बोले धनबाद: डाकघर की बचत योजनाओं में कमीशन बढ़े
डाकघर के बचत अभिकर्ता कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जैसे कमीशन में कटौती और सुविधाओं की कमी। धनबाद के अभिकर्ताओं ने अपनी परेशानियों को उजागर किया है, जिसमें लाइसेंस नवीकरण में देरी और बिना कमीशन...
आज भी अधिकतर लोग डाकघर की बचत योजनओं को बैंकों की अपेक्षा अधिक सुरक्षित मानते हुए निवेश करते हैं। नेट बैंकिंग के दौर में भी डाकघरों की पासबुक लेकर राशि की निकासी और जमा भी करते हैं। भारतीय डाकघरों की विभिन्न बचत योजनाओं में लोगों को निवेश के लिए प्रेरित करने में डाक बचत अभिकर्ताओं की भूमिका अहम होती है। ये अभिकर्ता लोगों को घर-घर जाकर डाक बचत योजनाओं के बार में जानकारी देते हैं। डाक विभाग योजनाओं में निवेश करवाते है और डाक विभाग को फायदा भी पहुंचाते हैं। छोटी बचत से लोगों का जिंदगी संवारने वाले अभिकर्ता की स्थिति ठीक नहीं है। खुद की जीविका चलाना मुश्किल हो गया है। अभिकर्ता्ओं के कमीशन में कटौती, कई योजनाओं में कमीशन पूरी तरह बंद कर देना व लाइसेंस नवीकरण में परेशानी तथा डाकघरों में सुविधा और सुरक्षा की कमी जैसे कारणों से बचत अभिकर्ताओं को परेशानी झेलनी पड़ रही है। इस परेशानी से निजात दिलाने की मांग कर रहे हैं।
धनबाद के बड़े और प्रधान डाकघर से जुड़े अल्प बचत अभिकर्ताओं को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लाइसेंस नवीकरण में देरी, कमीशन में कटौती, कई योजनाओं में कमीशन बंद कर देना, सुविधा और सुरक्षा की कमी जैसे मुद्दे इसमें शामिल हैं। इन समस्याओं के निदान के लिए अल्प बचत अभिकर्ताओं ने आंदोलन भी किया है लेकिन इसके बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ। हमारी प्रमुख मांग है कि योजनाओं के कमीशन में बढ़ोतरी की जाए तथा दूसरी योजनाएं शुरू की जाए, जिसमें अभिकर्ताओं को लाभ हो। उक्त बाते बोले हिन्दुस्तान टीम से प्रधान डाकघर धनबाद के बचत अभिकर्ताओं ने कही। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान की बोले हिन्दुस्तान की टीम बचत अभिकर्ताओं से मिली। अभिकर्ताओं ने खुल कर अपनी-अपनी बातें रखीं। बचत अभिकर्ताओं ने कहा कि धनबाद जिले में 700 अभिकर्ता हैं। जिसमें 300 महिलाएं हैं। देश भर में 7 लाख से अधिक अभिकर्ता है। अभिकर्ताओं ने कहा कि डाकघर की बचत योजनाओं के मुख्य आधार अभिकर्ता होते हैं।प्रधान डाकघर ही नहीं बल्कि शहर व ग्रामीण क्षेत्र के विभिन्न डाक घरों में अल्प बचत योजनाओं में राशि जमा कराने वाले अभिकर्ताओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कार्यस्थल पर मूलभूत सुविधाओं की कमी है। खासकर बैठने की उचित व्यवस्था नहीं है। अलग से कमरा भी नहीं है। अलग से प्रिटिंग काउंटर नहीं रहने के कारण पासबुक प्रिंट कराने में बहुत दिक्कत होती है। स्टेशनरी का भी अभाव है। एटीएम कार्ड एक्पायरी होने पर नये कार्ड के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। डाक घर का लिंक फेल रहने के वजह से बहुत ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है। डाटा इंट्री नहीं रहने पर भुगतान में निवेशक को बहुत विलंब होती है। जिससे असंतोष की भावना पैदा होती है और अभिकर्ताओं को शक की नजर से देखा जाता है। पेयजल और शौचालय की अलग से व्यवस्था नहीं है। बचत अभिकर्ताओं ने बताया कि पहले बचत योजनाओं में निवेश कराने के एवज में अभिकर्ताओं को डाक विभाग की ओर से दो प्रतिशत कमीशन दिया जाता था। बाद में इस कमीशन की राशि को घटा कर एक प्रतिशत कर दी गई। वर्तमान में कमीशन की राशि फिर से घटा कर मात्र आधा प्रतिशत कर दी गई है। अभिकर्ताओं ने कहा कि महंगाई इतनी तेजी से बढ़ रहीं है, लेकिन हमलोगों का कमीशन घट रहा है। जिसके कारण जीविका चलाना भी मुश्किल हो रहा है। कहा कि अब तो हमलोगों को डर सता रहा है कि पहले कमीशन दो प्रतिशत फिर बाद में एक प्रतिशत और अब आधा कर दिया है। कहीं भविष्य में सरकार जीरो प्रतिशत न कर दें। नई-नई कई बचत योजनाएं चलायी जा रही है, जिनमें हमलोगों को कमीशन पूरी तरह बंद कर दिया गया है। अभिकर्ताओं ने कहा कि लाइसेंस के नवीकरण में काफी परेशानी होती है। जिला कार्यालय में सुविधा शुल्क की मांग की जाती है साथ ही पुलिस वेरिफिकेशन भी कराया जाता है। हमारी मांग है कि हमारी परेशानियों का निदान खोजे।
सुझाव
1. जिले के सभी डाकघरों में अभिकर्ताओं के लिए बैठने और लिखने के लिए अलग से कमरे की व्यवस्था होनी चाहिए।
2. महंगाई को देखते हुए कमीशन की दरों में बढ़ोतरी करनी चाहिए, तभी अभिकर्ताओं को जीविका चलाने में दिक्कत नहीं होगी।
3. जो योजनाओं में कमीशन हटाया गया है उसे पुन: चालू किया जाना चाहिए। नये योजनाओं में भी कमीशन दी जाए।
4. डाक विभाग की ओर से सभी बचत अभिकर्ताओं को पेंशन, मेडिकल व बीमा की सुविधा मिलनी चाहिए।
5. अभिकर्ताओं के लिए अलग से काउंटर की व्यवस्था की जाए, ताकि ग्राहकों की पासबुक प्रिंटिंग में परेशानी न हो।
शिकायतें
1. डाकघरों में अभिकर्ताओं के लिए किसी तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं है। बैठने के लिए जगह नहीं है।
2. अभिकर्ताओं के लाइसेंस नवीकरण में परेशानी होती है। इस पर डाक विभाग ध्यान नहीं देता है।
3. महंगाई दिनों दिन बढ़ रही है, लेकिन कमीशन की दरों में कटौती लगातार की जा रही है। जिससे जीविका चलाना मुश्किल हो रहा है।
4. बिना कमीशन वाली योजनाओं का टारगेट देकर इसे पूरा करने का दबाव अभिकर्ताओं पर बनाया जाता है।
5. अभिकर्ताओं के लिए प्रिटिंग काउंटर नहीं है। पासबुक प्रिंट कराने में बहुत दिक्कत होती है साथ ही स्टेशनरी का भी अभाव है।
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