Jharkhand s Sonapatti Faces Decline Jewelers Demand Government Support बोले धनबाद: कभी हथौड़ी की आवाज नहीं थमती थी, अब सन्नाटा, Dhanbad Hindi News - Hindustan
Hindi NewsJharkhand NewsDhanbad NewsJharkhand s Sonapatti Faces Decline Jewelers Demand Government Support

बोले धनबाद: कभी हथौड़ी की आवाज नहीं थमती थी, अब सन्नाटा

झरिया की सोनापट्टी, जो कभी सोने की मंडी के लिए प्रसिद्ध थी, अब ग्राहकों की कमी और रोजगार के संकट का सामना कर रही है। कारीगरों की संख्या 400 से घटकर 60-70 रह गई है। सरकार से उनकी मांग है कि उन्हें...

Newswrap हिन्दुस्तान, धनबादFri, 14 March 2025 01:30 AM
share Share
Follow Us on
बोले धनबाद: कभी हथौड़ी की आवाज नहीं थमती थी, अब सन्नाटा

झरिया की सोनापट्टी का नाम जिले में ही नहीं जिले के बाहर भी मशहूर है। कभी सोने की इस मंडी में खरीदारों का जमावड़ा लगा रहता था। झरिया के साथ-साथ धनबाद जिले के दूसरे इलाकों में भी ग्राहक यहां खरीदारी के लिए आते थे। कभी कोलकाता से लेकर बनारस तक के बीच में सोना का कारोबार व सोनामंडी के लिए झरिया का सोनापट्टी मशहूर रहा है। सोना पट्टी को झरिया राजा ने बसाया था। यहां पर करीब 80 से 90 ज्वेलरी की दुकानें हैं। पहले यहां पर करीब 400 से भी अधिक कारीगर सोना-चांदी का गहना बनाने में व्यस्त रहते थे। वर्तमान में काम नहीं मिलने से अब उनकी संख्या घटकर 60 से 70 तक पहुंच गई है। सोनापट्टी की रोनक भी थोड़ी कम हो गई है।

झरिया सोनापट्टी में कुछ साल पहले तक भारी चहल-पहल रहती थी। सुबह से रात तक यहां खरीदारों का आना-जाना लगा रहता था। धनबाद के साथ-साथ दूसरे जिलों के ग्राहक भी यहां खरीदारी के लिए आते थे। हर तरह की डिजाइन आभूषण यहां मिलते थे। हर वर्ग की जरूरतों के अनुसार यहां आभूषण बनाए जाते थे। रेडीमेड आभूषणों के साथ-साथ पंसद की डिजाइन के ऑर्डर पर भी आभूषणों का निर्माण किया जाता था। यहां पर पश्चिम बंगाल, भागलपुर, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों के कारीगर गहने बनाने का कार्य करते है। प्रत्येक दुकान से जुड़े करीब 10 से 12 कारीगर होते थे। लेकिन अब उनका पलायन हो चुका है। जो बचे हैं वह भी पलायन के कगार पर है। क्योंकि उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है। उनका रोजगार, कला सब कुछ चौपट हो रहा है। सरकार ध्यान नहीं दे रही है। कई कारीगर कर्ज से लदे हुए हैं। हमारी मांग है कि सरकार हमारी कला को संरक्षण दे। हमारे लिए विशेष इंतजाम किए जाए। उक्त बातें झरिया सोनापट्टी के कारीगरों ने बोले हिन्दुस्तान की टीम से कही।

कारीगरों ने कहा कि झरिया सोना पट्टी में हथौड़ी की आवाज से लोग बात नहीं कर पाते थे। लेकिन आज हथौड़ी की आवाज बहुत कम सुनाई पड़ती है। पहले गहना बनाने के लिए नंबर लगता था। अब ग्राहक का इंतजार हो रहा है। सप्ताह में एक या दो काम मिल गया तो उससे गुजारा करना पड़ रहा है। अगर यह स्थिति रही तो स्वर्ण शिल्पकार इतिहास के पन्नों में चले जाएंगे। आने वाली पीढ़ी अब इस धंधे में शामिल नहीं होना चाह रही है। कारीगरों ने बताया कि पहले यहां पर खरीदारी करने के लिए आसनसोल, वर्दवान, पुरुलिया, रानीगंज, धनबाद जिला के हर कोने, बोकारो, चंदनकियारी, रामगढ़, रांची, गया, भभुआ आदि जगहों से ग्राहक आते थे। लेकिन यह सब अब पुरानी कहानी बन कर रह गई है।

