Death sentence in rape and murder case acquitted by Supreme Court after 12 years scolded the court रेप और मर्डर केस में फांसी; 12 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया बरी; हाई कोर्ट को जमकर सुनाया, India News in Hindi - Hindustan
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रेप और मर्डर केस में फांसी; 12 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया बरी; हाई कोर्ट को जमकर सुनाया

बॉम्बे हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट ने नाबालिग से रेप और हत्या के आरोपी को फांसी की सजा सुना दी थी। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को गलत बताते हुए आरोपी को बरी कर दिया है।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानTue, 20 May 2025 08:54 AM
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रेप और मर्डर केस में फांसी; 12 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया बरी; हाई कोर्ट को जमकर सुनाया

महाराष्ट्र के ठाणे में 4 साल की बच्ची से रेप और हत्या के मामले में आरोपी को फांसी की सजा सुना दी गई थी। मौत के खौफ में उसने 12 साल जेल में भी काट दिए। अब सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को बाइज्जत बरी कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ कोई सबूत ही नहीं पाए गए। जस्टिस विक्रम नाथ, संजय करोल और संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि इस केस में बिना किसी पुख्ता केस के भी सजा सुना दी गई।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अतिउत्साही फैसले को लेकर हाई कोर्ट की भी आलोचना की। कोर्ट ने कहा कि बिना पुख्ता सबूत के ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट ने फैसला सुना दिया और एक शख्स को फांसी की सजा दे दी। जस्टिस मेहता ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह एक बेहद बदहाल केस का उदाहरण है जिसमें ठीक से जांच भी नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि जब इस मामले में पुख्ता सबूत हाथ ही नहीं लगे तो बॉम्बे हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को दोषी कैसे करार दे दिया।

बेंच ने कहा, ऐसा लगता है कि बस किसी को दोषी ठहरा देना था और इसलिए अतिउत्साही फैसला सुना दिया गया। उन्होंने कहा कि आरोपी को जब गिरफ्तार किया गया था तब वह 25 साल का था। वह 12 साल जेल में रहा और उसपर कई साल तक फंसी का फंदा लटकता रहा।

बता दें कि घटना 13 सितंबर की है जब चार साल की नाबालिग अचानक घर से गायब हो गई। इसेक बाद तीन दिन बाद उसका शव बरामद किया गया।इस मामले में कोई भी प्रत्यक्षदर्शी नहीं था। केवल परिस्थितियों के आधार पर आरोपी गो गिरफ्तार कर लिया गया। 2019 में आरोपी को मौत की सजा सुना दी गई।

हाई कोर्ट के आदेश को किनारे करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दो जांच अधिकारियों की रिपोर्ट और गवाहों के आधार पर ही फैसला सुना दिया गया। जबकि गवाह प्रत्यक्षदर्शी नहीं थे। गवाहों ने जिस तरह की बातें बताई थीं उनपर भी विश्वास करना मुश्किल था। एजेंसियों ने भी इस केस को जल्द रफादफा करने के लिए जल्दबाजी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में ऐसा लगता है कि अनुमान के आधार पर ही फैसला सुना दिया गया।

कोर्ट ने कहा, डीएनए एनालिसिस की रिपोर्ट में भी आरोपी को लेकर कोई पुख्ता बात सामने नहीं आई। ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट ने इन रिपोर्ट्स पर भरोसा नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि आरोपी को इस बुनियाद पर गिरफ्तार किया गया था कि जिस तालाब के पास पीड़िता का शव मिला था वहीं पास से आरोपी के जूतों के तल्ले भी पाए गए थे। इससे केवल इतना साबित होता था कि आरोपी कभी वहां गया होगा। कोर्ट ने आरोपी को बरी करते हुए तुरंत रिहा करने का आदेश दिया।

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