हमें भी चाहिए फुस्स चीनी मिसाइल PL-15E का मलबा; जापान, फ्रांस समेत कई देशों में क्यों मची होड़
पंजाब के होशियारपुर जिले के कमाही देवी के पहाड़ी इलाके के गांव वेहफता में चीनी मिसाइल PL-15 का मलबा मिला था। यह मलबा पाकिस्तान द्वारा दागी गई मिसाइलों का है, जिन्हें भारत की वायु रक्षा प्रणालियों ने हवा में ही नष्ट कर दिया था।

Chinese Missile PL-15E: पिछले महीने 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आंतकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) से आतंकियों का खात्मा करने और उनके ठिकानों को ध्वस्त करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर चलाया था। इससे बौखलाए पाकिस्तान ने भारत पर हमला बोल दिया था। चार दिनों के सैन्य संघर्ष में पाकिस्तान की तरफ से करीब 800 से 1000 ड्रोन और मिसाइल दागे गए थे, जिसे भारतीय सशस्त्र बलों ने मार गिराया था। पाकिस्तान ने ये ड्रोन और मिसाइल भारत के 30 शहरों में आम नागरिकों और सैन्य बेस को निशाना बनाकर दागे थे लेकिन सभी हमलों को नाकाम कर दिया गया। इन हमलों में भारत में कोई जान-माल का नुकसान नहीं हुआ।
पिछले दिनों जब सेना के तीनों सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMOs) ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स की थी और दुश्मन देश द्वारा हमले में इस्तेमाल किए गए ड्रोन्स और मिसाइलों के मलबों की तस्वीरों का सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शन किया था, तब बताया गया था कि पाकिस्तान ने तुर्की के ड्रोन समेत चीन के PL-15E मिसाइलों का भी इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया था, जिसे हमारी एयर डिफेंस सिस्टम ने नाकाम कर दिया था।
PL-15E हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल
PL-15E चीन निर्मित हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जिसे सीमावर्ती इलाकों में मार गिराया गया था। इस मिसाइल के टुकड़े पंजाब के खेतों में मिले थे। पंजाब के होशियारपुर में एक जगह तो यह मिसाइल बिना ऐक्टिव हुए ही खेतों में गिरा मिला, जिसकी सुरक्षा बलों ने जांच की तो पाया कि यह चीन की उन्नत मिसाइल PL-15E है। मीडिया रिपोर्ट्स में इस मिसाइल की अनुमानित कीमत करीब 10 करोड़ रुपये प्रति यूनिट बताई जा रही है। इसे हवा से हवा में मार करने वाली लंबी दूरी की एडवांस मिसाइलों में गिना जाता है।
जापान-फ्रांस को क्यों चाहिए PL-15E का अवशेष
अब नए घटनाक्रम में जापान, फ्रांस और फाइव आइज के कई देशों की खुफिया एजेसियों ने भारत से इस मिसाइल के मलबे की मांग की है। विशेषज्ञों के अनुसार, चीन निर्मित मिसाइल की बरामदगी एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि यह अपनी मारक क्षमताओं और रेंज के बारे में बहुमूल्य जानकारी देने में सक्षम होगी, जिसका उपयोग उसकी काट तैयार करने और उससे निपटने की रणनीति तैयार करने समेत चीनी मिसाइल निर्माण की तकनीक हासिल करने में किया जा सकता है।
दरअसल, फ्रांस और जापान, जो हाई टेक एयर-टू-एयर मिसाइल प्रणालियों में भारी निवेश कर रहे हैं, उन्हें चीन के इस गुप्त PL-15E मिसाइल के मलबे से न सिर्फ उसकी संरचना और तकनीकी पहलुओं से नई जानकारी प्राप्त होगी बल्कि विदेशी मिसाइल के रडार सिग्नेचर, मोटर संरचना, मार्गदर्शन तकनीक और संभवतः इसके एईएसए (एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे) रडार की मायावी वास्तुकला का पता लगाने में भी बड़ी मदद मिल सकेगी।
फ्रांस के मेटियोर मिसाइल के लिए सीधा खतरा
फ्रांस, इसलिए भी इस मिसाइल की स्टडी करने को उत्सुक है क्योंकि इस चीनी मिसाइल को मेटियोर मिसाइल के लिए सीधा खतरा माना जाता है। रैमजेट प्रणोदन प्रणाली और एक महत्वपूर्ण "नो-एस्केप ज़ोन" के साथ, मेटियोर लंबे समय से हवाई प्रभुत्व के लिए बेंचमार्क रहा है। हालांकि, PL-15E ने लंबी दूरी और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल के रूप में एक दुर्जेय प्रतिद्वंद्वी के रूप मेंअपनी पहचान स्थापित की है। पाकिस्तान द्वारा युद्ध में पहली बार इस मिसाइल का इस्तेमाल करना भी सैन्य आपूर्तिकर्ता के रूप में चीन की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। फाइव आईज देश और जापान एशिया में खासकर इंडो-पैसिफिक सुरक्षा ढांचे में बीजिंग के बढ़ते प्रभाव को एक रणनीतिक चुनौती के रूप में देख रहे हैं। इसलिए उसकी मिसाइल टेकनोलॉजी का गहराई से अध्ययन करना चाहते हैं और इस दिशा में पंजाब के खेतों में मिला चीनी मिसाइल का मलबा एक अहम कड़ी साबित हो सकता है।