सरकार की नीति पर भी कारीगरों ने खुलकर बोला। कहा कि शेयर मार्केट की तरह सोना-चांदी का दर निर्धारित होने के कारण लोगों का झुकाव रेडीमेड गहनों की ओर अधिक हो गया है। भले ही गुणवत्ता पर सवाल है। इसके अलावा मॉल और कारपोरेट कंपनियां हावी होती जा रही है। जिसके कारण उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है। बैंक से लोन नहीं मिल रहा है। रेडीमेड गहनों को लोग पसंद करते हैं। वह हल्का होता है लेकिन उसकी गुणवत्ता अच्छी नहीं होती है।

कुछ कारीगरों ने बताया कि हॉलमार्क का प्रचलन होने के बाद यहां के बने हुए गहने को धनबाद लेकर कारीगर जाते हैं। लेकिन हॉलमार्क लगाने से पहले ही कार्रवाई हो जाने का डर भी सताता रहता है। इस डर से कोई गहना लेकर हॉलमार्क लगावाने जाने से परहेज करता है। लेकिन, रोजी-रोटी का सवाल है तो फिर करना ही पड़ता है। कारीगरों ने बताया कि यहां पर अधिकतर कारीगर दूसरे राज्यों के हैं। आधार कार्ड भी उनके दूसरे राज्यों का बना हुआ है। कारीगर ही तैयार जेवरात लेकर आते-जाते हैं। चेकिंग में पकड़े जाने पर कई स्तर पर पूछताछ होती है। कई बार तो जेवरात भी जब्त कर लिए जाते हैं। प्रशासन गहने के कागजात की मांग को लेकर परेशान करते है।जबकि ग्राहकों के दिए हुए गहने बनाकर हॉलमार्क लगाने के लिए जाते हैं।

कारीगरों ने कहा कि उन्हें विश्वकर्मा योजना का भी लाभ नहीं मिलता है। बैंक से लोन नहीं मिलता है ताकि अपनी पूंजी खड़ा कर सके। बताया कि अब तो हर गली मोहल्ले में दुकान हो गई हैं। झरिया में पहले धनबाद झरिया पाथरडीह ट्रेन चलती थी। स्वर्णरेखा एक्सप्रेस यहां से होकर गुजरती थी। बाहर के ग्राहक ट्रेन से आते थे और खरीदारी करते थे। लेकिन ट्रेन सेवा बंद हो गई। आसपास की कई बस्तियां विस्थापित हो गई। आग और भू-धंसान के कारण भी लोग पलायन कर रहे हैं। यहां का अन्य समानों का थेाक कारोबार दूसरे जगह शिफ्ट हो गया। कोयला मंडी बर्बाद हो गई है। जिसका प्रभाव पड़ रहा है।

सुझाव

1. कारीगरों के लिए झारखंड सरकार पेंशन योजना लाये। बीमारी में पैसे के अभाव में इलाज नहीं हो पाता है। कारीगरों को आयुष्मान कार्ड जारी किया जाए।

2. कारीगरों को आसानी से ऋण मिले। मुद्रा लोन उपलब्ध कराये। कारीगरों तक श्रम विभाग की योजनाओं का लाभ पहुंचाया जाए।

3. सोना चांदी का भाव पहले की तरह निर्धारित हो, स्थानीय व्यापार को सरकार प्राथमिकता दें। छोटे कारिगरों को भी सरकार की ओर से अवसर देने की जरूरत

4. सरकार विश्वकर्मा योजना के तहत सभी को प्रशिक्षण और लोन की व्यवस्था करें, पुलिस प्रशासन कारीगरों को पकड़ने से पहले सच्चाई को जाने और तब कार्रवाई करें

5. सरकारी योजनाओं का भी लाभ मिलना चाहिए, कारीगरों के प्रशिक्षण तथा लोन देने की व्यवस्था करने की जरूरत है।

शिकायतें

1. न शेयर मार्केट की तरह सोना चांदी के भाव रोज-रोज बढ़ रहे हैं जिससे खरीदार नहीं पहुंच रहे हैं। बीते एक साल में सोने के दाम में भारी वृद्धि होने से मुश्किल हो रही।

2. कारीगरों के पास पूंजी का अभाव है। जो थोड़ी बहुत पूंजी रहती भी है वह कारोबरी के पास फंस जाती है। बैंक कारीगरों को लोन नहीं देते हैं।

3. रेडीमेड जेवर और जीएसटी ने बहुत प्रभावित किया है। बाहरी माल की आवक से कारीगरों का काम घट रहा है। ब्रांडेड स्टोर्स ने परेशानी बढ़ा दी है।

4. झरिया में विस्थापन के कारण सोनापट्टी में ग्राहक कम पहुंच रहे हैं। अधिकतर लोग बाहर से ही खरीदारी करने के लिए चले जाते है। यहां से भी कई लोग बाहर चले गए।

5. विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना समेत किसी अन्य योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है। कारीगर और उनका परिवार आयुष्मान कार्ड की सुविधा से वंचित हैं।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।