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UPHESC Assistant Professor bharti: असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में जीएस के प्रश्नों पर विवाद

उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग की ओर से 16 और 17 अप्रैल को कराई गई असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में सामान्य अध्ययन (जीएस) के कई प्रश्नों पर आपत्ति हुई है।

Anuradha Pandey लाइव हिन्दुस्तान, प्रयागराज, मुख्य संवाददाता।Tue, 20 May 2025 06:17 AM
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UPHESC Assistant Professor bharti: असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में जीएस के प्रश्नों पर विवाद

उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग की ओर से 16 और 17 अप्रैल को कराई गई असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में सामान्य अध्ययन (जीएस) के कई प्रश्नों पर आपत्ति हुई है। आयोग ने 19 मई की रात 12 बजे तक अभ्यर्थियों से ऑनलाइन आपत्तियां मांगी थीं। साक्ष्यों के साथ भेजी आपत्तियों में अभ्यर्थियों ने दावा किया कि नागौर जिला जीरा व मेथी दोनों खुशबूदार उपज के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है, जबकि आयोग ने मेथी को सही माना है। लिहाजा या तो दोनों विकल्प सही माने जाएं या यह प्रश्न मूल्यांकन से बाहर हो।

प्रतियोगियों का कहना है कि प्रश्न ‘इनमें से कौन शिक्षा का एक अनौपचारिक अभिकरण स्रोत नहीं है?’ मूल्यांकन से बाहर होना चाहिए, क्योंकि दिए गए विकल्पों में से सभी शिक्षा के अनौपचारिक स्रोत हैं। इस प्रश्न में आयोग ने ‘धार्मिक संस्थाओं’ को सही विकल्प माना है जबकि ‘सामान्य खेल’ वाला विकल्प कहीं से भी इससे कमजोर नहीं ठहरता। सामान्य खेल अनेक स्कूलों में औपचारिक शिक्षा का एक माध्यम होते हैं। खेल को एक विषय के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। अभ्यर्थियों का कहना है कि ‘बाबरनामा किस भाषा में लिखी गयी थी?’ प्रश्न भी सही नहीं है। वस्तुतः मूल ग्रंथ का नाम तुजुक-ए-बाबरी था जिसे तुर्की भाषा में लिखा गया था। बाद में जब इस ग्रंथ का फ़ारसी (या पारसी) अनुवाद हुआ तब उस फ़ारसी ग्रंथ का नाम बाबरनामा रखा गया। इस प्रकार उक्त प्रश्न का उत्तर पारसी चुनना कहीं से भी अतार्किक नहीं है। यदि प्रश्न यह होता कि बाबरनामा मूलतः किस भाषा में लिखी गयी थी? तब तुर्की सही उत्तर होता परन्तु प्रश्न में कहीं भी मूलतः शब्द नहीं आया है। अतः इस प्रश्न के दोनों उत्तर - तुर्की व पारसी- सही माने जाने चाहिए। आयोग ने शिक्षा मंत्रालय की ओर से 2015 में एनआईआरएफ रैंकिंग प्रणाली को शुरू होना सही माना है। जबकि 2015 में मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय न होकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय था। इसके अलावा लिंबिक सिस्टम वाले प्रश्न को भी डिलीट करने की मांग की गई है। क्योंकि यह सामान्य विज्ञान का प्रश्न है और सामान्य अध्ययन के पाठ्यक्रम में ये हिस्सा नहीं है। इसलिए यह प्रश्न पाठ्यक्रम से बाहर का है।