुखमरी के शिकार हो रहे हैं। लोडिंग प्वाइंटपर जो सुविधा होनी चाहिए। वह सुविधा नहीं मिल पाती है। दूसरे राज्यों से ट्रक चालक ट्रक लेकर आते हैं। कई दिनों तक कोयला के अभाव में फंसे रहते हैं। मजदूर आते हैं और कोयला नहीं रहने के कारण लौट जाते हैं। यह हमारी दिनचर्या बन गई हैं।

नॉर्थ-साउथ तिसरा जीनागोरा परियोजना के विभागीय लोडिंग प्वाइंट पर काम करने वाले ट्रक लोडर मजदूरों ने कहा कि हम तो चाहते हैं कि हमें प्रतिदिन काम मिले। लेकिन यहां कोयला कंपनी की ओर से हर दिन नहीं दिया नहीं जाता है। महीना में 24 ट्रक लोड करने के लिए मिल जाए तो वह अधिक है। जबकि पहले प्रतिदिन करीब 70 से 80 ट्रक लोडिंग के लिए कोयला मिलता था। प्रत्येक लोडिंग प्वाइंट पर 15 से 20 कहीं-कहीं 30-40 दंगल होते थे। दंगल मे 15 से 20 मजदूर होते थे। जो मिलकर चंद मिनटों में कोयला ट्रकों पर लोड करते थे। दंगल के सरदार होते थे। पूरा बाजार में रौनक रहती थी। लोडिंग प्वाइंट के पास के दुकानदार भी काफी खुश रहते थे। लेकिन अब वह स्थिति नहीं है। लोडिंग प्वाइंट के मजदूरों ने कहा कि यहां प्रतिदिन तो नहीं लेकिन सप्ताह में चार-पांच ट्रक कोयला लोड करने के लिए मिल जाता है। सभी मजदूरों को काम नहीं मिलता है। कभी यहां 400- 500 मजदूर थे। अब सौ- डेढ़ सौ की संख्या में बचे हैं। उन्हें भी काम नहीं मिल रहा है। कोई ध्यान देने वाला नहीं है।

सुझाव

1. सभी लोडिंगप्वाइंट पर कोयला मिलने पर मजदूरों की संख्या बढ़ेगी।। प्रबंधन सभी लोडिंग प्वाइंट पर पर्याप्त कोयला दे।

2. शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए। शौचालय के लिए कम से कम घेराबंदी जरूरी है। ताकि सीसीटीवी के कैमरे से बचें

3. पानी की व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि मजदूरों, ट्रक चालक, व यहां आने वाले को पानी पीने के लिए खरीदना नही पड़े।

4. डस्ट से बचाव का उपाय होना चाहिए।

5. जिस तरह से अन्य असंगठित मजदूरों को सुविधा दी जाती है, ट्रक लोडिंग मजदूरों को भी सुविधा मिलनी चाहिए।

शिकायतें

1. किसी भी लोडिंग प्वाइंट पर शौचालय की व्यवस्था नहीं है

2. शुद्ध और ठंडा पीने का पानी की भी व्यवस्था नहीं रहती है

3. आराम करने के लिए शेड भी नहीं बना हुआ है। ताकि धूप व बारिश से बच सके।

4. डस्ट काफी उड़ता है इससे बचने के लिए भी कोई उपाय नहीं किया गया है।

5. प्रबंधन आउटसोर्सिंग के कोयला को मैनुअल लोडिंग के लिए नही देता है। पहले आरओएम कोयला भी मैन्युअल ही लोड होता था।

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