धनबाद मेडिकल कॉलेज में शुरू हुई लेप्रोस्कोपिक सर्जरी
धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की शुरुआत हो गई है। तीन मरीजों की सफल सर्जरी की गई है, जिससे बिना चीरे के ऑपरेशन संभव हुआ है। यह स्वास्थ्य सेवा में एक मील का पत्थर है और मरीजों को...

धनबाद, अमित रंजन लंबे इंतजार के बाद आखिरकार धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लेप्रोस्कोपिक (दूरबीन विधि) सर्जरी की शुरुआत हो गई है। अस्पताल में तीन मरीजों की सफल लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की गई है। अधिकारियों की मानें तो अब यहां बिना चीड़-फाड़ वाली आधुनिक सर्जरी संभव है। इस पहल को डॉक्टर इस अस्पताल के लिए और मरीजों के लिए स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में मील का पत्थर बता रहे हैं। बता दें कि लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में मरीज के शरीर में बड़ा चीरा लगाने की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि कुछ छोटे छेदों के जरिए ऑपरेशन किया जाता है। इस तकनीक से ऑपरेशन के बाद दर्द कम होता है।
संक्रमण की आशंका काफी घट जाती है और मरीज जल्द स्वस्थ होकर घर लौट सकता है। अब तक ऐसी सर्जरी के लिए मरीजों को रांची या अन्य बड़े शहरों का रुख करना पड़ता था। या फिर उन्हें प्राइवेट अस्पतालों में जाना पड़ता था। वहां उनके अपने पैसे खर्च करने पड़ते थे। अब यह सुविधा स्थानीय स्तर पर ही मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मिलेगी। अधीक्षक डॉ डीके गिंदोरिया की पहल पर यहां इसकी शुरुआत की गई है। सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ सुनील कुमार के दिशा निर्देश में कैंसर सर्जन डॉ अली जैद अनवर ने अपनी टीम के साथ तीनों सर्जरी की है। डॉ अनवर के अनुसार तीनों सर्जरी पूरी तरह से सफल रही। मरीज स्वस्थ हैं। अस्पताल प्रबंधन की मानें तो लेप्रोस्कोपिक सर्जरी को समयबद्ध तरीके से नियमित करने की दिशा में कोशिश हो रही है। अस्पताल के अधीक्षक डॉ डीके गिन्दोरिया ने बताया कि लंबे समय से इसके लिए प्रयास किया जा रहा था। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अत्याधुनिक इलाज की दिशा में बड़ी पहल है। सर्जरी करानेवाली तीनों महिलाएं धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हुई पहली तीनों लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की लाभुक महिलाएं हैं। तीनों के गॉलब्लैडर की सर्जरी की गई है। इनके गॉलब्लैडर में स्टोन था। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी कर इसे बाहर निकाला गया। इन सर्जरी में डॉ अनवर के अलावा डॉ अरविंद, डॉ विद्या और डॉ शनि शामिल थे। प्राइवेट में खर्च होते हैं 50 हजार से एक लाख रुपए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के लिए प्राइवेट अस्पतालों में 50 हजार से एक लाख रुपए तक खर्च होते हैं। गरीब मरीज पैसे के अभाव में यह सर्जरी प्राइवेट अस्पतालों में नहीं करवा पाते थे। मजबूरी में उन्हें सरकारी अस्पतालों में जाकर चीरा लगाने वाली सर्जरी करनी पड़ती थी। धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों को यह सुविधा पूरी तरह निशुल्क मिल रही है।
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